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मधुबनीः बाढ़ से मखाने की फसल हो गई थी बर्बाद, किसानों ने की मुआवजे की मांग - मधुबनी में मखाने की खेती

किसान ने कहा कि बाढ़ से मखाना किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. सरकार की तरफ से हमें कुछ भी मुआवजा नहीं मिल है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की.

मधुबनी
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Published : Jan 11, 2020, 3:27 PM IST

मधुबनीः जिले में आई बाढ़ ने किसानों को पूरी तरह तोड़ दिया है. बाढ़ से खेतों में लगी फसल को बहुत नुकसान हुआ है. मखाना के किसान भी इसी का दंश झेल रहे हैं. इस बार जिले में मखाना के ज्यादातर फसल बाढ़ से नष्ट हो गए, जो थोड़ी बहुत बची भी है, उसे तैयार करना किसानों के लिए बड़ी चुनौती है.

सरकार से मुआवजे की मांग
किसानों ने बताया कि इसकी तैयारी में 4 से 8 लोगों को लगाना पड़ता है, दिन रात मेहनत करनी पड़ती है. मेहनत के अनुरूप फसल का दाम नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि बाढ़ से मखाना किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. सरकार की तरफ से हमें कुछ भी मुआवजा नहीं मिल है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

मिथिला का मखाना देशभर में है प्रसिद्ध
किसानों ने बताया कि मखाने को तैयार करनी की लंबी प्रक्रिया है. पहले तालाब से गुली को बाहर निकाला जाता है. फिर उसे धूप में तीन से चार दिनों तक सुखाया जाता है. उसके बाद चूल्हे पर भूना जाता है, फिर गोली को फोड़कर मखाना तैयार किया जाता है. बता दें कि मिथिला का मखाना देशभर में प्रसिद्ध है.

मधुबनीः जिले में आई बाढ़ ने किसानों को पूरी तरह तोड़ दिया है. बाढ़ से खेतों में लगी फसल को बहुत नुकसान हुआ है. मखाना के किसान भी इसी का दंश झेल रहे हैं. इस बार जिले में मखाना के ज्यादातर फसल बाढ़ से नष्ट हो गए, जो थोड़ी बहुत बची भी है, उसे तैयार करना किसानों के लिए बड़ी चुनौती है.

सरकार से मुआवजे की मांग
किसानों ने बताया कि इसकी तैयारी में 4 से 8 लोगों को लगाना पड़ता है, दिन रात मेहनत करनी पड़ती है. मेहनत के अनुरूप फसल का दाम नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि बाढ़ से मखाना किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. सरकार की तरफ से हमें कुछ भी मुआवजा नहीं मिल है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

मिथिला का मखाना देशभर में है प्रसिद्ध
किसानों ने बताया कि मखाने को तैयार करनी की लंबी प्रक्रिया है. पहले तालाब से गुली को बाहर निकाला जाता है. फिर उसे धूप में तीन से चार दिनों तक सुखाया जाता है. उसके बाद चूल्हे पर भूना जाता है, फिर गोली को फोड़कर मखाना तैयार किया जाता है. बता दें कि मिथिला का मखाना देशभर में प्रसिद्ध है.

Intro:मधुबनी
मिथिला की प्रसिद्ध मखाना खेती के किसानों को नही मिल रही उचित मूल्य ,किसानों को मेहनत के अनुसार नही मिल पाती मूल्य , मधुबनीBody:मधुबनी
मिथिला की प्रसिद्ध मखाना की खेती के किसानों को नही मिल रही उचित मूल्य ।बाढ़ के कारण अधिकांश मखाना की फसल बर्बाद हो गई । जो कुछ बचा उसे तैयार करने में बहुत ज्यादा मजदूर लगते हैं।मेहनत बहुत ज्यादा है।4 से 8 व्यक्ति को एक साथ काम करना पड़ता है।दिन रात काम करने के उपरांत मखाना तैयार किया जाता हैं।तालाब से पहले गुली को बाहर निकाला जाता है फिर उसे धूप में सुखाकर लकड़ी के चूल्हे पर भुजा जाता है फिर गोली को फोड़कर मखाने तैयार होति है।लेकिन सरकार के उदासीन रवैया अपनाने के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता। मजदूरी बहुत देनी पड़ती हैं।किंकर्तव्य मूड की स्थिति बनी हुई हैं ।जबकि मखाना की उपयोग लोग पूजा अर्चना में करते है, फल के रूप में ,सब्जी के रूप में करते है।
बाईट रामफल मुखिया मखान किसान
बाइट सतो मुखिया किसान
राज कुमार झा,मधुबनीConclusion:सरकार कब इन मखाना की खेती करने वाले किसानों की सुधि ले पाते हैमखाना मिथिला ही नही पूरे देश में प्रसिद्ध हैं।
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