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मधुबनी: 17 जून से शुरू होगा जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण सत्र, 1 से 5 साल के बच्चे को लगाया जाएगा टीका

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Published : Jun 8, 2020, 9:23 PM IST

17 जून से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में एक महीने में टीकाकरण के 3 सत्र का आयोजन किया जाएगा. जिसमें 1 से 5 साल के बच्चे को टीका लगाया जाएगा. टीकाकरण के लिए शारीरिक दूरी का अनुपालन करना अनिवार्य होगा.

मधुबनी
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मधुबनी: 17 जून से जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस के टीकाकरण कार्य को फिर से शुरू किया जाएगा. इसको लेकर कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सिविल सर्जन डॉक्टर सुनील कुमार झा को एक पत्र भी लिखा है. टीकाकरण स्थल पर एक महीने में तीन सत्र का आयोजन किया जाएगा.

1 से 5 साल के बच्चे को लगाया जाएगा टीका
17 जून से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में एक महीने में टीकाकरण के 3 सत्र का आयोजन किया जाएगा. जिसमें 1 से 5 साल के बच्चे को टीका लगाया जाएगा. प्रत्येक सत्र में स्वास्थ्यकर्मियों को 10 जेई वैक्सीन दिए जाएंगे. टीकाकरण के लिए शारीरिक दूरी का अनुपालन करना अनिवार्य होगा. वहीं, 6 से 15 साल के बच्चे का टिकाकरण विद्यालय के संचालन प्रारंभ होने के बाद किया जाएगा.

'टीकाकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण'
डीआईओ डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया कि टीकाकरण प्रारंभ करने के पूर्व टीकाकर्मी को प्रशिक्षण दिया जाएगा. टीकाकरण सत्र पर स्थाई और बाह्य टीकाकरण सत्रों पर जेई टीकाकरण संबंधित टैली सीट दिया जाएग. सभी टीके के आंकड़ों को टैली सीट में भरना होगा. टीकाकरण स्थल पर ही जेई टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावे इस बिमारी को लेकर प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना है. वहीं, मेडिकल कचरे का निस्तारण सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमानुसार किया जाएगा.

क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस ?
जापानी इंसेफेलाइटिस एक प्रकार का दिमागी बुखार है. यह बिमारी बच्चों में वायरल संक्रमण के कारण होता है. यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाले जगहों पर सबसे ज्यादा पनपता है. आमतौर पर यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. इस बिमारी के कारण बिहार में हर साल सैकड़ों नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है.

जपानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण
जापानी इन्सेफेलाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने, और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी भी होती है. यह बिमारी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में सबसे ज्यादा फैलता है. आमतौर पर इससे 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों प्रभावित होते हैं.

जापानी इन्सेफेलाइटिस से बचाव के उपाय
इस बिमारी से बचने के लिए नवजात बच्चे का समय से टीकाकरण कराएं. साफ-सफाई का खास ख्याल रखे. अपने आवास के आस-पास गंदे पानी को जमा नहीं होने दें. साफ और उबाल कर पानी पिये. बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खाना दे. बुखार होने पर जल्द से जल्द पास के अस्पताल में जाकर संपर्क करें.

मधुबनी: 17 जून से जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस के टीकाकरण कार्य को फिर से शुरू किया जाएगा. इसको लेकर कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सिविल सर्जन डॉक्टर सुनील कुमार झा को एक पत्र भी लिखा है. टीकाकरण स्थल पर एक महीने में तीन सत्र का आयोजन किया जाएगा.

1 से 5 साल के बच्चे को लगाया जाएगा टीका
17 जून से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में एक महीने में टीकाकरण के 3 सत्र का आयोजन किया जाएगा. जिसमें 1 से 5 साल के बच्चे को टीका लगाया जाएगा. प्रत्येक सत्र में स्वास्थ्यकर्मियों को 10 जेई वैक्सीन दिए जाएंगे. टीकाकरण के लिए शारीरिक दूरी का अनुपालन करना अनिवार्य होगा. वहीं, 6 से 15 साल के बच्चे का टिकाकरण विद्यालय के संचालन प्रारंभ होने के बाद किया जाएगा.

'टीकाकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण'
डीआईओ डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया कि टीकाकरण प्रारंभ करने के पूर्व टीकाकर्मी को प्रशिक्षण दिया जाएगा. टीकाकरण सत्र पर स्थाई और बाह्य टीकाकरण सत्रों पर जेई टीकाकरण संबंधित टैली सीट दिया जाएग. सभी टीके के आंकड़ों को टैली सीट में भरना होगा. टीकाकरण स्थल पर ही जेई टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावे इस बिमारी को लेकर प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना है. वहीं, मेडिकल कचरे का निस्तारण सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमानुसार किया जाएगा.

क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस ?
जापानी इंसेफेलाइटिस एक प्रकार का दिमागी बुखार है. यह बिमारी बच्चों में वायरल संक्रमण के कारण होता है. यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाले जगहों पर सबसे ज्यादा पनपता है. आमतौर पर यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. इस बिमारी के कारण बिहार में हर साल सैकड़ों नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है.

जपानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण
जापानी इन्सेफेलाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने, और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी भी होती है. यह बिमारी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में सबसे ज्यादा फैलता है. आमतौर पर इससे 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों प्रभावित होते हैं.

जापानी इन्सेफेलाइटिस से बचाव के उपाय
इस बिमारी से बचने के लिए नवजात बच्चे का समय से टीकाकरण कराएं. साफ-सफाई का खास ख्याल रखे. अपने आवास के आस-पास गंदे पानी को जमा नहीं होने दें. साफ और उबाल कर पानी पिये. बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खाना दे. बुखार होने पर जल्द से जल्द पास के अस्पताल में जाकर संपर्क करें.

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