मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा (Madhepura) में एक दर्जन गांव ऐसे हैं, जहां की लड़की और लड़के से दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी और बेटे की शादी नहीं करना चाहते हैं. इसकी वजह यह है कि सभी पंचायत नदी से घिरे हैं (Panchayats surrounded by river). इन पंचायत में जाने-आने का एक मात्र साधन नाव ही है. सरकार भले ही विकास के लाख दावे क्यों न कर ले. लेकिन अब भी आवागमन की मुक्कमल व्यवस्था करने में सरकार फेल है.
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शादी करने के लिए लोग परेशान
मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत स्थित मोरसंडा पंचायत सहित आस-पास के गांव के बगल से गुजरने वाली नदी में पुल नहीं बनाया गया है. जिसके कारण दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी और बेटे की शादी नहीं करना चाहते हैं. यही कारण है कि इस गांव में कुंवारे लड़के और लड़की की फौज खड़ी हो गयी है. अपनी बेटे और बेटी की शादी करने के लिए लोग परेशान हैं.
कई लोगों की हो चुकी है मौत
बता दें कि इस गांव के लोग पूरे साल जान जोखिम में डालकर नदी पार करके जीवन-यापन चलाने को मजबूर हैं. खासकर बरसात के समय में नदी जब उफनाती है तो, लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है. इस दौरान कई बार नाव डूबने से कई लोगों की जान भी गई है. स्थानीय पंचायत समिति सदस्य मुकेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2008 में आई कुसहा बाढ़ त्रासदी के दौरान यहां का पुल ध्वस्त हो गया था.
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दर्जनों गांव का आवागमन बाधित
इसके बाद पुल का निर्माण किया गया था. लेकिन घटिया निर्माण के कारण फिर पुल 2012 में आई बाढ़ में पूरी तरह ध्वस्त हो गया. आठ साल गुजर जाने के बाद भी सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण अब तक पुल निर्माण नहीं किया जा सका है. जिससे दर्जनों गांव का आवागमन बाधित हो गया है और लोग जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करने को मजबूर रहते हैं.
कई बार की शिकायत
स्थानीय लोगों ने बताया कि साल 2012 से लेकर अब तक कई बार इसकी जानकारी वर्तमान विधायक से लेकर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव और जिला पदाधिकारी को दी गई. लेकिन तब से अब तक सिर्फ स्थल निरीक्षण और आश्वासन के सिवा लोगों को कुछ भी नहीं मिला है.
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