मधेपुरा: मंगलवार को कला भवन परिसर में मजदूर और किसान की समस्या को लेकर सीपीआई नेताओं ने उग्र प्रदर्शन किया. देश में कोरोना महामारी को लेकर लगाये गए लॉक डाउन से खासकर किसान और मजदूर का जीना मुहाल हो गया है. इसी मुद्दे को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
मजदूरों की हो रही मौत
इस मौके पर सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि मजदूर दूसरे प्रदेश से पैदल चलकर और बस पर सवार होकर घर आ रहे हैं. इस दौरान कई मजदूरों की मौत हो गई है. इसके लिए सीधे-सीधे केंद्र और राज्य की सरकार जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि मृतक मजदूर के परिजन को बीस-बीस लाख रुपये मुआवजा दिया जाय. साथ ही किसानों को ऋण नहीं राहत मिले, देश में जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी पचास-पचास किलोग्राम अनाज मिले.
'यातना गृह बना क्वॉरेंटाइन सेंटर'
प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि सभी मजदूरों को दस-दस हजार रुपये नकद दिया जाय. ताकि वे कोई न कोई रोजगार भी कर सकें. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की उदासीनता के कारण आज क्वॉरेंटाइन सेंटर यातना गृह बनकर रह गया है. मजदूरों को जानवर की तरह खाना दिया जाता है. इतना ही नहीं क्वॉरेंटाइन सेंटर पर सोशल डिस्टेंस की भी धज्जियां उड़ाई जा रहीं है.
रैक पॉइंट बनाने की मांग
इस मौके पर सीपीआई किसान सभा के राज्य सदस्य रमण कुमार ने कहा कि आज किसान मक्का के फसल को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. उन्होंने सरकार से मधेपुरा रेलवे स्टेशन पर मक्का का रैक पॉइंट बनाने की मांग करते हुए पंचायत स्तर पर मक्का क्रय केंद्र खोलने की भी मांग की. ताकि किसान के फसल अच्छे दामों में बिक सके. कार्यक्रम में पूरे जिले से सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए.