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जमालपुर रेल इंजन कारखाना मना रहा 160वां स्थापना दिवस, भारतीय रेल को दिलाई अलग पहचान - etv news

एशिया का पहला रेल कारखाना 160वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस कारखाने के नाम पर कई कीर्तिमान दर्ज (Achievements of Jamalpur Rail Locomotive Factory ) हैं.

जमालपुर रेल इंजन कारखाना मना रहा 160वां स्थापना दिवस
जमालपुर रेल इंजन कारखाना मना रहा 160वां स्थापना दिवस
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Published : Feb 8, 2022, 7:00 AM IST

मुंगेर : एशिया का प्रथम जमालपुर रेल इंजन कारखाना (Jamalpur Rail Engine Factory) आज अपना 160 वां स्थापना दिवस मना रहा है. 8 फरवरी 1862 को ईस्ट इंडिया रेलवे लोकोमोटिव वर्कशॉप के रूप में जमालपुर कारखाना की स्थापना हुई थी. तब इस कारखाने का मुख्य उद्देश्य वाष्प इंजन का निर्माण करना था. आज यह अपने स्थापना के 160 वें वर्ष पूरे कर चुका (160th Foundation Day of Jamalpur Rail Factory ) है. इन 160 वर्षो में इस कारखाने ने कई उतार चढ़ाव देखे. बिहार के नौ रेल मंत्री होने के बावजूद यह कारखाना कहीं ना कहीं उपेक्षा का भी शिकार रहा, तो कई कीर्तिमान भी कारखाने के नाम रहे.

ये भी पढ़ें- वैशाली का दियारा जहां बहती है शराब की नदियां, ग्राउंड जीरो से देखें शराबबंदी की हकीकत



140 टन का क्रेन बना कर किया कीर्तिमान स्थापित: ट्रेन अगर डिरेल होती है या दुर्घटनाग्रस्त होती है तो क्रेन की जरूरत होती है. ऐसे में जितना भारी क्रेन रहेगा उतना ज्यादा से ज्यादा भारी सामान को वह पुनर्स्थापित कर सकता है. इस मामले में जमालपुर रेल कारखाना में जर्मनी के बाद 140 टन क्रेन का निर्माण कर पूरी दुनिया में अपना डंका बजाया है . अब यह कारखाना 175 टन का क्रेन बनाने की ओर अग्रसर है.

जमालपुर रेल इंजन कारखाना की उपलब्धियां: 1899 से 1923 के बीच इस कारखाने में 216 रेल इंजन बनाए गए. 1870 में पहला रोलिंग मिल सेटअप इसी कारखाना में लगा. देश की पहली रेल क्रेन 1961 में इसी कारखाने में बनी. 140 टन वजनी क्रेन जर्मनी के बाद भारत में इसी कारखाने में निर्मित हुई. जमालपुर जैक का निर्माण कर पूरे देश के रेल कारखाना में सप्लाई किया जाता रहा है. टिकिट प्रिटिंग, टिकट काउंटिंग मशीन यहीं बनी.

जमालपुर रेल कारखाना मुंगेर जिले के जमालपुर प्रखंड के व्यापार की रीढ़ माना जाता है. यहां का विकास जमालपुर रेल कारखाना से ही संभव हुआ है. व्यवसायियों का भी कारोबार इसी कारखाने पर ही निर्भर है. अधिक कर्मी अगर यहां होंगे तो लोगों का व्यवसाय और विकसित होगा.

इस संबंध में रेल संघर्ष मोर्चा के संयोजक पप्पू यादव ने कहा कि निश्चित रूप से 160 वर्षों के सफर में कारखाना ने कई कीर्तिमान स्थापित किया. लेकिन कारखाना आज भी अपने बदहाली के आंसू बहा रहा है. यह कारखाना अब तक निर्माण कारखाना घोषित नहीं हुआ है. जबकि बिहार से ही 9 रेल मंत्री हो चुके हैं. सभी ने कहीं न कहीं एशिया के इस पहले रेल इंजन कारखाना पर उतना ध्यान नहीं दिया जितना उन्हें देना चाहिए. निश्चित रूप से हम लोग 160 वर्षगांठ मनाएंगे लेकिन कहीं ना कहीं जमालपुर के लोगों को टीस होगी इसका विकास और होना चाहिए था.

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मुंगेर : एशिया का प्रथम जमालपुर रेल इंजन कारखाना (Jamalpur Rail Engine Factory) आज अपना 160 वां स्थापना दिवस मना रहा है. 8 फरवरी 1862 को ईस्ट इंडिया रेलवे लोकोमोटिव वर्कशॉप के रूप में जमालपुर कारखाना की स्थापना हुई थी. तब इस कारखाने का मुख्य उद्देश्य वाष्प इंजन का निर्माण करना था. आज यह अपने स्थापना के 160 वें वर्ष पूरे कर चुका (160th Foundation Day of Jamalpur Rail Factory ) है. इन 160 वर्षो में इस कारखाने ने कई उतार चढ़ाव देखे. बिहार के नौ रेल मंत्री होने के बावजूद यह कारखाना कहीं ना कहीं उपेक्षा का भी शिकार रहा, तो कई कीर्तिमान भी कारखाने के नाम रहे.

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140 टन का क्रेन बना कर किया कीर्तिमान स्थापित: ट्रेन अगर डिरेल होती है या दुर्घटनाग्रस्त होती है तो क्रेन की जरूरत होती है. ऐसे में जितना भारी क्रेन रहेगा उतना ज्यादा से ज्यादा भारी सामान को वह पुनर्स्थापित कर सकता है. इस मामले में जमालपुर रेल कारखाना में जर्मनी के बाद 140 टन क्रेन का निर्माण कर पूरी दुनिया में अपना डंका बजाया है . अब यह कारखाना 175 टन का क्रेन बनाने की ओर अग्रसर है.

जमालपुर रेल इंजन कारखाना की उपलब्धियां: 1899 से 1923 के बीच इस कारखाने में 216 रेल इंजन बनाए गए. 1870 में पहला रोलिंग मिल सेटअप इसी कारखाना में लगा. देश की पहली रेल क्रेन 1961 में इसी कारखाने में बनी. 140 टन वजनी क्रेन जर्मनी के बाद भारत में इसी कारखाने में निर्मित हुई. जमालपुर जैक का निर्माण कर पूरे देश के रेल कारखाना में सप्लाई किया जाता रहा है. टिकिट प्रिटिंग, टिकट काउंटिंग मशीन यहीं बनी.

जमालपुर रेल कारखाना मुंगेर जिले के जमालपुर प्रखंड के व्यापार की रीढ़ माना जाता है. यहां का विकास जमालपुर रेल कारखाना से ही संभव हुआ है. व्यवसायियों का भी कारोबार इसी कारखाने पर ही निर्भर है. अधिक कर्मी अगर यहां होंगे तो लोगों का व्यवसाय और विकसित होगा.

इस संबंध में रेल संघर्ष मोर्चा के संयोजक पप्पू यादव ने कहा कि निश्चित रूप से 160 वर्षों के सफर में कारखाना ने कई कीर्तिमान स्थापित किया. लेकिन कारखाना आज भी अपने बदहाली के आंसू बहा रहा है. यह कारखाना अब तक निर्माण कारखाना घोषित नहीं हुआ है. जबकि बिहार से ही 9 रेल मंत्री हो चुके हैं. सभी ने कहीं न कहीं एशिया के इस पहले रेल इंजन कारखाना पर उतना ध्यान नहीं दिया जितना उन्हें देना चाहिए. निश्चित रूप से हम लोग 160 वर्षगांठ मनाएंगे लेकिन कहीं ना कहीं जमालपुर के लोगों को टीस होगी इसका विकास और होना चाहिए था.

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