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मधुबनीः बाढ़ पीड़ितों की बढ़ रही मुश्किलें, प्लास्टिक के सहारे सिर छुपाने को हैं मजबूर - 385 villages affected

बाढ़ की चपेट में आने से जिले के 38 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 385 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. सरकार की ओर से अबतक कोई सुध लेने नहीं आया है.

मधुबनी में बाढ़
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Published : Jul 27, 2019, 9:17 PM IST

मधुबनीः जिले से होकर बहने वाली कमला बलान नदी का पश्चिमी तटबंध गोपलखा गांव के पास टूट गया है. जिससे पूरा इलाका जलमग्न हो गया है. स्थानीय लोग जान बचाकर किसी तरह गांव से तो निकल गये हैं लेकिन उनके सामने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बड़ी चुनौती है. दो वक्त की रोटी के लिए भी उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

अबतक 38 लोगों की मौत
नेपाल में हुई बारिश के कारण बिहार में स्थिति एक बार फिर भयावह हो गई हैं. पटरी पर लौटती बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी एक बार फिर बुनियादी जरूरतों को मोहताज हो गई हैं. बाढ़ की चपेट में आने से मधुबनी के 38 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही 385 गांव बुरी तरह प्रभावित हैं.

मधुबनी में बाढ़ का कहर

सरकार बेसुध
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि हमारा हाल जानने अभी तक सरकार के कोई अधिकारी नहीं आएं हैं. उनलोगों ने आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय से भी मदद की गुहार लगाई थी. लेकिन, कोई सुध नहीं ली गई. बाढ़ पीड़ितों ने यह भी बताया कि कुछ गैर सरकारी संस्थाओं से उन्हें थोड़ी बहुत मदद मिल रही है. लेकिन, वो नाकाफी है. लोग बांधों पर प्लास्टिक टांग कर जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं.

मधुबनी
बाढ़ से जलमग्न हुआ इलाका

बिहार के 12 जिले बाढ़ से बेहाल
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार के 12 जिले शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार में अब तक बाढ़ से 104 लोगों की मौत हुई है, जबकि 77 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.

मधुबनीः जिले से होकर बहने वाली कमला बलान नदी का पश्चिमी तटबंध गोपलखा गांव के पास टूट गया है. जिससे पूरा इलाका जलमग्न हो गया है. स्थानीय लोग जान बचाकर किसी तरह गांव से तो निकल गये हैं लेकिन उनके सामने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बड़ी चुनौती है. दो वक्त की रोटी के लिए भी उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

अबतक 38 लोगों की मौत
नेपाल में हुई बारिश के कारण बिहार में स्थिति एक बार फिर भयावह हो गई हैं. पटरी पर लौटती बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी एक बार फिर बुनियादी जरूरतों को मोहताज हो गई हैं. बाढ़ की चपेट में आने से मधुबनी के 38 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही 385 गांव बुरी तरह प्रभावित हैं.

मधुबनी में बाढ़ का कहर

सरकार बेसुध
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि हमारा हाल जानने अभी तक सरकार के कोई अधिकारी नहीं आएं हैं. उनलोगों ने आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय से भी मदद की गुहार लगाई थी. लेकिन, कोई सुध नहीं ली गई. बाढ़ पीड़ितों ने यह भी बताया कि कुछ गैर सरकारी संस्थाओं से उन्हें थोड़ी बहुत मदद मिल रही है. लेकिन, वो नाकाफी है. लोग बांधों पर प्लास्टिक टांग कर जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं.

मधुबनी
बाढ़ से जलमग्न हुआ इलाका

बिहार के 12 जिले बाढ़ से बेहाल
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार के 12 जिले शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार में अब तक बाढ़ से 104 लोगों की मौत हुई है, जबकि 77 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.

Intro:बाढ़ से घिरे अंदर बस्ती के लोगो को नही मिली राहत,लोगो मे आक्रोश


Body:मधुबनी
कमला बलान नदी के पश्चिमी तटबंध गोपलखा गांव के समिप टूट गयी हैं मधुबनी जिला बाढ़ के भयंकर चपेट में आ गई जिले में बाढ़ से अब तक 38 लोगों की मौत हुई है और 385 गांव बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। बाढ़ प्रभावितों का हाल जानने अभी भी गांव अधिकारी नहीं पहुंच पाए हैं ।बाढ़ राहत बांध के लोगों को तो कुछ मिल भी जा रहा है लेकिन बांध के अंदर फंसे लोगों को सुध लेने वाला कोई नहीं है ।आपदा प्रबंधन मंत्री से लोगो ने गुहार लगाई थी ।हम बात कर रहे हैं कमला बलान के पश्चिमी तटबंध से सटे गोपलखा गांव की ।गोपालखा गांव के अंदर फंसे लोगों को किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी गई । उन लोगों की जिंदगी काफी दयनीय हो चुकी है दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं क्योंकि चारों साइड से गांव पानी से घिर चुका था ।सारा सामान बाढ़ के पानी में बह गया।जो लोग जान बचाने के लिए बाँध पर विस्थापित हैं उन्हें तो सुविधा मिल भी जा रही है। साथ ही कमला बलान नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे गांव वासियों को और डर सता रहा है कहीं दोबारा फिर भी बाढ़ का पानी पूरी तरह से ना घेर ले। बांध पर प्लास्टिक टांग कर जिंदगी बच्चों के साथ काट रहा है यह परिवार लोग संस्था वाले कुछ राहत सामग्री का बंटवारा कर रही है जिससे इनका भरण पोषण हो रहा है।
बाइट बाढ़ पीड़ित लोग
राज कुमार झा,मधुबनी


Conclusion:
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