मधेपुरा: जिले के नरसिंहबाग गांव के महादलित छोटू की दोनों आंखें हंसी मजाक में चली गई. छोटू चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करता था. इसी दौरान छोटू के साथी मजदूरों ने मजाक में छोटू की आखों में रासायनिक खाद डाल दिया. जिससे छोटू की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी. इसके बाद उसने इलाज कराया तो भी कई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर वो पूरी तरह से अंधा हो गया.
हंसी मजाक में गवां बैठा आंख
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई छोड़कर छोटू अपने ग्रामीण मजदूरों के साथ चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करने चला गया था. वहीं एक दिन कारखाना के अंदर ही काम करने वाले मजदूर के साथ छोटू भी बैठा हुआ था. तभी अचानक साथी मजदूर एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे.
एक साल के अंदर आंख की रोशनी चली गई
इस दौरान एक मजदूर हाथ में खाद उठाकर छोटू के मुंह पर फेंक दिया. इसी में कुछ खाद का अंश छोटू की दोनों आंखों भी चला गया. उस वक्त छोटू को ये अहसास नहीं हुआ कि उनके लिए खाद खतरनाक साबित होगा और आंख की रौशनी गवां बैठेगा. आंख में खाद जाने के 6 महीने बाद छोटू की दोनों आंखों की रौशनी धीरे-धीरे कम होने लगी. जिसके बाद वो घर आया और इलाज कराने लगा, लेकिन उसकी आखों में कोई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर दोनो आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई.