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साइंस टीचर ने जुगाड़ से बनाई e-Bike.. बिना पेट्रोल के देती है 70 km का माइलेज

मधेपुरा में शख्स ने कबाड़ से ई बाइक बनाई (Science teacher made e bike in Madhepura). विज्ञान के शिक्षक किशोर कुमार सिंह ने 3 हजार में खरीदी पुरानी बाइक को जुगाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक में बदल दिया. यह बाइक एक बार चार्ज करने पर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 70 किलोमीटर तक चलती है. पढ़ें पूरी खबर..

कबाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक
कबाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक
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Published : Mar 19, 2022, 8:07 PM IST

मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा में विज्ञान के शिक्षक ने कबाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक (Electric Bike from Junk) बनाई है. जिस बाइक से वो अपनी दैनिक जरूरत का काम करते थे, उसे ही उन्होंने जुगाड़ से ई-बाइक बना दिया है. मधेपुरा के किशोर कुमार सिंह (Kishore Kumar Singh of Madhepura) अमित इलेक्ट्रॉनिक के नाम से दुकान चलाते हैं. बीते 10 सालों से वो इलेक्ट्रॉनिक बाइक बनाने के काम पर लगे थे. दो बाइक पहले भी बना चुके थे, लेकिन वो सक्सेस नहीं हुआ. लेकिन, यह बाइक लुक और स्टाइल में भी किसी से कम नहीं है.

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कबाड़ से बनाई इलेक्ट्रिक बाइक: दरअसल, यह बाइक यामहा की आर एक्स 100 है. इसका उत्पादन कई साल पहले भारत में बंद हो गया था. यह बाइक या तो कबाड़ में मिलती है या लोग शौक से अपने घर में रखते हैं. किशोर ने इसे 3 हजार रुपये में कबाड़ में खरीदी और इसे इलेक्ट्रिक बाइक में बदल दिया. इसके इंजन को उतारकर चमचमाते स्टील बॉक्स में लिथियम आयन बैटरी डाली गई. एयर बॉक्स में चार्जर और इसका चार्जिंग पॉइंट बनाया गया. सबसे बड़ा काम मोटर सेट करना और चक्के को घुमाना था, इसके लिए किशोर ने हब मोटर ऑनलाइन मंगवाई. इसे यामहा के चक्के में सेट करना भी एक बड़ा चैलेंज था. किशोर ने यामहा के हब में पल्सर के हब को सेट किया और उसमें मोटर लगाई.

10 सालों की मेहनत लाई रंग: मधेपुरा के किशोर कुमार सिंह बीते 10 सालों से इलेक्ट्रॉनिक बाइक बनाने के काम पर लगे थे. अब कबाड़ की तीन हजार की बाइक इलेक्ट्रिक बाइक में बदल गई. किशोर बताते हैं कि यह बाइक एक बार चार्ज करने पर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 70 किलोमीटर तक चलती है. उन्होंने कहा कि वो अपना सारा जरूरी काम इसी बाइक से निपटाते हैं. बढ़ते तेल के दाम में यह काफी किफायती है.

भविष्य में ई-कार बनाने की इच्छा: किशोर के दोस्त बताते हैं कि किशोर को बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक से काफी लगाव रहा है. कम उम्र से ही बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक में नया-नया प्रयोग करते रहते हैं. जब बाजार में इनवर्टर नहीं आया था, तो ये अपने हाथ से इनवर्टर बनाते थे. आज भी यदि कोई इलेक्ट्रॉनिक आयटम ठीक कराना होता है तो लोग इनके पास ही आते हैं. 10 साल के प्रयास के बाद किशोर ने कबाड़ से चमचमाती इलेक्ट्रिक बाइक बनाई है, लेकिन अब वो कबाड़ से इलेक्ट्रिक कार बनाने की सोच रहे हैं. उन्होंने बताया कि डायग्राम तैयार है बस एक सस्ती कबाड़ वाली कार की जरूरत है.

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मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा में विज्ञान के शिक्षक ने कबाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक (Electric Bike from Junk) बनाई है. जिस बाइक से वो अपनी दैनिक जरूरत का काम करते थे, उसे ही उन्होंने जुगाड़ से ई-बाइक बना दिया है. मधेपुरा के किशोर कुमार सिंह (Kishore Kumar Singh of Madhepura) अमित इलेक्ट्रॉनिक के नाम से दुकान चलाते हैं. बीते 10 सालों से वो इलेक्ट्रॉनिक बाइक बनाने के काम पर लगे थे. दो बाइक पहले भी बना चुके थे, लेकिन वो सक्सेस नहीं हुआ. लेकिन, यह बाइक लुक और स्टाइल में भी किसी से कम नहीं है.

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कबाड़ से बनाई इलेक्ट्रिक बाइक: दरअसल, यह बाइक यामहा की आर एक्स 100 है. इसका उत्पादन कई साल पहले भारत में बंद हो गया था. यह बाइक या तो कबाड़ में मिलती है या लोग शौक से अपने घर में रखते हैं. किशोर ने इसे 3 हजार रुपये में कबाड़ में खरीदी और इसे इलेक्ट्रिक बाइक में बदल दिया. इसके इंजन को उतारकर चमचमाते स्टील बॉक्स में लिथियम आयन बैटरी डाली गई. एयर बॉक्स में चार्जर और इसका चार्जिंग पॉइंट बनाया गया. सबसे बड़ा काम मोटर सेट करना और चक्के को घुमाना था, इसके लिए किशोर ने हब मोटर ऑनलाइन मंगवाई. इसे यामहा के चक्के में सेट करना भी एक बड़ा चैलेंज था. किशोर ने यामहा के हब में पल्सर के हब को सेट किया और उसमें मोटर लगाई.

10 सालों की मेहनत लाई रंग: मधेपुरा के किशोर कुमार सिंह बीते 10 सालों से इलेक्ट्रॉनिक बाइक बनाने के काम पर लगे थे. अब कबाड़ की तीन हजार की बाइक इलेक्ट्रिक बाइक में बदल गई. किशोर बताते हैं कि यह बाइक एक बार चार्ज करने पर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 70 किलोमीटर तक चलती है. उन्होंने कहा कि वो अपना सारा जरूरी काम इसी बाइक से निपटाते हैं. बढ़ते तेल के दाम में यह काफी किफायती है.

भविष्य में ई-कार बनाने की इच्छा: किशोर के दोस्त बताते हैं कि किशोर को बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक से काफी लगाव रहा है. कम उम्र से ही बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक में नया-नया प्रयोग करते रहते हैं. जब बाजार में इनवर्टर नहीं आया था, तो ये अपने हाथ से इनवर्टर बनाते थे. आज भी यदि कोई इलेक्ट्रॉनिक आयटम ठीक कराना होता है तो लोग इनके पास ही आते हैं. 10 साल के प्रयास के बाद किशोर ने कबाड़ से चमचमाती इलेक्ट्रिक बाइक बनाई है, लेकिन अब वो कबाड़ से इलेक्ट्रिक कार बनाने की सोच रहे हैं. उन्होंने बताया कि डायग्राम तैयार है बस एक सस्ती कबाड़ वाली कार की जरूरत है.

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