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मधेपुरा: रख-रखाव के अभाव में लाखों की लागत से बना एसी पोस्टमॉर्टम भवन हुआ जर्जर - मधेपुरा सदर अस्पताल

इस भवन में पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर, सहायक और एक स्वीपर के रहने की व्यवस्था भी की गई थी. लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी इसमें बिजली की सप्लाई तक नहीं दी गई है.

post-mortem building of araria is in bad condition
रख-रखाव के अभाव में लाखों की लागत से बना वातानुकूलित पोस्टमार्टम भवन हुआ जर्जर
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Published : Dec 8, 2019, 11:21 PM IST

मधेपुरा: बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल पाए, इसको लेकर सरकारी खजाने से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बड़ी राशि खर्च की जाती है. लेकिन जिला सदर अस्पताल परिसर में बने एसी पोस्टमॉर्टम भवन की हालत रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी है.

5 वर्ष पहले हुआ था निर्माण
पूरा मामला मधेपुरा सदर अस्पताल परिसर में बने वातानुकूलित पोस्टमार्टम भवन से जुड़ा है. जिसे तकरीबन 5 वर्ष पहले तैयार करा कर अस्पताल प्रबंधन को सौंपा गया था. लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है. इस भवन में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, सहायक और एक स्वीपर के रहने की व्यवस्था भी की गई थी. लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी इसमें बिजली की सप्लाई तक नहीं दी गई है.

पेश है रिपोर्ट

जिसकी वजह से आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर पर ऐसे शव जिनकी शिनाख्त लंबे समय तक नहीं हो पाती है, उन्हें इस एसी पोस्टमार्टम भवन में रखने की व्यवस्था की गई थी.

ये भी पढ़ें: पटना: दूसरे राज्य की गाड़ियों पर परिवहन विभाग ने शुरू की कार्रवाई, जल्द लिया जाएगा जुर्माना

दीवारों पर पड़ रही दरार
वर्तमान में इस पोस्टमार्टम भवन के कमरों को अस्पताल प्रबंधन स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल कर रही है. दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं, तो वहीं फर्श भी अब टूटने लगे हैं. लेकिन करोड़ों रूपये की लागत से बने इस भवन की देखरेख करने वाला कोई भी मौजूद नहीं है. हालांकि इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से बात की गई तो वह पूरे मामले पर अनजान दिखे. उन्होंने कहा कि भवन बिल्कुल सही स्थिति में है. अगर उसमें कुछ दिक्कतें आ रही हैं, तो उसकी मरम्मत कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

मधेपुरा: बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल पाए, इसको लेकर सरकारी खजाने से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बड़ी राशि खर्च की जाती है. लेकिन जिला सदर अस्पताल परिसर में बने एसी पोस्टमॉर्टम भवन की हालत रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी है.

5 वर्ष पहले हुआ था निर्माण
पूरा मामला मधेपुरा सदर अस्पताल परिसर में बने वातानुकूलित पोस्टमार्टम भवन से जुड़ा है. जिसे तकरीबन 5 वर्ष पहले तैयार करा कर अस्पताल प्रबंधन को सौंपा गया था. लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है. इस भवन में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, सहायक और एक स्वीपर के रहने की व्यवस्था भी की गई थी. लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी इसमें बिजली की सप्लाई तक नहीं दी गई है.

पेश है रिपोर्ट

जिसकी वजह से आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर पर ऐसे शव जिनकी शिनाख्त लंबे समय तक नहीं हो पाती है, उन्हें इस एसी पोस्टमार्टम भवन में रखने की व्यवस्था की गई थी.

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दीवारों पर पड़ रही दरार
वर्तमान में इस पोस्टमार्टम भवन के कमरों को अस्पताल प्रबंधन स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल कर रही है. दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं, तो वहीं फर्श भी अब टूटने लगे हैं. लेकिन करोड़ों रूपये की लागत से बने इस भवन की देखरेख करने वाला कोई भी मौजूद नहीं है. हालांकि इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से बात की गई तो वह पूरे मामले पर अनजान दिखे. उन्होंने कहा कि भवन बिल्कुल सही स्थिति में है. अगर उसमें कुछ दिक्कतें आ रही हैं, तो उसकी मरम्मत कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

Intro:बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल पाए इसको लेकर सरकारी खजाने से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बड़ी राशि खर्च की जाती है। लेकिन मधेपुरा जिला सदर अस्पताल परिसर में बने वातानुकूलित पोस्टमार्टम भवन की स्थिति रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी है।


Body:दरअसल पूरा मामला मधेपुरा सदर अस्पताल परिसर में बने वातानुकूलित पोस्टमार्टम भवन से जुड़ा है।जिसे तकरीबन 5 वर्ष पूर्व तैयार करा कर अस्पताल प्रबंधन को सुपुर्द किया गया था। लेकिन जमीनीस्तर पर अब तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है। आपको बता दें कि इस भवन में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, सहायक और एक स्वीपर के रहने की व्यवस्था की गई थी। यह भवन पूरी तरीके से वातानुकूलित बनाया गया था लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी इसमें बिजली की सप्लाई तक नहीं दी गई है।जिसकी वजह से आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर ऐसे शव जिनकी शिनाख्त लंबे समय तक नहीं हो पाती है उन्हें इस वातानुकूलित पोस्टमार्टम भवन में रखने की व्यवस्था की गई थी। वर्तमान में इस पोस्टमार्टम भवन के कमरों को अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं तो वही फर्श भी अब टूटने लगे हैं। लेकिन करोड़ों की लागत से बने इस भवन की देखरेख करने वाला कोई भी जिम्मेदार मौजूद नहीं है।


Conclusion:हालांकि इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से बात की गई तो वह पूरे मामले पर अनजान दिखें।उन्होंने कहा कि भवन बिल्कुल सही स्थिति में है। अगर उसमें कुछ दिक्कतें आ रही हैं तो उसे मरम्मत कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

बाईट-1
मुरारी कुमार - जाप नेता

बाईट-2
सुभाष चंद्र श्रीवास्तव
मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी
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