मधेपुराः जिले के नगर पंचायत क्षेत्र में नदी के किनारे लाखों रुपए की लागत से विद्युत शवदाह गृह बनाया गया था. यह बन तो गया लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं होने के कारण यह कभी चालू नहीं हो पाया. इस कारण लोग नदी किनारे शव को जलाने को मजबूर है.
10 सालों से बंद है मुक्तिधाम
बता दें कि सन् 2010 में पीएचईडी विभाग की ओर से नगर के भिरखी पश्चिम के महादलित टोला में शवदाह गृह का निर्माण कराया गया था. निर्माण पूरा होने के बाद उसे नगर परिषद को सौंप दिया गया था. लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद अभी तक शवदाह गृह में एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो पाया है.
नदी किनारे शव का दाह संस्कार
सूर्य मंदिर के अध्यक्ष गोपी पंडित ने बताया कि आम लोग नदी किनारे शव का अंतिम संस्कार करते हैं और बचे हुए अवशेषों को नदी किनारे छोड़ देते हैं. जिसकी वजह से नदी का जल प्रदूषित हो रहा है. उन्होंने बताया कि शवदाह गृह में लगे उपकरण जंग खाकर खुद मुक्ति की कगार पर आ गए हैं.
नगर परिषद करेगी विद्युतीकरण
मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है. जिसके तहत जिले में बने प्रत्येक शव दाह गृह का विद्युतीकरण कराया जाना है. जल्द ही इन शवदाह गृहों का विद्युतीकरण कर इनकी शुरुआत की जाएगी.