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मधुबनी के एक स्कूल में नहीं होता पठन-पाठन कार्य, इलाके के बच्चों का अंधकार में है भविष्य - लॉकडाउन

मधुबनी के सरकारी स्कूल में न तो शिक्षक आते है और न ही कोई छात्र पहुंचता है. ऐसे में शिक्षक के आभाव में बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है.

सरकारी स्कूल
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Published : Jun 16, 2020, 2:07 PM IST

मधुबनी: जिले के मधेपुर प्रखंड अंतर्गत बसीपट्टी पंचायत में एक सरकारी स्कूल है. जो कि देखने से ऐसा लगता है कि वह जानवरों के रहने के लिए बनाया गया है. छत का ऊपरी हिस्सा घास-फूस से और बांस-बल्ले से उसे सहारा दिया गया है. लॉकडाउन की वजह बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. जिससे यह दबंगों के ठहरने की जगह बन चुकी है. स्कूल के अंदर दबंग बाइक खड़ा कर अराम से घूमते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस स्कूल में अब कोई कार्य नहीं होता है. सिर्फ इसमें दबंग लोग पुलिस के डर से आकर रहते हैं.

madhubani
स्थानीय

स्कूल की दशा से स्थानीय परेशान
पंचायत के स्थानीय लोग भी इस स्कूल से बेहद परेशान हो चुके हैं. कभी भी कोई शिक्षक या शिक्षिका यहां नहीं आते. खुले में इस स्कूल का पठन-पाठन का काम चलता है. वहीं, स्थानीय लोगों के बार-बार शिकायत के बाबजूद भी शिक्षा विभाग के आलाधिकारी कभी गांव में स्कूल की हालत देखने नहीं आए. इस इलाके में कई जगहों पर कागज पर ही स्कूलों का कार्य चलता रहता है. यहां तक की इस विद्यालय के प्रधान शिक्षिका ललिता देवी भी कभी स्कूल का निरीक्षण नहीं करती हैं.

बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
बता दें कि प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर यह स्कूल स्थित है. यह स्कूल कोसी के गोद में बसा हुआ है. इस स्कूल पर जाने के लिये किसी को भी कोसी नदी पार करना पड़ता है और नाव के सहारे ही चलना पड़ता है. इसीलिए न तो शिक्षा विभाग के कोई भी अधिकारी कभी यहां पहुंचते हैं और न ही विद्यालय का कोई शिक्षक दिखाई देता है. ऐसे में शिक्षक के अभाव में बच्चों के भविष्य के साथ लापरवाही बरती जा रही है.

मधुबनी: जिले के मधेपुर प्रखंड अंतर्गत बसीपट्टी पंचायत में एक सरकारी स्कूल है. जो कि देखने से ऐसा लगता है कि वह जानवरों के रहने के लिए बनाया गया है. छत का ऊपरी हिस्सा घास-फूस से और बांस-बल्ले से उसे सहारा दिया गया है. लॉकडाउन की वजह बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. जिससे यह दबंगों के ठहरने की जगह बन चुकी है. स्कूल के अंदर दबंग बाइक खड़ा कर अराम से घूमते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस स्कूल में अब कोई कार्य नहीं होता है. सिर्फ इसमें दबंग लोग पुलिस के डर से आकर रहते हैं.

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स्कूल की दशा से स्थानीय परेशान
पंचायत के स्थानीय लोग भी इस स्कूल से बेहद परेशान हो चुके हैं. कभी भी कोई शिक्षक या शिक्षिका यहां नहीं आते. खुले में इस स्कूल का पठन-पाठन का काम चलता है. वहीं, स्थानीय लोगों के बार-बार शिकायत के बाबजूद भी शिक्षा विभाग के आलाधिकारी कभी गांव में स्कूल की हालत देखने नहीं आए. इस इलाके में कई जगहों पर कागज पर ही स्कूलों का कार्य चलता रहता है. यहां तक की इस विद्यालय के प्रधान शिक्षिका ललिता देवी भी कभी स्कूल का निरीक्षण नहीं करती हैं.

बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
बता दें कि प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर यह स्कूल स्थित है. यह स्कूल कोसी के गोद में बसा हुआ है. इस स्कूल पर जाने के लिये किसी को भी कोसी नदी पार करना पड़ता है और नाव के सहारे ही चलना पड़ता है. इसीलिए न तो शिक्षा विभाग के कोई भी अधिकारी कभी यहां पहुंचते हैं और न ही विद्यालय का कोई शिक्षक दिखाई देता है. ऐसे में शिक्षक के अभाव में बच्चों के भविष्य के साथ लापरवाही बरती जा रही है.

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