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'शराब बंदी का साइड इफेक्ट, पढ़ाई लिखाई छोड़ युवा पीढ़ी कर रही शराब तस्करी'

1 अप्रैल 2016 से मुख्यमंत्री ने करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान सहकर शराब बंदी का साहसिक कदम उठाया था. इससे कुछ दिनों तक शराब सेवन करने वालों की संख्या में कमी भी आई. लेकिन बाद में शराब माफियाओं की पहुंच पहले से भी ज्यादा शहर और ग्रामीण क्षेत्र के हर टोले कस्बे में बन गई.

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Published : Jan 16, 2020, 9:35 AM IST

madhepura
शराब बंदी का साइड इफेक्ट

मधेपुरा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार में शराब बंदी का कदम काफी सराहनीय है. लेकिन राज्य में अब इसका साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है. शराब तस्करी का धंधा अब पैर पसारता नजर आ रहा है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के युवा अब पढ़ाई लिखाई छोड़कर पैसे की लालच में शराब की तस्करी कर रहे हैं.

दूसरे प्रदेश से पहुंच रहा शराब
1 अप्रैल 2016 से मुख्यमंत्री ने करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान सहकर शराब बंदी का साहसिक कदम उठाया था. इससे कुछ दिनों तक शराब सेवन करने वालों की संख्या में कमी भी आई. लेकिन बाद में शराब माफियाओं की पहुंच पहले से भी ज्यादा शहर और ग्रामीण क्षेत्र के हर टोले कस्बे में बन गई. जिससे आज दूसरे प्रदेश और पड़ोसी देश नेपाल से शराब धड़ल्ले से यहां पहुंच रहा है.

शराब बंदी का साइड इफेक्ट

'पुलिस की मिलीभगत से हो रही तस्करी'
सामाजिक कार्यकर्ता सह आरजेडी के प्रदेश महासचिव प्रभाष कुमार ने कहा कि शराब बंदी का साइड इफेक्ट अब समाज पर तेजी से दिख रहा है. युवी पढ़ाई लिखाई छोड़कर अब पैसों की लालच में धड़ल्ले से शराब तस्करी का धंधा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें पुलिस की मिलीभगत भी रहती है और यह काफी चिंता का विषय है.

दिनों दिन बढ़ रही शराब माफियाओं की पहुंच
वहीं प्रोफेसर तेजनारायण यादव ने इसपर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. उन्होंने कहा कि उत्पाद विभाग के कर्मी और अधिकारियों की मिलीभगत से पढ़े लिखे युवी इस धंधे से जुड़ रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शराब माफियाओं की पहुंच दिन ब दिन बढ़ती जा रही है.

मधेपुरा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार में शराब बंदी का कदम काफी सराहनीय है. लेकिन राज्य में अब इसका साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है. शराब तस्करी का धंधा अब पैर पसारता नजर आ रहा है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के युवा अब पढ़ाई लिखाई छोड़कर पैसे की लालच में शराब की तस्करी कर रहे हैं.

दूसरे प्रदेश से पहुंच रहा शराब
1 अप्रैल 2016 से मुख्यमंत्री ने करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान सहकर शराब बंदी का साहसिक कदम उठाया था. इससे कुछ दिनों तक शराब सेवन करने वालों की संख्या में कमी भी आई. लेकिन बाद में शराब माफियाओं की पहुंच पहले से भी ज्यादा शहर और ग्रामीण क्षेत्र के हर टोले कस्बे में बन गई. जिससे आज दूसरे प्रदेश और पड़ोसी देश नेपाल से शराब धड़ल्ले से यहां पहुंच रहा है.

शराब बंदी का साइड इफेक्ट

'पुलिस की मिलीभगत से हो रही तस्करी'
सामाजिक कार्यकर्ता सह आरजेडी के प्रदेश महासचिव प्रभाष कुमार ने कहा कि शराब बंदी का साइड इफेक्ट अब समाज पर तेजी से दिख रहा है. युवी पढ़ाई लिखाई छोड़कर अब पैसों की लालच में धड़ल्ले से शराब तस्करी का धंधा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें पुलिस की मिलीभगत भी रहती है और यह काफी चिंता का विषय है.

दिनों दिन बढ़ रही शराब माफियाओं की पहुंच
वहीं प्रोफेसर तेजनारायण यादव ने इसपर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. उन्होंने कहा कि उत्पाद विभाग के कर्मी और अधिकारियों की मिलीभगत से पढ़े लिखे युवी इस धंधे से जुड़ रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शराब माफियाओं की पहुंच दिन ब दिन बढ़ती जा रही है.

Intro:मधेपुरा में शराब बंदी का साइड इफेक्ट ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के युवा अब पढ़ाई लिखाई छोड़ पैसे की लालच में पैर पसार रहे हैं शराब तस्करी के धंधे में।


Body: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में शराब बंदी करके देश विदेश में अपना अलग पहचान भी बनाए हैं,और शराब बंदी से सामाजिक रहन सहन में भी काफी बदलाव आया है।उल्लेखनीय बात तो यह है कि शराब बंदी से पूर्व हत्या, लूट ,अपहरण एवं दुष्कर्म की सर्वाधिक घटनाएं हुआ करती थी।शराब बंदी कानून लागू होने के बाद चहु ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खूब वाह वाही भी हुई।इसका मुख्य कारण था कि मुख्यमंत्री ने करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान सहकर शराब बंदी का साहसिक कदम उठाया ।इससे समाज व परिवार में शांति सदभाव का माहौल भी बना।शराब सेवन करने बालों की संख्या में भाड़ी कमी भी आई।शराब बंदी के कुछ दिन बाद तक तो सबकुछ ठीक ठाक नजर आया।लेकिन न जाने कैसे शराब माफिया का पहुँच पहले से भी अधिक शहर तो शहर ग्रामीण क्षेत्र के हर टोले कस्बे में बन गई ,यही कारण है कि आज दूसरे प्रदेश व पड़ोसी देश नेपाल से शराब धड़ल्ले से पहुँच रहे हैं।सवाल उठता है जब शराब की पूर्ण रूपेण बंदी है बिहार में तो दूसरे प्रदेश से शराब ट्रक से लाकर गांव गांव कैसे पहुँच रहा है।स्तानीय प्रबुद्धजनों का कहना है कि शराब बंदी के कारण अब समाज पर साइड इफेक्ट का प्रभाव तेजी से पर रह है।सामाजिक कार्यकर्ता सह राजद के प्रदेश महासचिव ई0प्रभाष कुमार ने कहा कि शराब बंदी के कारण पढ़ाई लिखाई करने बाले युवक अब पैसे के लालच में शराब तस्करी का धंधा धड़ल्ले से करने लगे हैं।उन्होंने कहा कि पुलिस की मिलीभगत से आज युवा शराब के धंधे में पैर पसार रहा है जो चिंता का विषय है।मुखिया संघ के अध्यक्ष अनिल अनल और प्रो0तेजनारायण यादव ने कहा कि स्थानीय पुलिस तथा उत्पाद विभाग के कर्मी व अधिकारी की मिलीभगत से ही पढ़े लिखे युवा शराब तस्करी के धंधे कर रहे हैं।बाइट--1--ई0प्रभाष कुमार --सामाजिक कार्यकर्ता सह प्रदेश महासचिव राजद।बाइट--2----प्रो0तेजनारायण यादव।बाइट--अनिल अनल---अध्यक्ष मुखिया -संघ मधेपुरा ।


Conclusion:मधेपुरा से रुद्रनारायण।
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