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जज साहब अपने अनोखे फैसले के चलते हुए पावरलेस.. कुत्ता पालने की शर्त पर दी थी जमानत - Unique punishment for accused of molestation

मधुबनी के झंझारपुर सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार अपने अजब-गजब फैसले के लिए सुर्खियों में थे. लेकिन शुक्रवार को दिए फैसले ने उनके सारे पावर छीन लिए. जैसे ही उन्होंने आवारा कुत्ते को पालने की शर्त पर आरोपी की जमानत दी, हाईकोर्ट ने उनपर गाज गिरा दी..पढ़ें पूरी खबर-

जेल से छूटा आरोपी
जेल से छूटा आरोपी
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Published : Sep 24, 2021, 11:02 PM IST

मधुबनी: आज के दौर में जब लोग कोर्ट-कचहरी का नाम सुनते ही कन्नी काटने लगते हैं. जब छोटे से छोटे काम के लिए जटिल न्यायिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ऐसे दौर में गंभीर धाराओं के तहत जेल में बंद आरोपी को महज 'सड़क छाप कुत्ते को पालने', खाना खिलाने की शर्त पर जमानत दे दिया.

इसे भी पढ़ें- इस शर्त पर मिली जमानत: '6 महीने तक महादलित परिवार के बच्चों को फ्री में पिलाने होंगे दूध'

दरअसल, मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड के भेजा थाना के महपतिया गांव का है. भेजा थाना कांड संख्या-123/2019 के आरोपी मो. सज्जाद आईपीसी की धारा 307 का आरोपी था. लेकिन मधुबनी सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार ने आरोपी को घर में एक कुत्ते पालने और और ऐसे पांच सड़क छाप कुत्तों को एक महीने तक खाना खिलाने की शर्त पर जमानत दे दी है.

इस मामले के अधिवक्ता आशुतोष कुमार यादव ने कहा कि मो. सज्जाद ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया है. अब इस कार्य को लेकर उसे 45 दिनों के बाद पंचायत के मुखिया सरपंच या वार्ड पार्षद से प्रमाण पत्र लेकर कोर्ट को सौंपना है.

इसे भी पढ़ें- छेड़छाड़ के आरोपी को धोने होंगे छह महीने तक महिलाओं के कपड़े, इसी शर्त पर मिली कोर्ट से जमानत

आपको बताते चलें कि मो. सज्जाद मछली पालन का काम करता है. बीते दिनों मछली मारने को लेकर ही दो पक्षों के बीच विवाद हो गया था. अपने फर्द बयान में वादी ने कहा था कि मेरे घर के सामने अवस्थित तालाब में आरोपी मछली मार रहा था, तभी हमलोगों ने उसे रोका. लेकिन रुकने के बजाय उसने गालीगलौज करना शुरू कर दिया और चाकू से हमला कर दिया.

इस हमले में कई लोग घायल हो गए थे. वहीं, भेजा थाना में इस पूरे में मामले में 7 लोगों को आरोपित बनाया गया था. इसी के बाद आरोपी पक्ष की तरफ से न्यायालय में जमानत याचिका दायर की गई, जिसे कुत्ते पालने और उन्हें खिलाने की शर्त पर रिहा कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- अनोखे फैसले सुनाने वाले झंझारपुर जज के पावर सीज, कपड़ा धोने और बच्चों को दूध पिलाने के आदेश किए थे पारित

बता दें कि अनोखे फैसले सुनाने को लेकर मधुबनी के झंझारपुर सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार इन दिनों काफी सुर्खियों में आ गए हैं. हाल ही में उन्होंने उन्होंने कपड़ा धोने, नाली साफ करने और बच्चों को दूध पिलाने सहित अन्य आदेश पारित किये थे.

फैसले के रूप में अविनाश कुमार ने 23 सितंबर को मारपीट के एक मामले में दो आरोपियों को 5 बच्चों को मुफ्त में दूध पिलाने के शर्त पर जमानत दी थी. इससे पहले 22 सितंबर को एडीजे ने एक आरोपित को फलदार पेड़ लगाने के शर्त पर जमानत दी थी. वहीं, लौकहा थाना के एक गांव में छेड़खानी के एक मामले में आरोपित युवक को 6 माह तक गांव के सभी महिलाओं के कपड़े साफ करने के शर्त पर जमानत मिली थी.

इसे भी पढ़ें- भैंस चोरी के आरोपी के जमानत की अनोखी शर्त, कोर्ट के फैसले को सुनकर हैरान रह जाएंगे आप...

हालांकि, इन फैसलों को लेकर पटना हाई कोर्ट ( Patna High Court ) ने एडीजे का पावर सीज कर दिया है. हाईकोर्ट के महानिबंधक की तरफ से जारी आदेश में उनके न्यायिक कार्य करने पर रोक लगा दी गई है.

इसे भी पढ़ें- इस शर्त पर मिली जमानत...'6 महीने तक धोने होंगे गांव की सभी महिलाओं के कपड़े, फ्री में आयरन भी'

मधुबनी: आज के दौर में जब लोग कोर्ट-कचहरी का नाम सुनते ही कन्नी काटने लगते हैं. जब छोटे से छोटे काम के लिए जटिल न्यायिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ऐसे दौर में गंभीर धाराओं के तहत जेल में बंद आरोपी को महज 'सड़क छाप कुत्ते को पालने', खाना खिलाने की शर्त पर जमानत दे दिया.

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दरअसल, मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड के भेजा थाना के महपतिया गांव का है. भेजा थाना कांड संख्या-123/2019 के आरोपी मो. सज्जाद आईपीसी की धारा 307 का आरोपी था. लेकिन मधुबनी सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार ने आरोपी को घर में एक कुत्ते पालने और और ऐसे पांच सड़क छाप कुत्तों को एक महीने तक खाना खिलाने की शर्त पर जमानत दे दी है.

इस मामले के अधिवक्ता आशुतोष कुमार यादव ने कहा कि मो. सज्जाद ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया है. अब इस कार्य को लेकर उसे 45 दिनों के बाद पंचायत के मुखिया सरपंच या वार्ड पार्षद से प्रमाण पत्र लेकर कोर्ट को सौंपना है.

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आपको बताते चलें कि मो. सज्जाद मछली पालन का काम करता है. बीते दिनों मछली मारने को लेकर ही दो पक्षों के बीच विवाद हो गया था. अपने फर्द बयान में वादी ने कहा था कि मेरे घर के सामने अवस्थित तालाब में आरोपी मछली मार रहा था, तभी हमलोगों ने उसे रोका. लेकिन रुकने के बजाय उसने गालीगलौज करना शुरू कर दिया और चाकू से हमला कर दिया.

इस हमले में कई लोग घायल हो गए थे. वहीं, भेजा थाना में इस पूरे में मामले में 7 लोगों को आरोपित बनाया गया था. इसी के बाद आरोपी पक्ष की तरफ से न्यायालय में जमानत याचिका दायर की गई, जिसे कुत्ते पालने और उन्हें खिलाने की शर्त पर रिहा कर दिया गया.

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बता दें कि अनोखे फैसले सुनाने को लेकर मधुबनी के झंझारपुर सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार इन दिनों काफी सुर्खियों में आ गए हैं. हाल ही में उन्होंने उन्होंने कपड़ा धोने, नाली साफ करने और बच्चों को दूध पिलाने सहित अन्य आदेश पारित किये थे.

फैसले के रूप में अविनाश कुमार ने 23 सितंबर को मारपीट के एक मामले में दो आरोपियों को 5 बच्चों को मुफ्त में दूध पिलाने के शर्त पर जमानत दी थी. इससे पहले 22 सितंबर को एडीजे ने एक आरोपित को फलदार पेड़ लगाने के शर्त पर जमानत दी थी. वहीं, लौकहा थाना के एक गांव में छेड़खानी के एक मामले में आरोपित युवक को 6 माह तक गांव के सभी महिलाओं के कपड़े साफ करने के शर्त पर जमानत मिली थी.

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हालांकि, इन फैसलों को लेकर पटना हाई कोर्ट ( Patna High Court ) ने एडीजे का पावर सीज कर दिया है. हाईकोर्ट के महानिबंधक की तरफ से जारी आदेश में उनके न्यायिक कार्य करने पर रोक लगा दी गई है.

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