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मधुबनी: राजनीतिक दलों का यहां आना वर्जित है, जानें क्यों

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Published : Oct 4, 2020, 10:31 PM IST

मधुबनी में कला ग्राम बनाने को लेकर ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. इस दौरान ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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मधुबनी: जितवारपुर गांव के ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. जितवारपुर मधुबनी पेंटिंग कला क्षेत्र में विश्व पटल पर एक अलग पहचान बनाई है. दो वर्ष पूर्व कला ग्राम बनाने की घोषणा की गई थी. इस कला की जननी भी जितवारपुर गांव ही रहा है.

सांसद विधायक का लापता होने की पोस्टर लगाए,मधुबनी

वोट बहिष्कार करने का निर्णय
जिस गांव में तीन पद्मश्री पुरस्कार मिले हैं. जो किसी भी कला या भारत के किसी भी गांव में सबसे अधिक रहा है. उसे क्राफ्ट विलेज बनाने की दिशा में लेट-लतीफी को लेकर नाराज ग्रामीण और कलाकारों ने इस बार वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

ग्रामीणों ने की नारेबाजी
क्राफ्ट विलेज की घोषणा के बावजूद इस दिशा में उदासीन रवैया अपनाने के कारण ग्रामीणों ने मधुबनी सांसद अशोक यादव और बिस्फी विधायक डॉ. फैयाज अहमद के लापता होने का बैनर भी गांव में चिपकाया है. शनिवार को समाजसेवी विशंभर झा और युवा कलाकारों के नेतृत्व में डाकबंगला पर सैकड़ों की संख्या में कलाकारों ने जितवारपुर गांव को क्राफ्ट विलेज बनाने को लेकर जमकर नारेबाजी की.

राजनीतिक दलों का आना वर्जित
शिल्प ग्राम नहीं तो वोट नहीं का बड़ा सा बैनर बनाकर मिथिला पेंटिंग से जुड़े शिल्पियों ने जमकर सरकार और प्रशासनिक पदाधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की. गांव के युवा कलाकारों ने शिल्प ग्राम जितवारपुर में राजनीतिक दलों का आना वर्जित संबंधी बड़ा बैनर भी लगा दिया है.

कला के माध्यम पर आश्रित
बता दें 14 राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, 100 से अधिक राज्य पुरस्कृत कलाकार मौजूद हैं. इसके अलावा 2 हजार आबादी वाले गांव में करीब 1200 से अधिक कलाकार हैं. जो इसी कला के माध्यम पर आश्रित हैं. ग्रामीण विशंभर झा और अमित कुमार झा ने कहा कि दो वर्षों से जितवारपुर गांव को अंतर्राष्ट्रीय कलाग्राम घोषित किया जा रहा था.

ठहरने के लिए आवासीय सुविधा
जिसके लिए गांव में व्यपार केंद्र, देशी और विदेशी पर्यटक को ठहरने के लिए आवासीय सुविधा, गांव की सड़क और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय की ओर से होना था. कई बार दिल्ली से भी अधिकारियों ने निरीक्षण किया. उस समय के तत्कालीन डीएम शीर्षत कपिल अशोक भी गांव का बराबर निरीक्षण करते थे.

डीएम ग्रामीणों को हमेशा सांत्वना देते रहे कि कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा. इस मामले में पूर्व में भी दिल्ली से लेकर बिहार तक के तमाम पदाधिकारियों तक गुहार लगाई जा चुकी है.

मधुबनी: जितवारपुर गांव के ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. जितवारपुर मधुबनी पेंटिंग कला क्षेत्र में विश्व पटल पर एक अलग पहचान बनाई है. दो वर्ष पूर्व कला ग्राम बनाने की घोषणा की गई थी. इस कला की जननी भी जितवारपुर गांव ही रहा है.

सांसद विधायक का लापता होने की पोस्टर लगाए,मधुबनी

वोट बहिष्कार करने का निर्णय
जिस गांव में तीन पद्मश्री पुरस्कार मिले हैं. जो किसी भी कला या भारत के किसी भी गांव में सबसे अधिक रहा है. उसे क्राफ्ट विलेज बनाने की दिशा में लेट-लतीफी को लेकर नाराज ग्रामीण और कलाकारों ने इस बार वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

ग्रामीणों ने की नारेबाजी
क्राफ्ट विलेज की घोषणा के बावजूद इस दिशा में उदासीन रवैया अपनाने के कारण ग्रामीणों ने मधुबनी सांसद अशोक यादव और बिस्फी विधायक डॉ. फैयाज अहमद के लापता होने का बैनर भी गांव में चिपकाया है. शनिवार को समाजसेवी विशंभर झा और युवा कलाकारों के नेतृत्व में डाकबंगला पर सैकड़ों की संख्या में कलाकारों ने जितवारपुर गांव को क्राफ्ट विलेज बनाने को लेकर जमकर नारेबाजी की.

राजनीतिक दलों का आना वर्जित
शिल्प ग्राम नहीं तो वोट नहीं का बड़ा सा बैनर बनाकर मिथिला पेंटिंग से जुड़े शिल्पियों ने जमकर सरकार और प्रशासनिक पदाधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की. गांव के युवा कलाकारों ने शिल्प ग्राम जितवारपुर में राजनीतिक दलों का आना वर्जित संबंधी बड़ा बैनर भी लगा दिया है.

कला के माध्यम पर आश्रित
बता दें 14 राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, 100 से अधिक राज्य पुरस्कृत कलाकार मौजूद हैं. इसके अलावा 2 हजार आबादी वाले गांव में करीब 1200 से अधिक कलाकार हैं. जो इसी कला के माध्यम पर आश्रित हैं. ग्रामीण विशंभर झा और अमित कुमार झा ने कहा कि दो वर्षों से जितवारपुर गांव को अंतर्राष्ट्रीय कलाग्राम घोषित किया जा रहा था.

ठहरने के लिए आवासीय सुविधा
जिसके लिए गांव में व्यपार केंद्र, देशी और विदेशी पर्यटक को ठहरने के लिए आवासीय सुविधा, गांव की सड़क और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय की ओर से होना था. कई बार दिल्ली से भी अधिकारियों ने निरीक्षण किया. उस समय के तत्कालीन डीएम शीर्षत कपिल अशोक भी गांव का बराबर निरीक्षण करते थे.

डीएम ग्रामीणों को हमेशा सांत्वना देते रहे कि कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा. इस मामले में पूर्व में भी दिल्ली से लेकर बिहार तक के तमाम पदाधिकारियों तक गुहार लगाई जा चुकी है.

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