मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा में रेलवे परिसर के पूर्वी भाग में दुर्गा पूजा के अवसर पर रावण दहन कार्यक्रम का अयोजन किया गया. हैरत की बात तो यह है कि रावण दहन कार्यक्रम स्थल बिल्कुल मधेपुरा पूर्णियां रूट के रेल लाइन की पटरी से महज दस पन्द्रह फीट की दूरी पर था. दर्शकों की भीड़ इतनी थी कि मेला ग्राउंड खचा खच भर जाने के कारण महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग रेल पटरी पर बैठकर और खड़े होकर घंटो रावण दहन कार्यक्रम को देखते रहे. गनीमत रही इस दौरान वहां से कोई ट्रेन नहीं गुजरी वरना कईयों की जानें जा सकती थीं.
घंटो पटरियों पर मौजूद रही लोगों की भीड़: जिले में रावण दहन का कार्यक्रम इस जगह पर वर्षो से होता आ रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले न तो इतनी भीड़ होती थी और न ही बड़ी रेल लाइन थी. इस रूट पर ट्रेन की सांख्य भी काम हुआ करती थी लेकिन जब से बड़ी रेल लाइन हुई है, तब ट्रेनों की सांख्य भी बढ़ गई है. जिससे बड़ी घटना हो सकती है.
"यहां कई सालों से रापण दहन का कार्यक्रम होता आ रहा है. पहले यहां लोगों की इतनी भीड़ नहीं जुटती थी. वहीं यहां बड़ी रेल लाइन भी नहीं थी, अब बड़ी लाइन के आने से ऐसे हादसे का खतरा बढ़ गया है."-स्थानीय
पुलिस प्रशासन के सामने हुआ रावण दहन: लोगों का कहना है कि रावण दहन कार्यक्रम के दौरान रेल पटरी पर दर्शकों को बैठने नहीं दिया जाना चाहिए. उल्लेखनीय बात तो यह भी है कि कार्यक्रम स्थल मधेपुरा रेलवे स्टेशन में सटा हुआ है. जहां आरपीएफ की पुलिस चौकी भी है, फिर भी कोई देखने वाला नहीं था. हालांकि कार्यक्रम स्थल पर जिला प्रशासन के अधिकारी के अलावा पुलिस के वरीय और कनीय अधिकारी भी मौजूद थे. रावन दहन कार्यक्रम का ऐसा ही नजारा 2018 में अमृतसर में भी था.
कैसे हुआ था अमृतसर रेल हादसा ? घटना 19 अक्टूबर 2018 की है, जब एक ट्रेन अमृतसर में हाजारों की भीड़ को रौंदते हुए निकल गई, लेकिन ये घटना रेलवे की गलतियों के कारण नहीं बल्कि आम लोगों और स्थानीय प्रशासन की लपारवाही के कारण हुई थी. दरअसल अमृतसर के लोग जौड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे. इसी बीच एक ट्रेन वहां से गुजर गई. पटाखों की आवाज में ट्रेन का हार्न और लोगों की चीखें दब गई, किसी को कुछ पता ही नहीं चला और ट्रेन लोगों को कुचल कर काफी दूर निकल गई. इस घटना में 59 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे.