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मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास की 168वीं जयंती, मधुबनी में स्मृति पर्व समारोह का आयोजन - मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास

मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास (Mithila poet Pandit Lal Das) की 168वीं जयंती के खास मौके पर खड़ौआ हाई स्कूल प्रांगण में स्मृति पर्व समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल, पूर्व विधान पार्षद सह अयोध्या के राममंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल और कई लोग मौजूद रहे. आगे पढ़ें पूरी खबर...

मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास
मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास
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Published : Nov 1, 2022, 1:55 PM IST

मधुबनी: मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास की 168 वीं जयंती सह स्मृति पर्व समारोह (168th Birth Anniversary of Pandit Lal Das) का आयोजन खड़ौआ हाई स्कूल प्रांगण में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल, पूर्व विधान पार्षद सह अयोध्या राममंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल, डॉ दीपक कुमार सिंह,संस्था के अध्यक्ष, पूर्व प्रखंड प्रमुख अनूप कश्यप और अन्य अतिथि ने किया. अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष अनूप कश्यप, सचिव भगीरथ लाल दास ने मिथिला के रीति रिवाज के अनुसार किया. अतिथियों ने उद्घाटन से पूर्व स्कूल परिसर में स्थापित महाकवि की प्रतिमा पर माल्यर्पण किया.

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महाकवि ने 20 से ज्यादा पुस्तके लिखी: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा कि मिथिला में लालदास जैसे महान कवि हुए यह हमें मालूम भी नहीं था, पहली बार जानकारी मिली है. महाकवि ने जानकी रामायण सहित 20 से ज्यादा पुस्तके लिखी थी. नारी शिक्षा और नारी सशक्तिकरण के वो पुरोधा थे. महाकवि लिखित रामायण में आठ खंड थे जिसमें आठवां खंड पुष्कर कांड था, इसमें जगत जननी सीता माता के विषय में लिखा है. पंडित लाल दास का जन्म खरौआ गांव में 1856 वर्ष में हुआ था. स्कूल प्रांगण में आयोजन को स्थायी मंच देने की घोषणा की गई. सांसद ने कहा कि सांसद निधि से स्कूल को कला मंच मार्च तक दिया जाएगा.

विद्वानों की धरती है मिथिला: राम मंदिर ट्रस्टी सह पूर्व विधान पार्षद कामेश्वर चौपाल ने कहा कि मिथिला संपूर्ण भारतवर्ष में सांस्कृतिक केंद्र रहा है. सर्व धर्म शास्त्र की रचना मिथिला में हुई है. जगतगुरु शंकराचार्य पहले मिथिला के मंदिर मिश्र ही आए. मिथिला विद्वानों की धरती है. यहां बिखरे मोती की तरह विद्वान हैं. अयोध्या में श्रीराम है तो मिथिला में जगत जननी सीता है. सीता माता की शक्ति को महाकवि ने अपने कलम से आवाज दी थी. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में महाकवि लालदास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डॉ नरेश झा, डॉ दीपक कुमार सिंह एवं डॉ सुरेश पासवान ने अपना विचार रखा. आयोजन समिति द्वारा प्रकाशित महाकवि पं.लालदास पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन भी किया गया.

"मिथिला संपूर्ण भारतवर्ष में सांस्कृतिक केंद्र रहा है. सर्व धर्म शास्त्र की रचना मिथिला में हुई है. जगतगुरु शंकराचार्य पहले मिथिला के मंदिर मिश्र ही आए थे. मिथिला विद्वानों की धरती है, मिथिला में बिखरे मोती की तरह विद्वान हैं. मिथिला की घरती विद्ववानों से भरी है. अयोध्या में श्रीराम है तो मिथिला में जगत जननी सीता है. सीता माता की शक्ति को महाकवि ने अपने कलम से आवाज दी थी."-कामेश्वर चौपाल, राम मंदिर ट्रस्टी

पढ़ें- अररिया में एकता दिवस पर मैराथन का आयोजन, युवाओं को किया गया सम्मानित

मधुबनी: मिथिला के महाकवि पंडित लाल दास की 168 वीं जयंती सह स्मृति पर्व समारोह (168th Birth Anniversary of Pandit Lal Das) का आयोजन खड़ौआ हाई स्कूल प्रांगण में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल, पूर्व विधान पार्षद सह अयोध्या राममंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल, डॉ दीपक कुमार सिंह,संस्था के अध्यक्ष, पूर्व प्रखंड प्रमुख अनूप कश्यप और अन्य अतिथि ने किया. अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष अनूप कश्यप, सचिव भगीरथ लाल दास ने मिथिला के रीति रिवाज के अनुसार किया. अतिथियों ने उद्घाटन से पूर्व स्कूल परिसर में स्थापित महाकवि की प्रतिमा पर माल्यर्पण किया.

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महाकवि ने 20 से ज्यादा पुस्तके लिखी: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा कि मिथिला में लालदास जैसे महान कवि हुए यह हमें मालूम भी नहीं था, पहली बार जानकारी मिली है. महाकवि ने जानकी रामायण सहित 20 से ज्यादा पुस्तके लिखी थी. नारी शिक्षा और नारी सशक्तिकरण के वो पुरोधा थे. महाकवि लिखित रामायण में आठ खंड थे जिसमें आठवां खंड पुष्कर कांड था, इसमें जगत जननी सीता माता के विषय में लिखा है. पंडित लाल दास का जन्म खरौआ गांव में 1856 वर्ष में हुआ था. स्कूल प्रांगण में आयोजन को स्थायी मंच देने की घोषणा की गई. सांसद ने कहा कि सांसद निधि से स्कूल को कला मंच मार्च तक दिया जाएगा.

विद्वानों की धरती है मिथिला: राम मंदिर ट्रस्टी सह पूर्व विधान पार्षद कामेश्वर चौपाल ने कहा कि मिथिला संपूर्ण भारतवर्ष में सांस्कृतिक केंद्र रहा है. सर्व धर्म शास्त्र की रचना मिथिला में हुई है. जगतगुरु शंकराचार्य पहले मिथिला के मंदिर मिश्र ही आए. मिथिला विद्वानों की धरती है. यहां बिखरे मोती की तरह विद्वान हैं. अयोध्या में श्रीराम है तो मिथिला में जगत जननी सीता है. सीता माता की शक्ति को महाकवि ने अपने कलम से आवाज दी थी. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में महाकवि लालदास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डॉ नरेश झा, डॉ दीपक कुमार सिंह एवं डॉ सुरेश पासवान ने अपना विचार रखा. आयोजन समिति द्वारा प्रकाशित महाकवि पं.लालदास पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन भी किया गया.

"मिथिला संपूर्ण भारतवर्ष में सांस्कृतिक केंद्र रहा है. सर्व धर्म शास्त्र की रचना मिथिला में हुई है. जगतगुरु शंकराचार्य पहले मिथिला के मंदिर मिश्र ही आए थे. मिथिला विद्वानों की धरती है, मिथिला में बिखरे मोती की तरह विद्वान हैं. मिथिला की घरती विद्ववानों से भरी है. अयोध्या में श्रीराम है तो मिथिला में जगत जननी सीता है. सीता माता की शक्ति को महाकवि ने अपने कलम से आवाज दी थी."-कामेश्वर चौपाल, राम मंदिर ट्रस्टी

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