मुंगेरः सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने जमकर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई. शहर के बबुआ घाट, कष्ट हरनी घाट में गंगा स्नान करने वालों का सुबह से तांता लग गया. स्नान करके लोगों ने भगवान शिव, विष्णु, लक्ष्मी और तुलसी की पूजा की. पुराणों के अनुसार आज के दिन गंगा स्नान और दान करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.
1 साल में यूं तो 12 से 13 पूर्णिमा आते हैं. इन सभी पूर्णिमा में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरी नामक राक्षस का वध कर ब्रह्मांड की रक्षा की थी इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है.
होती है बैकुंठ की प्राप्ति
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मुंगेर जिले के कष्ट हरनी घाट, बबुआ घाट, लालदरवजा घाट ,श्यामपुर घाट, बरियारपुर घाट में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर गरीबों के बीच वस्त्र, अन्न,धन दान किया. पुराणों के अनुसार आज के दिन गंगा स्नान कर जरूरतमंदों के बीच धन और वस्त्र दान करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है. साथ ही जो दान दिया जाता है वह बैकुंठ में मनुष्य को पुनः वापस मिलता है.
कार्तिक पूर्णिमा की है कई कथाएं
कार्तिक पूर्णिमा की कई कथाएं हैं. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर संसार की रक्षा की थी. वहीं भगवान कार्तिक ने आज ही के दिन तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था. एक अन्य कथा के अनुसार आज ही के दिन बैकुंठ धाम में मां लक्ष्मी की वापसी हुई थी.
मनोवांछित फल की प्राप्ति
मुंगेर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अविनाश कुमार शास्त्री ने बताया कि आज के दिन भगवान शिव, विष्णु, कार्तिक लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा की जाती है. उन्होंने बताया कि आज के दिन मां लक्ष्मी पीपल के पेड़ पर निवास करती हैं इसलिए श्रद्धालु सच्चे मन से कच्चे दूध या गंगाजल में शक्कर मिलाकर जल अर्पण करते हैं तो उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान के पूजा की भी विशेष महत्ता है.
सिख संप्रदाय के लिए भी है खास
आज के दिन सिख समुदाय के लोग भी विशेष रुप से मनाते हैं. आज ही के दिन सिखों के गुरु गुरु नानक देव सिंह का जन्म हुआ था. सिख संप्रदाय के लोग इस दिन गुरुद्वारा में गुरु नानक सिंह का अरदास करते हैं. साथ ही गुरुद्वारे को विशेष रूप से सजाया जाता है.