मधेपुरा : कोरोना वायरस के मद्देनजर पूरे देश में लॉकडाउन है, जिसकी वजह से कल-कारखानों के साथ शिक्षण संस्थान भी पिछले लंबे समय से बंद चल रहे हैं. छात्रों के भविष्य को लेकर अभिभावकों में भी काफी चिंताएं हैं. मधेपुरा जिले के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक सशक्त नजर आ रहे हैं. अब वह खुद से ही अपने बच्चों के पठन-पाठन का जिम्मा संभाल कर आत्मनिर्भर बना रहे हैं.
'हमारी आर्थिक व्यवस्था पर ध्यान दे सरकार'
दरअसल, सरकार के द्वारा जारी किए गए लॉकडाउन की वजह से शिक्षण संस्थान बंद हैं. छात्रों के पठन-पाठन में बड़े पैमाने पर रुकावट आई है. ऐसे में प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था कराई जा रही है. जिन परिजनों के पास स्मार्टफोन है, वह वर्तमान की व्यवस्था में सरलता से बच्चों की पढ़ाई पूरी करा पा रहे हैं. लेकिन सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के पास ना तो कंप्यूटर है और ना ही स्मार्ट फोन की व्यवस्था है.
पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित
रोजाना 3 सौ रुपए कमाने वाले अभिभावक दो वक्त की रोटी को तरस रहे हैं, उनके लिए स्मार्टफोन खरीदना किसी सपने जैसा है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्र और उनके परिजनों के अंदर पढ़ाई-लिखाई को लेकर काफी चिंताएं हैं. इसी बीच मधेपुरा जिले के भर्राही क्षेत्र के रहने वाले अभिभावक सुनील कुमार यादव सशक्त और आत्मनिर्भर नजर आ रहे हैं. सुनील खुद से ही बच्चों को बगीचे में बैठाकर सोशल डिस्टेंशन का ख्याल रखते हुए पढ़ा रहे हैं.
सरकार लॉकडाउन रखे जारी
अभिभावक सुनील कुमार यादव का कहना है कि लॉकडाउन के कारण सब कुछ बंद है. स्कूल भी बंद हो चुके हैं. हम लोग के पास मोबाइल नहीं है, ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में हम लोग जानते भी नहीं है. अपने बच्चों को खुद से ही आपस में दूरी बनाकर हम पढ़ा रहे हैं. ताकि बच्चे लोग खेलकूद से ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान दें सकें. मैं एक पान दुकानदार हूं और साथ में खेती भी करता हूं. काफी दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन लॉकडाउन आमजन के हित के लिए ही जारी हुआ है. सरकार को इसे जारी रखना चाहिए.