मधुबनीः अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) के बैनर तले महिलाओं ने लॉकडाउन का पालन करते हुए गांव में ही घर के दरवाजे पर धरना दिया. 6 सूत्री मांगों को लेकर धनुषी में धरना दिया गया. जिसमें करीब आधा दर्जन महिलाओं ने हिस्सा लिया.
'20 लाख के पैकेज में स्वयं सहायता समूह के लिए कुछ नहीं'
धरना को संबोधित करते हुए ऐपवा की जिला सचिव पिंकी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के 20 लाख के पैकेज की घोषणा में स्वयं सहायता समूह के लिए कुछ नहीं है. सरकार की घोषणा में लोन की किस्त जमा करने के लिए कुछ समय की छूट दी गई है, लेकिन कर्ज माफ नहीं होगा.
'कर्ज माफ करे सरकार'
पिंकी सिंह ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से श्रमित वर्ग की तरह महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. सरकार पूंजीपतियों का कर्ज मांफ करती लेकिन गरीब महिलाओं को कोई राहत नहीं दे रही है. सरकार को स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं का कर्ज माफ करना चाहिए.
'सिर्फ दावे कर रही सरकार'
जिला सचिव ने कहा कि सरकार ने हरेक परिवार को 4 मास्क देने का फैसला किया है. इसके निर्माण का काम स्वयं सहायता समूह को देने की घोषणा की गई थी. लेकिन वास्तविकता यह है कि सभी समूहों को काम नहीं मिला. जिन समूहों को काम दिया भी गया उनसे मास्क की खरीददारी नहीं की जा रही है. इसे गंभीरता से लागू किया जाता तो महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होती. सरकार सिर्फ रोजगार देने की बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं. धरना को जिविका कार्यकर्ता पुनीता देवी, रंजीता देवी, मुन्नी देवी, ज्योती देवी, पूनम देवी और राम कली देवी ने भी संबोधित किया
6 सूत्री मांगों की सूची
- स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं का कर्ज माफ हो
- माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की ओर से दिए गए कर्ज का भुगतान सरकार करें
- हर समूह को उसकी क्षमता के अनुसार या कलस्टर बनाकर रोजगार का साधन उपलब्ध कराया जाए
- स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की खरीद सुनिश्चित हो
- स्वयं सहायता समूह को ब्याज रहित ऋण दें
- जीविका कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 15 हजार मासिक मानदेय दिया जाए