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उगना महादेव: भगवान शंकर ने की थी यहां चाकरी, दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त

भगवान शिव यहां महाकवि विद्यापति के घर नौकरी करने आए थे. एक दिन घने जंगल में प्यास लगने पर उन्होंने उगना से पानी लाने को कहा पानी नहीं मिलने पर भगवान शंकर ने अपनी जटा से गंगा जल लेकर उन्हें पिलाया.

उगना महादेव मंदिर भगवान शंकर ने जहां की थी नौकरी
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Published : Sep 11, 2019, 9:59 PM IST

मधुबनी: जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर पंडौल प्रखंड के भवानीपुर गांव में है प्रसिद्ध उगना महादेव मंदिर. यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं.

उगना महादेव मंदिर भगवान शंकर ने जहां की थी नौकरी

उगना महादेव मंदिर की कहानी
उगना स्थान के पंडा विजय चंद्र झा ने बताया कि भगवान शिव यहां अपने भक्त महाकवि विद्यापति के घर उगना के रूप में नौकरी करने आए थे. एक दिन घने जंगल में प्यास लगने पर उन्होंने उगना से पानी लाने को कहा. पानी नहीं मिलने पर भगवान शंकर ने अपनी जटा से गंगा जल लेकर उन्हें पिलाया. तब विद्यापति ने उनके पैर पकड़ कर उनसे उनकी पहचान पूछी. जिसपर भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन देते हुए इसे राज रखने को कहा. एक दिन महाकवि की पत्नी उगना को गुस्से में लकड़ी से मारने जा रही थी तभी उनके मुख से निकल गया कि यह भगवान शंकर हैं. जिसके बाद भगवान वहां से अंतर्ध्यान हो गए.

Madhubani news
मंदिर परिसर में स्थित महाकवि विद्यापति की मूर्ति

सालों भर रहती है भक्तों की भीड़
बाद में विद्यापति की मनौती पर भगवान शंकर ने प्रकट होकर वहां शिवलिंग के रूप में रहने की बात कही. तभी से यहां सालों भर भक्तों की भीड़ रहती है. उपनयन, मुंडन सहित सभी शुभ काम यहां होते हैं. भगवान शंकर के होने के कई प्रमाण यहां मौजूद हैं.

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उगना महादेव मंदिर परिसर

मधुबनी: जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर पंडौल प्रखंड के भवानीपुर गांव में है प्रसिद्ध उगना महादेव मंदिर. यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं.

उगना महादेव मंदिर भगवान शंकर ने जहां की थी नौकरी

उगना महादेव मंदिर की कहानी
उगना स्थान के पंडा विजय चंद्र झा ने बताया कि भगवान शिव यहां अपने भक्त महाकवि विद्यापति के घर उगना के रूप में नौकरी करने आए थे. एक दिन घने जंगल में प्यास लगने पर उन्होंने उगना से पानी लाने को कहा. पानी नहीं मिलने पर भगवान शंकर ने अपनी जटा से गंगा जल लेकर उन्हें पिलाया. तब विद्यापति ने उनके पैर पकड़ कर उनसे उनकी पहचान पूछी. जिसपर भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन देते हुए इसे राज रखने को कहा. एक दिन महाकवि की पत्नी उगना को गुस्से में लकड़ी से मारने जा रही थी तभी उनके मुख से निकल गया कि यह भगवान शंकर हैं. जिसके बाद भगवान वहां से अंतर्ध्यान हो गए.

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मंदिर परिसर में स्थित महाकवि विद्यापति की मूर्ति

सालों भर रहती है भक्तों की भीड़
बाद में विद्यापति की मनौती पर भगवान शंकर ने प्रकट होकर वहां शिवलिंग के रूप में रहने की बात कही. तभी से यहां सालों भर भक्तों की भीड़ रहती है. उपनयन, मुंडन सहित सभी शुभ काम यहां होते हैं. भगवान शंकर के होने के कई प्रमाण यहां मौजूद हैं.

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उगना महादेव मंदिर परिसर
Intro:उगना महादेव जहाँ स्वयं शिव महाकवि विद्यापति के यहाँ की थी चाकरी,मधुबनी


Body:मधुबनी
उगना महादेव मधुबनी जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर पंडोल प्रखंड के भवानीपुर गांव में स्थित है ।उगना महादेव मंदिर काफी विख्यात है। यहां स्वयं भगवान शिव आए थे महाकवि विद्यापति के घर भगवान स्वयं उगना का रूप बनकर नौकरी करने के लिए आए हुए थे ।मधुबनी के विस्फी के महाकवि विद्यापति महान कवि के साथ-साथ भगवान शंकर के अनन्य भक्त थे ।भगवान शंकर विद्यापति के इसभक्ति के कारण स्वयं नौकर बन चाकरी करने का निर्णय लेकर विद्यापति के घर पहुंचे लेकिन विद्यापति के स्थिति काफी खराब थी उन्होंने इन्हें नौकरी पर रखने से साफ मना कर दिया था लेकिन विद्यापति खाना पर ही नौकरी करने को तैयार हो गए थे। एक दिन घनघोर जंगल में विद्यापति जी को जोर से प्यास लगी उन्होंने उगन को कहीं से पानी लाने को कहा घनघोर जंगल में कहीं भी उन्हें पानी नहीं मिला तो भगवान शंकर जटा से गंगा जल लेकर उन्हें ला पिलाया। विद्यापति पानी पीने के साथ उन्हें गंगाजल का स्वाद लगा ।वे आशचर्य चकित हो उठे उन्होंने उगना का पैर पकड़ कर विनती करने लगे आप बताइए कौन हैं ।विद्यापति की विनती को देख भगवान शंकर उन्हें दर्शन दिया यह बात किसी से आप नहीं बताना जिस दिन आप बताओगे उस दिन हम चले जाएंगे यह बातें भवानीपुर उगना स्थान के पंडा विजय चंद्र झा ने बताया साथ ही उन्होंने बताया कि हमेशा विद्यापति के भक्ति में डूबे हुए थे लेकिन एक दिन ऐसा हुआ विद्यापति जी की पत्नी सुशीला खाना बना रही थी कुछ काम उगना को दिया गया था जिसे नहीं कर पाए विद्यापति की पत्नी ने चूल्हा से लकड़ी खींचकर उनके ऊपर मारने का प्रयास किया इतना में है विद्यापति के मुख से निकल गया कि यह भगवान शंकर है कहने के साथ ही भगवान अंतर्ध्यान हो गए उसके बाद विद्यापति पागलो की तरह वन वन भटकने लगे काफी करुणा करने लगे ।लेकिन भगवान शंकर प्रकट होकर उन्हें बताया अब मैं नहीं आऊंगा लेकिन आप के लिए शिवलिंग के रूप में मैं यहां रहूंगा उसी समय से भवानीपुर में उगना महादेव का शिवलिंग है सालों भर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है उपनयन मुंडन सभी कार्य यहां पर किया जाता है ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान शंकर से जो भी कामना करते हैं भगवान शंकर उगना उस मनकामना को भक्तों का पूरा करते हैं पहले घनघोर जंगल हुआ करता था लेकिन अभी हां इंद्रासन के रूप में वातावरण हो चुका है।कई प्रकार की प्रमाण है कि यहाँ भगवान शंकर स्वयं है।
बाइट वरुण कुमार भक्त
बाइट विजय चंद्र झा पुजारी
राजकुमार झा
मधुबनी


Conclusion:
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