मुंगेर: बिहार सरकार की बड़ी लापरवाही सामने आई है. मुंगेर में मुफ्त में चावल और दाल देने की घोषणा होने के बाद राशन कार्ड धारकों को केवल चावल ही दिया जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि बिना दाल के चावल कैसे खाएंगे? क्या गरीब लोग चावल नमक खाकर गुजारा करेंगे? जबकि बिहार सरकार ये घोषणा कर चुकी है कि सभी कार्ड धारकों को उनके यूनिट के अलावे प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल, 1 किलो दाल मुफ्त में दिया जाएगा. लेकिन वितरण की बारी आई तो पीडीएस दुकानदार प्रति यूनिट 5 किलो चावल ही दे रहे हैं और पूछने पर बताते हैं कि दाल का आवंटन नहीं हुआ है. बगैर आवंटन के वे दाल नहीं देंगे.
कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉक डाउन है. उम्मीद है कि यह लॉक डाउन अभी आगे भी चलेगा. बिहार सरकार ने गरीबों को राहत देने के लिए बिहार राज्य के सभी राशन कार्ड धारकों को उनके यूनिट के अलावे आगामी 3 महीने तक राशन कार्ड में उल्लेखित प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल, 1 किलो दाल अतिरिक्त मुफ्त में देने की बात कही है. बिहार सरकार के खाद्य उपभोक्ता मंत्री मदन साहनी ने इस बाबत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि सभी को यह अतिरिक्त खाद्यान्न निशुल्क दिया जाएगा. लेकिन जब अप्रैल माह का वितरण का समय आया तो गरीबों को केवल चावल ही जन वितरण प्रणाली के दुकान से मिल रहा है.
पीडीएस दुकानदार ने दी जानकारी
दुकानदार से ग्राहक दाल की मांग करते हैं तो दुकानदार का जवाब होता है कि हमारे यहां दाल का आवंटन नहीं हुआ. वार्ड नंबर 1 किला क्षेत्र स्थित पीडीएस दुकानदार रमन कुमार गुप्ता ने बताया कि दाल का आवंटन नहीं हुआ है. इसके कारण हम केवल चावल और गेहूं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आवंटन आने के बाद ही हम दाल दे सकते हैं.
ग्राहकों ने बताई पीड़ा
वहीं, ग्राहक विभा देवी और कौशल्या देवी ने बताया कि सरकार केवल घोषणा करती है. गरीबों के साथ यह मजाक नहीं तो और क्या है? चावल का भात बनाकर केवल भात खाएंगे. उन्होंने कहा कि भात के साथ दाल का व्यवस्था कौन करेगा. नमक और भात खा कर के हम लोगों की जिंदगी कटेगी. दोनों महिला ने कहा कि हम लोगों के साथ सरकार ने यह मजाक किया है जब नहीं था तो घोषणा क्यों किया?
बिहार सरकार की लापरवाही
बिहार सरकार के बड़ी लापरवाही इस मामले में उजागर हुई है. कोरोना वायरस को लेकर अगर सरकार ने इसकी घोषणा की है तो इसकी तैयारी भी करनी थी. गरीब, मजदूर, खेतिहर, किसान लॉक डाउन के कारण परेशान हैं. उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. लोग इस आस में थे कि सरकार ने राशन की घोषणा किया है. लॉक डाउन के अवधि में नहीं कुछ तो दाल भात खा कर जिंदगी कट जाएगी. लोगों का कहना है कि हम लोगों के जिंदगी के साथ सरकार ने मजाक किया. एक तो पैसे की कमी ऊपर से भारी मात्रा में चावल तो मिल गया. अब दाल कैसे खरीदेंगे?
'अभी दाल का आवंटन नहीं हुआ है'
इस संबंध में मुंगेर के कई अधिकारी ने बताया कि दाल का आवंटन नहीं हुआ है. आवंटन ऊपर से ही नहीं हुआ है तो पीडीएस दुकानदार को कैसे मिलेगा? कई अधिकारियों ने नाम नहीं बताने के शर्त पर कहा कि अगले महीने शायद दाल का आवंटन शुरू होगा सकता है. तभी लोगों के बीच वितरण हो पाएगा. ऐसे में हम कर सकते हैं बिहार सरकार की लापरवाही है और उनकी रणनीति सही नहीं है. कहीं यह आने वाले नवंबर में चुनाव को लेकर चुनावी घोषणा तो नहीं. चूकि देश के किसी राज्य ने इस तरह की घोषणा नहीं किया था. केवल बिहार सरकार ने अपने राशन कार्ड धारकों को अतिरिक्त 5 किलो चावल और 1 किलो दाल प्रति व्यक्ति के हिसाब से निशुल्क की घोषणा किया था.