मधुबनी: दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागररूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि विश्व के हर एक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या की ओर ध्यान दे और जनसंख्या को रोकने में अपनी भूमिका निभाए. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के माध्यम से हुई थी.
महिलाओं और बालिकाओं की सेहत का विशेष ध्यान
परिवार नियोजन पर सामुदायिक अलख जगाने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. कोरोना महामारी के दौर में 'महिलाओं और बालिकाओं की सेहत और अधिकारों की सुरक्षा' इस वर्ष का थीम रखा गया है. देश कोरोना संक्रमण के बीच में हैं, लेकिन प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान न सिर्फ अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए बल्कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य कल्याण में भी महत्व रखता है.
छोटे परिवार में होती है बच्चों की बेहतर परवरिश
विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर इस प्रतिकूल परिदृश्य में पूरे माह जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा को जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर चलाया जा रहा है. सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने कहा कि सीमित परिवार हर मायने में खुशहाली का प्रतीक होता है. छोटे परिवार में ही बच्चों की बेहतर परवरिश संभव होती है और उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध हो पाती है. इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस के माध्यम से आम लोगों को नियोजित परिवार के विषय में संकल्पित होने की जरूरत है.
जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन
जिले में 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन किया जाना है. इसके तहत पंजीकृत दंपत्ति को स्थाई एवं अस्थाई साधन दिया जाएगा. इस दौरान जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे. उन्होंने खुशहाल परिवार का मंत्र बताते हुए कहा कि स्वस्थ परिवार के लिए परिवार नियोजन के उपाय कारगर हैं. इसके लिए परिवार नियोजन के किसी भी विधि को अपनाया जा सकता है, जो सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं.
जानिए शादी के लिए सही उम्र
स्वस्थ जच्चा एवं बच्चा के लिए लड़की की शादी 18 साल बाद और लड़के की शादी 21 वर्ष के बाद ही करनी चाहिए. इस दौरान बताया गया कि 20 साल के बाद ही महिलाओं में गर्भधारण सुरक्षित होता है.
परिवार नियोजन के उपाय-
•महिला नसबंदी एक स्थायी साधन है, जिसे मात्र 15 मिनट में दक्ष चिकित्सक के माध्यम से किया जाता है. इसके साथ ही इसे विधि प्रसव/ गर्भपात के 7 दिन के अंदर या 6 सप्ताह बाद अपनाया जा सकता है.
•पुरुष नसबंदी भी एक स्थायी साधन है, जिसे मात्र 10 मिनट में दक्ष चिकित्सक के माध्यम से बिना चिड-फाड़ किए किया जाता है. इसमें 1 घंटे बाद लाभार्थी की छुट्टी भी हो जाती है. यह विधि कभी भी अपनायी जा सकती है और इससे किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है.
•कॉपर-टी एक अस्थायी विधि है, जिससे बच्चों के जन्म में अंतर रखा जा सकता है. कॉपर- टी विधि 10 वर्षों एवं 5 वर्षों के लिए अपनायी जा सकती है. कॉपर-टी निकलवाने के बाद प्रजनन क्षमता तुरंत वापस आ जाती है.
•गर्भनिरोधक गोली माला-एन एक सुरक्षित हार्मोनल गोली है. इसे महिला को एक गोली प्रतिदिन लेनी होती है. माहवारी शुरू होने के 5वें दिन से गोली की शुरुआत करनी चाहिए. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रसव के 6 माह तक इस गोली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
• अंतरा एवं छाया दोनों परिवार नियोजन के नवीन अस्थायी विधियां हैं. अंतरा एक सुई है जो तीन माह तक प्रभावी रहता है. लंबे समय तक सुरक्षा के लिए हर तीन महीने में सुई लगवानी होती है, जबकि छाया एक गोली है जिसे सप्ताह में एक बार तीन महीने तक, फिर सप्ताह में केवल एक बार जब तक बच्चा न चाहें तब तक लिया जा सकता है.