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ग्राउंड रिपोर्ट: कोसी का कहर जारी, बाढ़ के प्रकोप से 50 हजार लोग प्रभावित

मधेपुर प्रखंड के लोगों ने बताया कि हम लोगों को 6 महीना बाढ़ और 6 महीना सुखार की त्रासदी झेलनी पड़ती है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद, मंत्री कोई देखने के लिए नहीं आता है. सिर्फ चुनाव के समय में वोट मांगने के लिए ही आते हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट
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Published : Aug 21, 2020, 5:47 PM IST

मधुबनी: सूबे के मुखिया नीतीश कुमार विकास के नाम पर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकते हैं, लेकिन हकीकत में विकास अभी भी कोसों दूर है. हम बात कर रहे हैं मधुबनी जिले के फुलपरास विधानसभा क्षेत्र के मधेपुर प्रखंड की. जहां 7 पंचायत के करीब 50 हजार से अधिक की आबादी के लिए सिर्फ एक नाव की व्यवस्था है. मधुबनी से 80 किलोमीटर दूर फुलपरास विधानसभा क्षेत्र के मधेपुर प्रखंड के भगता, बसी पट्टी, गड़गाव, लाहवन, मेहसा, गेवाल, मेनाराही, बकुआ, भरगामा, महिपतिया और बकुआ पंचायत के दर्जनों गांव कोशी नदी में आई बाढ़ से त्रस्त हैं.

कई लोगों की हो चुकी है मौत
दरअसल, इस इलाके के लोगों का आवागमन का एकमात्र साधन नाव ही है. नाव ही सहारा होने के कारण लोगों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है. 50 से 100 की संख्या में लोग एक बार नाव से सारा सामान लेकर नदी पार करते हैं. जिससे अनहोनी घटना घटने का डर हमेशा बना रहता है. कई बार यहां घटनाएं हो भी चुकी है. यहां तक की प्रसव के लिए महिला, बीमार वृद्ध को खटिया पर लादकर लाना होता है. इस दौरान कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. फिर भी शासन-प्रशासन के लोग कुंभकरण निद्रा में सोए हुए हैं.

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नाव की सवारी करते लोग

'कोई देखना वाला नहीं'
स्थानीय लोगों ने बताया कि हम लोगों को 6 महीना बाढ़ और 6 महीना सुखार की त्रासदी झेलनी पड़ती है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद, मंत्री कोई देखने के लिए नहीं आता है. सिर्फ चुनाव के समय में वोट मांगने के लिए ही आते हैं. वहीं जेडीयू के प्रदेश महासचिव लालेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि 1854 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय कोसी तटबंध का निर्माण किया गया था. उस दौरान सुपौल में यहां के लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि एक आंख दुनिया पर रहेगी, दूसरी आंख इस इलाके के लोगों पर. लेकिन यह सारा बात कागज पर ही रह गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

'50 हजार की आबादी प्रभावित'
लालेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि इलाके के लोगों का विकास काफी अधूरा है. बाढ़ के समय में बड़ी मुसीबत झेलनी पड़ती है. एकमात्र सहारा यहां के लोगों का नाव ही है. उन्होंने कहा कि इससे 50 हजार की आबादी प्रभावित है. फुलपरास विधानसभा क्षेत्र से गुलजार देवी दो बार विधायक बन चुकी है, लेकिन इलाके का विकास वो नहीं करा सकी है. जिससे लोगों में काफी आक्रोश है. अब देखना है चुनावी साल में भी इन इलाके के लोगों को पूल उपहार में सरकार दे पाती है या नहीं.

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नाव ही सहारा

मधुबनी: सूबे के मुखिया नीतीश कुमार विकास के नाम पर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकते हैं, लेकिन हकीकत में विकास अभी भी कोसों दूर है. हम बात कर रहे हैं मधुबनी जिले के फुलपरास विधानसभा क्षेत्र के मधेपुर प्रखंड की. जहां 7 पंचायत के करीब 50 हजार से अधिक की आबादी के लिए सिर्फ एक नाव की व्यवस्था है. मधुबनी से 80 किलोमीटर दूर फुलपरास विधानसभा क्षेत्र के मधेपुर प्रखंड के भगता, बसी पट्टी, गड़गाव, लाहवन, मेहसा, गेवाल, मेनाराही, बकुआ, भरगामा, महिपतिया और बकुआ पंचायत के दर्जनों गांव कोशी नदी में आई बाढ़ से त्रस्त हैं.

कई लोगों की हो चुकी है मौत
दरअसल, इस इलाके के लोगों का आवागमन का एकमात्र साधन नाव ही है. नाव ही सहारा होने के कारण लोगों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है. 50 से 100 की संख्या में लोग एक बार नाव से सारा सामान लेकर नदी पार करते हैं. जिससे अनहोनी घटना घटने का डर हमेशा बना रहता है. कई बार यहां घटनाएं हो भी चुकी है. यहां तक की प्रसव के लिए महिला, बीमार वृद्ध को खटिया पर लादकर लाना होता है. इस दौरान कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. फिर भी शासन-प्रशासन के लोग कुंभकरण निद्रा में सोए हुए हैं.

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नाव की सवारी करते लोग

'कोई देखना वाला नहीं'
स्थानीय लोगों ने बताया कि हम लोगों को 6 महीना बाढ़ और 6 महीना सुखार की त्रासदी झेलनी पड़ती है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद, मंत्री कोई देखने के लिए नहीं आता है. सिर्फ चुनाव के समय में वोट मांगने के लिए ही आते हैं. वहीं जेडीयू के प्रदेश महासचिव लालेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि 1854 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय कोसी तटबंध का निर्माण किया गया था. उस दौरान सुपौल में यहां के लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि एक आंख दुनिया पर रहेगी, दूसरी आंख इस इलाके के लोगों पर. लेकिन यह सारा बात कागज पर ही रह गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

'50 हजार की आबादी प्रभावित'
लालेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि इलाके के लोगों का विकास काफी अधूरा है. बाढ़ के समय में बड़ी मुसीबत झेलनी पड़ती है. एकमात्र सहारा यहां के लोगों का नाव ही है. उन्होंने कहा कि इससे 50 हजार की आबादी प्रभावित है. फुलपरास विधानसभा क्षेत्र से गुलजार देवी दो बार विधायक बन चुकी है, लेकिन इलाके का विकास वो नहीं करा सकी है. जिससे लोगों में काफी आक्रोश है. अब देखना है चुनावी साल में भी इन इलाके के लोगों को पूल उपहार में सरकार दे पाती है या नहीं.

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नाव ही सहारा
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