मुंगेर: भारत में आम वैसे तो सालों भर मिलता है, लेकिन गर्मी के सीजन में इसके कई तरह के वैराइटी मिलते हैं. भारत में आम की बागवानी बड़े पैमाने पर की जाती है. आम को फूल से लेकर फल के लिए तैयार होने में तीन से चार महीने लगते हैं. बिहार के कई इलाकों में आम की बागवानी होती है. मुंगेर का 'दूधिया मालदा' आम (Munger Famous Milky Malda Mango) पूरे देश में मशहूर है.
ये भी पढ़ें-Lockdown Effect: दूधिया मालदा आम के किसान परेशान, नहीं मिल रहे खरीदार
दूध से सींचने के कारण पड़ा नाम: मुंगेर के चोरंबा क्षेत्र का दूधिया मालदा आम स्वादिष्ट होता है. इसे खाने से लोग खुद को रोक नहीं पाते हैं. इसकी खेती को लेकर किसानों में खुशी का माहौल है. किसानों का दावा है कि अगर मौसम अच्छा रहा तो आम की अच्छी पैदावार से अच्छा मुनाफा होगा. ऐसा माना जाता है कि कई साल पहले आम की इस अनोखी प्रजाति को पाकिस्तान से लाया गया था और इसे दूध से सिंचित किया गया था, जिसके कारण दूधिया मालदा नाम की उत्पत्ति हुई.
दुधिया मालदा की खासियत: दूधिया मालदा आम आकार में बड़ा होता है, छिलका पतला, पल्प यानी गुदा अधिक और इसके बीज पतले होते हैं. दूधिया मालदा अन्य आमों की तुलना में अधिक स्वादिष्ट और मीठे होते हैं. इसकी मिठास के कारण इसकी मांग विदेशों में भी काफी है. मुंगेर में इसकी बागवानी दो हजार हेक्टेयर भूमि पर किया जाता है. मालदा आम से जिले में वार्षिक टर्नओवर 5 से 6 करोड़ रुपये होता है.
लाल मिट्टी के कारण होता है विकसित: चोरंबा इलाके में लगभग 50 एकड़ से अधिक की भूमि पर मालदा आम का बगीचा लगाने वाले श्रीमतपुर के किसान मोहम्मद महफूज ने बताया कि यहां की लाल मिट्टी के कारण दूधिया मालदा आम अधिक विकसित होता है. इस आम की डिमांड खूब है. विदेश में रहने वाले परिजनों को यहां के लोग दूधिया मालदा उपहार में भेजते हैं, वहीं नेताओं और मंत्रियों को भी यहां से आम भेजे जाते हैं.
वार्षिक टर्न ओवर है आठ से दस करोड़: मुंगेर जिला कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि दूधिया मालदा आम की प्रजाति पाकिस्तान के सिंध शहर से यहां आया है. इसके बारे में बताया जाता है कि लोग आरंभ में पानी के बजाय दूध से सीचतो थे. जिसके कारण इसका नाम दूधिया मालदा पड़ा है. उन्होंने कहा कि दूधिया मालदा में विटामिन ए और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में रहता है. साथ में फाइबर और न्यूट्रीयन्स भी मौजूद रहता है. जिले में आम की खेती लगभग दो हजार हेक्टेयर भूमि पर होती है. दो हजार हेक्टेयर भूमि पर 16 हजार टन आम की वार्षिक पैदावार होती है. इस जिले में आम से वार्षिक टर्न ओवर 8 से 10 करोड़ रुपये है.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP