पटना: बिहार में मुंगेर विश्वविद्यालय के स्थापना के 4 साल होने के हैं. लेकिन अभी तक यूनिवर्सिटी (Munger University) में न तो पीजी विभाग (PG Department) ही खुल पाया. ना तो यूनिवर्सिटी के लिए जमीन का अधिग्रहण हो पाया है. अधीनस्थ कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव. इससे छात्रों में आक्रोश है. नए कुलपति के पदभार ग्रहण करने के बाद एक आस जगी कि अब यूनिवर्सिटी का शायद ही कुछ भला हो.
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मुंगेर विश्वविद्यालय की समस्याओं की लिस्ट काफी लंबी है. दरअसल, 2018 में इसकी स्थापना हुई थी. स्थापना के 4 वर्ष होने को हैं. लेकिन अब तक विश्वविद्यालय में पीजी विभाग नहीं खुल पाया. ये दुर्भाग्य ही कहें कि अब तक पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं हुई. इसके अलावा यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों को नोटबुक की आवश्यकता की पूर्ति नहीं करवा पा रहा है. आरडी एंड डीजे कॉलेज कैंपस में ही अस्थाई मुंगेर यूनिवर्सिटी चल रहा है.
चौथे साल में भी यूनिवर्सिटी के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं हो सका है. डीजे कॉलेज जो इस यूनिवर्सिटी के अधीनस्थ है. राजा देवकीनंदन सिंह एंड डायमंड जुबली कॉलेज 100 वर्ष स्थापना के भी पूरा कर चुका है. फिर भी इस महाविद्यालय में मूलभूत समस्याओं का अंबार लगा हुआ. कॉलेज में गर्ल्स कॉमन रूम नहीं है. साइकिल स्टैंड तक नहीं. वहीं सभी विषयों के प्रोफेसर भी मौजूद नहीं हैं.
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वहीं इस पूरे मसले पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र नेता प्रिंस कुमार ने यूनिवर्सिटी प्रशासान पर आरोप लगाते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी छात्रों के भविष्य के साथ केवल खिलवाड़ कर रही है. न सत्र सही हो पाया है. ना ही अभी तक पीजी की पढ़ाई शुरु नहीं हो पायी है. कॉलेजों में बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं है.
'लड़कियों के लिये कॉमन रूम तक नहीं है. विश्वविद्यालय के लिए अपने छात्र-छात्राओें को कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल देना प्राथमिकता है. इसमें ही यूनिवर्सिटी पिछड़ रहा है. महाविद्यालय में कई विषयों के व्याख्याता तक नहीं है. सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है.' :- नचिकेता यादव, छात्र
इस मामले में एक माह पूर्व ही पदभार ग्रहण की कुलपति डॉ. श्यामा राय ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए अपने छात्र-छात्राओें को कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल देना प्राथमिकता है. उन्होंने माना कि पूर्व से विश्वविद्यालय में कई प्रकार की समस्याएं हैं. लेकिन पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ना और विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों पर ले जाना ही उनकी प्रमुखता है.
'विश्वविद्यालय का अर्थ ही है कि वहां पीजी और शोध का होना. जबकि तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी एमयू के पास न तो पीजी विभाग है और न ही यहां शोध हो पा रहा है. जिसके लिए जल्द ही एमयू में पीजी विभाग को खोला जाएगा. जिसके बाद शोध को भी आरंभ किया जाएगा.' :-श्यामा राय, कुलपति, मुंगेर विवि
प्रो. श्यामा राय ने कहा कि पीजी विभाग आरंभ करने को लेकर ऑर्ट्स, साइंस और कॉमर्स के डीएन को 15 दिनों में सिलेबस संबधित प्रस्ताव विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने को कहा गया है. जिसके बाद इसे एकेडमिक काउंसिल से पारित करा कर सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. वहीं पीजी विभाग खोले जाने के बाद शोध की पढ़ाई भी आरंभ की जाएगी. इसके साथ पीजी विभाग खुलने के बाद एमयू का यूजीसी से भी रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. जिससे विश्वविद्यालय को अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड मिल सके.
प्रो. श्यामा राय ने बताया कि कोविड-19 के कारण सभी विश्वविद्यालयों में सत्र अनियमित हैं. वहीं एमयू के अनियमित सत्रों को ठीक करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. एमयू के कई कॉलेजों में वर्तमान समय में शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों की कमी है. इंफ्रास्टक्रचर की कमी है. जिसे ठीक करने का प्रयास विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है.
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