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पारंपरिक खेती छोड़ मछली पालन करने में जुटे किसान, हो रही बंपर आमदनी

किसान आलोक कुमार ने बताया कि जिस तरह मछली की बिक्री हो रही है. उससे अच्छी आमदनी होने की संभावना है. अगर किसान को खुशहाल बनना है तो पारंपरिक खेती के साथ-साथ मछली पालन से जुड़ना होगा.

मछली पालन
मछली पालन
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Published : May 10, 2020, 2:39 PM IST

मधेपुरा: जिले के किसान अब तेजी से मछली पालन की ओर अग्रसर हो रहे हैं. किसान परंपरागत खेती को छोड़ कर मछली पालन को वरीयता दे रहे हैं. दरअसल, कोसी प्रमंडल क्षेत्र के मधेपुरा, सहरसा और सुपौल के किसान खेती-किसानी से लेकर रोजी-रोजगार की परिभाषा बदल रहे हैं. किसानों का कहना है कि मछली पालन अब हमारे लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं ब्लकि यह हमारे सपनों को पंख देने का जरिया बन गया है. यहां के किसान नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर अपनी आमदनी को दोगुनी करने में जुटे हुए हैं.

बाहर से मछली मांगाने की नहीं होगी जरूरत
मधेपुरा प्रखंड के बखरी गांव में पहली बार बीस एकड़ में तालाब का निर्माण कर मछली की खेती करने वाले किसान आलोक कुमार ने बताया कि जिस तरह मछली की बिक्री हो रही है. उससे अच्छी आमदनी होने की संभावना है. इसी गांव के अन्य मछली पालक किसान भूषण रजक ने कहा कि मछली से अच्छी आमदनीं हो रही है. अगर किसान को खुशहाल बनना है तो पारंपरिक खेती के साथ-साथ मछली पालन से जुड़ना होगा.

मधेपुरा में मछली पालन
मधेपुरा में मछली करने वाले किसान पालन

'दूसरे प्रदेशों से आता है मछली चारा'
मछली पालकों का कहना है कि मछली पालन में सबसे बड़ी समस्या मछली को खाने वाले दाने यानी फीड की हो रही है. क्योंकि मछली का चारा दूसरे प्रदेश से मंगाना पड़ रहा है.उन्होंने कहा कि बखरी गांव में एक फीड फैक्ट्री खुला है. लेकिन लॉक डाउन के कारण चालू नहीं हो सका है. इस फैक्ट्री के चालू हो जाने के बाद मछली का चारा आसानी से कम कीमत पर घर में ही मिल जाएगा. इसके बाद तो आमदनी में और बढ़ोत्तरी हो जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

तेजी से बढ़ा रहा मछली पालन
गौरतलब है कि कोसी प्रमंडल क्षेत्र के मधेपुरा, सहरसा और सुपौल जिले समेत बिहार में कई अन्य जिले के किसान तेजी से मछली पालन से जुड़ रहे हैं. ऐसे में खासकर मधेपुरा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर मछली तालाब का निर्माण किया जा रहा है. जिले में कोई ऐसा पंचायत नहीं है. जहां के किसान मछली पालन नहीं कर रहे हो. ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब बिहार मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा.

आलोक कुमार, सफल मछली पालक
आलोक कुमार, सफल मछली पालक

मधेपुरा: जिले के किसान अब तेजी से मछली पालन की ओर अग्रसर हो रहे हैं. किसान परंपरागत खेती को छोड़ कर मछली पालन को वरीयता दे रहे हैं. दरअसल, कोसी प्रमंडल क्षेत्र के मधेपुरा, सहरसा और सुपौल के किसान खेती-किसानी से लेकर रोजी-रोजगार की परिभाषा बदल रहे हैं. किसानों का कहना है कि मछली पालन अब हमारे लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं ब्लकि यह हमारे सपनों को पंख देने का जरिया बन गया है. यहां के किसान नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर अपनी आमदनी को दोगुनी करने में जुटे हुए हैं.

बाहर से मछली मांगाने की नहीं होगी जरूरत
मधेपुरा प्रखंड के बखरी गांव में पहली बार बीस एकड़ में तालाब का निर्माण कर मछली की खेती करने वाले किसान आलोक कुमार ने बताया कि जिस तरह मछली की बिक्री हो रही है. उससे अच्छी आमदनी होने की संभावना है. इसी गांव के अन्य मछली पालक किसान भूषण रजक ने कहा कि मछली से अच्छी आमदनीं हो रही है. अगर किसान को खुशहाल बनना है तो पारंपरिक खेती के साथ-साथ मछली पालन से जुड़ना होगा.

मधेपुरा में मछली पालन
मधेपुरा में मछली करने वाले किसान पालन

'दूसरे प्रदेशों से आता है मछली चारा'
मछली पालकों का कहना है कि मछली पालन में सबसे बड़ी समस्या मछली को खाने वाले दाने यानी फीड की हो रही है. क्योंकि मछली का चारा दूसरे प्रदेश से मंगाना पड़ रहा है.उन्होंने कहा कि बखरी गांव में एक फीड फैक्ट्री खुला है. लेकिन लॉक डाउन के कारण चालू नहीं हो सका है. इस फैक्ट्री के चालू हो जाने के बाद मछली का चारा आसानी से कम कीमत पर घर में ही मिल जाएगा. इसके बाद तो आमदनी में और बढ़ोत्तरी हो जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

तेजी से बढ़ा रहा मछली पालन
गौरतलब है कि कोसी प्रमंडल क्षेत्र के मधेपुरा, सहरसा और सुपौल जिले समेत बिहार में कई अन्य जिले के किसान तेजी से मछली पालन से जुड़ रहे हैं. ऐसे में खासकर मधेपुरा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर मछली तालाब का निर्माण किया जा रहा है. जिले में कोई ऐसा पंचायत नहीं है. जहां के किसान मछली पालन नहीं कर रहे हो. ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब बिहार मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा.

आलोक कुमार, सफल मछली पालक
आलोक कुमार, सफल मछली पालक
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