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मधेपुरा: हंसी-मजाक में दोस्त ने आंख में डाल दिया रासायनिक खाद, चली गई रोशनी

आंख में खाद जाने के 6 महीने बाद छोटू की दोनों आंखों की रौशनी धीरे-धीरे कम होने लगी. जिसके बाद वो घर आया और इलाज कराने लगा, लेकिन उसकी आखों में कोई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर दोनो आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई.

madhepura
चली गई आंख की रोशनी
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Published : Jan 8, 2020, 11:04 AM IST

Updated : Jan 8, 2020, 12:25 PM IST

मधेपुरा: जिले के नरसिंहबाग गांव के महादलित छोटू की दोनों आंखें हंसी मजाक में चली गई. छोटू चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करता था. इसी दौरान छोटू के साथी मजदूरों ने मजाक में छोटू की आखों में रासायनिक खाद डाल दिया. जिससे छोटू की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी. इसके बाद उसने इलाज कराया तो भी कई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर वो पूरी तरह से अंधा हो गया.

हंसी मजाक में गवां बैठा आंख
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई छोड़कर छोटू अपने ग्रामीण मजदूरों के साथ चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करने चला गया था. वहीं एक दिन कारखाना के अंदर ही काम करने वाले मजदूर के साथ छोटू भी बैठा हुआ था. तभी अचानक साथी मजदूर एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे.

आंख में रासायनिक खाद जाने से चली गई रोशनी

एक साल के अंदर आंख की रोशनी चली गई
इस दौरान एक मजदूर हाथ में खाद उठाकर छोटू के मुंह पर फेंक दिया. इसी में कुछ खाद का अंश छोटू की दोनों आंखों भी चला गया. उस वक्त छोटू को ये अहसास नहीं हुआ कि उनके लिए खाद खतरनाक साबित होगा और आंख की रौशनी गवां बैठेगा. आंख में खाद जाने के 6 महीने बाद छोटू की दोनों आंखों की रौशनी धीरे-धीरे कम होने लगी. जिसके बाद वो घर आया और इलाज कराने लगा, लेकिन उसकी आखों में कोई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर दोनो आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई.

मधेपुरा: जिले के नरसिंहबाग गांव के महादलित छोटू की दोनों आंखें हंसी मजाक में चली गई. छोटू चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करता था. इसी दौरान छोटू के साथी मजदूरों ने मजाक में छोटू की आखों में रासायनिक खाद डाल दिया. जिससे छोटू की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी. इसके बाद उसने इलाज कराया तो भी कई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर वो पूरी तरह से अंधा हो गया.

हंसी मजाक में गवां बैठा आंख
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई छोड़कर छोटू अपने ग्रामीण मजदूरों के साथ चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करने चला गया था. वहीं एक दिन कारखाना के अंदर ही काम करने वाले मजदूर के साथ छोटू भी बैठा हुआ था. तभी अचानक साथी मजदूर एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे.

आंख में रासायनिक खाद जाने से चली गई रोशनी

एक साल के अंदर आंख की रोशनी चली गई
इस दौरान एक मजदूर हाथ में खाद उठाकर छोटू के मुंह पर फेंक दिया. इसी में कुछ खाद का अंश छोटू की दोनों आंखों भी चला गया. उस वक्त छोटू को ये अहसास नहीं हुआ कि उनके लिए खाद खतरनाक साबित होगा और आंख की रौशनी गवां बैठेगा. आंख में खाद जाने के 6 महीने बाद छोटू की दोनों आंखों की रौशनी धीरे-धीरे कम होने लगी. जिसके बाद वो घर आया और इलाज कराने लगा, लेकिन उसकी आखों में कोई सुधार नहीं हुआ और एक साल के अंदर दोनो आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई.

Intro:मधेपुरा के दलित छोटू की दोनों आंखें हंसी मजाक में चली गई।मजाक से साथी मजदूर ने छोटू के मुँह पर फेंक दिया था रासायनिक खाद, इसी क्रम में छोटू के आंख में रासायनिक खाद जाने से हो गया अंधा।


Body:हंसी मजाक कभी कभी अचानक भयावह रूप धारण करते हुए खतरनाक साबित हो जाता है।यही हुआ मधेपुरा प्रखंड के नरसिंहबाग गांव के महादलित छोटू कुमार के साथ।बता दें कि छोटू कुमार घर की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए बीच में ही पढ़ाई छोड़कर अपने अन्य ग्रामीण मजदूरों के साथ चेन्नई के एक प्राईवेट रासायनिक खाद कारखाना में मजदूरी करने चला गया।कारखाना में मजदूरी करके छोटू मां बाप व परिवार के अन्य सदस्यों का भरण पोषण खुशी खुशी करने लगा।इसी बीच एक दिन कारखाना के अंदर ही काम करने बाले अन्य मजदूर के साथ छोटू भी बैठा हुआ था कि अचानक साथी मजदूर एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे।और हंसी मजाक के दौरान ही एक मजदूर हाथ में खाद उठाकर छोटू के मुंह पर ही फेंक दिया।इसी में कुछ खाद का अंश छोटू के दोनों आंख भी चला गया।उस वक्त छोटू को ये अहसास नहीं हुआ कि उनके लिए खाद खतरनाक साबित होगा और आंख की रौशनी गवां बैठेंगे।आंख में खाद जाने के छः माह बाद छोटू के दोनों आंख की रौशनी धीरे धीरे कम होने लगी तब जाकर घर आये और इलाज कराने लगे।लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ एक साल के अंदर छोटू पूर्ण रूपेण अंधा हो चूका है।बाइट-1--छोटू कुमार---पीड़ित।बाइट--2----देवन ऋषिदेव---परिजन।


Conclusion:मां बाप को आस जगी थी छोटू कमाकर परिवार का भरण पोषण करेगा।लेकिन ऊपर बाले ने छोटू को ही दूसरे सहारे जीने को मजबूर कर दिया।
Last Updated : Jan 8, 2020, 12:25 PM IST
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