मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा में यूपी और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर शहर की महिलाओं ने बाबा पालकेश्वर मंदिर प्रांगण से घर में प्रयुक्त पूजन सामग्री यानी फूल पत्तियां आदि अनुष्ठान की सामग्री को घर घर से उठाने हेतु निर्माल्य रथ को हरी झंडी दिखाई है. जानकारी मिली है कि इस काम को शहर की क्षेत्रीय महिलाओं की पहल पर शुरू की गई है. इसके जरिए पूजन सामग्री में प्रयुक्त फूल पति,बेल पत्र आदि सामग्री को उठाया जाएगा.
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रविवार को हर घर जाएगा निर्माल्य रथ: महिलाओं का कहना है कि हर रविवार को निर्माल्य रथ घर-घर से पूजन सामग्री का उठाव कर खेत में डालेगी. जिससे खेतों में उर्वरा शक्ति भी प्रदान होगी. कचड़े के नदी तालाब आदि में नहीं जाने से वह स्थान भी स्वच्छ होगा. यह निर्मल्य रथ वाहन प्रत्येक रविवार को शहर में घर-घर जाकर पूजा कर फेंके गए पूजन सामग्री को एकत्रित कर खेतों में डालेगा. ताकि लोग नदी में उस सामग्री को प्रवाहित नहीं कर सके. इस नई पहल से खासकर नदी और घर के आस-पास का वातावरण प्रदूषण मुक्त रहेगा.
"यह हम लोगों के स्वच्छता की ओर एक पहल है. जो पूरे बिहार में पहली बार मधेपुरा से शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि पूजन सामग्री वाहन के द्वारा एकत्रित कर उसे एक जगह खेतों में नष्ट कर दिया जाएगा. जिससे किसानों के खेत में उर्वरा शक्ति भी प्रदान होगी.": अर्पणा कुमारी, समाजसेवी महिला
मधेपुरा से हो रही शुरुआत: इस संबंध में उपस्थित अनुराधा देवी,अर्पणा कुमारी ने कहा कि यह हम लोगों के स्वच्छता की ओर एक पहल है. जो पूरे बिहार में पहली बार मधेपुरा से शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि पूजन सामग्री वाहन के द्वारा एकत्रित कर उसे एक जगह खेतों में नष्ट कर दिया जाएगा. जिससे किसानों के खेत में उर्वरा शक्ति भी प्रदान होगी. उन महिलाओं ने कहा कि इस तरह के कार्य के लिए कभी कोई सोचा भी नहीं था. यह पहल क्षेत्रीय महिलाओं के द्वारा की गई है. ये पहल अपने आप में अनोखा और अतुलनीय है.
स्थानीय लोगों ने की सराहना: अक्सर आप देखते होंगे की पूजा करने के बाद घर की महिलाएं को पूजन सामग्री को फेंकने के लिए जगह की उपलब्धता नहीं रहने के कारण यूं ही सड़क किनारे फेंक दिया जाता था. नहीं तो कहीं पर भी कचरे के ढेर पर फेंक दिया जाता है. कहीं भी जगह नहीं मिलने पर नजदीक के नदी या तालाब में डाल दिया जाता था. जिससे नदी और तालाब काफी प्रदूषित होता था. अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि निर्मल्य रथ से सबकुछ संभव हो सकेगा. स्थानीय लोग भी इस काम को सराहनीय कदम बता रहे हैं. इस बाबत कार्यक्रम के मुख्य आयोजक अर्पणा कुमारी,अनुराधा देवी ने बताया कि इस काम के लिए मधेपुरा बिहार का पहला जिला बन गया है. जहां इस तरह का कार्य प्रारंभ किया गया है.