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लाली पहाड़ी पर तीसरे चरण की खुदाई शुरू, घेराबंदी के लिए टेंडर स्वीकृत

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Published : Oct 17, 2019, 10:07 AM IST

प्रोफेसर अनिल कुमार का पुरातत्व के प्रति खासा लगाव है. इस कारण जिले के पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षण के साथ एक नई पहचान मिल रही है. ये लखीसराय जिले के बलीपुर गांव के रहने वाले हैं. लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई है.

लाली पहाड़ी

लखीसराय: जिले के पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने के साथ पहचान दिलाने के लिए प्रोफेसर अनिल कुमार लगातार प्रयासरत हैं. उनके प्रयास से ही आज शहर में वर्षों से बदहाल लाली पहाड़ी की खुदाई संभव हुई. उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. बता दें कि अभी तक लाली पहाड़ी पर दो चरणों में खुदाई का कार्य हुआ है. तीसरे चरण की खुदाई के राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद पड़ाड़ी की खुदाई शुरू हो चुकी है. इसके अलावा उनके प्रयास से जिले के छह पुरातात्विक स्थलों को सरकार ने संरक्षित किया है.

lakhisarai
खुदाई के दौरान मिली मूर्तियां

सीएम के हाथो हुआ था शुभारंभ
प्रोफेसर अनिल कुमार ने जिले के ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए लाली पहाड़ी की खुदाई का शुभारंभ सीएम नीतीश के हाथ 25 नवंबर 2017 को कराया. खुदाई में मिले अवशेषों को देखने के लिए 30 अक्टूबर 2018 को सीएम को फिर से बुलाया गया. सीएम के दूसरे दौरे में जिले के बौद्ध कालीन अवशेषों को जोड़ने के लिए बौद्ध सर्किट बनाने को लेकर क्यूल नदी पर पुल और सड़क निर्माण की घोषणा हुई. संग्रहालय भवन और लाली पहाड़ी, विछ्वे पहाड़, सतसंडा और घोसीकुंडी स्थित पुरातात्विक स्थल को सरकार ने संरक्षित करने की घोषणा की. विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन कोलकाता के प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि जिले के पुरातात्विक स्थलों को संरक्षित कर उसे पहचान दिलाई. ताकि जिला पर्यटन के मानचित्र पर विकसित हो.

लाली पहाड़ी पर तीसरे चरण की खुदाई शुरू

प्रोफेसर अनिल कुमार का पुरातत्व के प्रति खासा लगाव
जिले में जहां-तहां बिखरी मूर्तियों को संरक्षित करने के लिए अस्थाई रूप से संग्रहालय का निर्माण कराया गया. जहां मूर्तियों को सहेज कर रखा गया. बालगुदार में 25.90 करोड़ से संग्रहालयओं की अनुमति मिली है. इसके लिए लोग प्रोफेसर अनिल कुमार के योगदान की सराहना कर रहे हैं. विश्व भारती विश्वविद्यालय कोलकाता में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के रूप में कार्यरत प्रोफेसर अनिल कुमार का पुरातत्व के प्रति खासा लगाव है. इस कारण जिले के पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षण के साथ एक नई पहचान मिल रही है. ये लखीसराय जिले के बलीपुर गांव के रहने वाले हैं. लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई है.

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प्रोफेसर अनिल कुमार

पहाड़ी की घेराबंदी के लिए टेंडर स्वीकृत
लाली पहाड़ी लखीसराय जिले के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और पुरातात्विक अवशेषों का संग्रह है. आज इसकी खुदाई के बाद यह बौद्ध विहार के रूप में विकसित होने लगी है. अब यहां देश-विदेश से लोग भी घूमने आने लगे हैं. बौद्ध सर्किट से जून का महिना खत्म होने के बाद लाली पहाड़ी की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनने जा रही है. लखीसराय निवासी प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि पुरातात्विक स्थलों को सरकार ने संरक्षित किया है. संग्रहालय निर्माण की दिशा में कार्य शुरू हो चुके हैं. लाली पहाड़ी की खुदाई स्थल को ग्लास शेड से ढककर विकसित किया जा रहा है. पहाड़ी की घेराबंदी के लिए टेंडर स्वीकृत हो गए हैं. लाली पहाड़ी को वेबसाइट से भी जोड़ दिया गया है. देश के किसी भी कोने में रहकर लाली पहाड़ी की जानकारी ली जा सकती है.

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खुदाई करता मजदूर

लखीसराय: जिले के पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने के साथ पहचान दिलाने के लिए प्रोफेसर अनिल कुमार लगातार प्रयासरत हैं. उनके प्रयास से ही आज शहर में वर्षों से बदहाल लाली पहाड़ी की खुदाई संभव हुई. उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. बता दें कि अभी तक लाली पहाड़ी पर दो चरणों में खुदाई का कार्य हुआ है. तीसरे चरण की खुदाई के राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद पड़ाड़ी की खुदाई शुरू हो चुकी है. इसके अलावा उनके प्रयास से जिले के छह पुरातात्विक स्थलों को सरकार ने संरक्षित किया है.

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खुदाई के दौरान मिली मूर्तियां

सीएम के हाथो हुआ था शुभारंभ
प्रोफेसर अनिल कुमार ने जिले के ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए लाली पहाड़ी की खुदाई का शुभारंभ सीएम नीतीश के हाथ 25 नवंबर 2017 को कराया. खुदाई में मिले अवशेषों को देखने के लिए 30 अक्टूबर 2018 को सीएम को फिर से बुलाया गया. सीएम के दूसरे दौरे में जिले के बौद्ध कालीन अवशेषों को जोड़ने के लिए बौद्ध सर्किट बनाने को लेकर क्यूल नदी पर पुल और सड़क निर्माण की घोषणा हुई. संग्रहालय भवन और लाली पहाड़ी, विछ्वे पहाड़, सतसंडा और घोसीकुंडी स्थित पुरातात्विक स्थल को सरकार ने संरक्षित करने की घोषणा की. विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन कोलकाता के प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि जिले के पुरातात्विक स्थलों को संरक्षित कर उसे पहचान दिलाई. ताकि जिला पर्यटन के मानचित्र पर विकसित हो.

लाली पहाड़ी पर तीसरे चरण की खुदाई शुरू

प्रोफेसर अनिल कुमार का पुरातत्व के प्रति खासा लगाव
जिले में जहां-तहां बिखरी मूर्तियों को संरक्षित करने के लिए अस्थाई रूप से संग्रहालय का निर्माण कराया गया. जहां मूर्तियों को सहेज कर रखा गया. बालगुदार में 25.90 करोड़ से संग्रहालयओं की अनुमति मिली है. इसके लिए लोग प्रोफेसर अनिल कुमार के योगदान की सराहना कर रहे हैं. विश्व भारती विश्वविद्यालय कोलकाता में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के रूप में कार्यरत प्रोफेसर अनिल कुमार का पुरातत्व के प्रति खासा लगाव है. इस कारण जिले के पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षण के साथ एक नई पहचान मिल रही है. ये लखीसराय जिले के बलीपुर गांव के रहने वाले हैं. लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई है.

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प्रोफेसर अनिल कुमार

पहाड़ी की घेराबंदी के लिए टेंडर स्वीकृत
लाली पहाड़ी लखीसराय जिले के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और पुरातात्विक अवशेषों का संग्रह है. आज इसकी खुदाई के बाद यह बौद्ध विहार के रूप में विकसित होने लगी है. अब यहां देश-विदेश से लोग भी घूमने आने लगे हैं. बौद्ध सर्किट से जून का महिना खत्म होने के बाद लाली पहाड़ी की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनने जा रही है. लखीसराय निवासी प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि पुरातात्विक स्थलों को सरकार ने संरक्षित किया है. संग्रहालय निर्माण की दिशा में कार्य शुरू हो चुके हैं. लाली पहाड़ी की खुदाई स्थल को ग्लास शेड से ढककर विकसित किया जा रहा है. पहाड़ी की घेराबंदी के लिए टेंडर स्वीकृत हो गए हैं. लाली पहाड़ी को वेबसाइट से भी जोड़ दिया गया है. देश के किसी भी कोने में रहकर लाली पहाड़ी की जानकारी ली जा सकती है.

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खुदाई करता मजदूर
Intro:bh_lki_01_began digging the third stage on the red hill_pkg1_7203787
पुरातात्विक अवशेषों को संरक्षित करने में जुटे प्रोफेसर अनिल शर्मा लाली पहाड़ी की खुदाई कर जिले को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान बुधविहार के रूप में हो रहा है विकसित आने लगे बाहर के पर्यटक
जिले के पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने के साथ पहचान दिलाने के लिए प्रोफेसर अनिल कुमार लगातार प्रयासरत हैं उनके प्रयास से ही आज शहर के वर्षों से बदहाल लाली पहाड़ी की खुदाई संभव हुई एवं उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली लाली पाई पर दो चरणों में खुदाई का कार्य हुआ है तीसरे चरण की खुदाई बिहार सरकार नीतीश कुमार द्वारा अनुमति मिल गई है प्रोफेसर अनिल कुमार के नेतृत्व में ही खुदाई शुरू हुई है इसके अलावा उनके प्रयास से जिले के छह पुरातात्विक स्थल को सरकार ने संरक्षित किया है


Body:प्रोफेसर अनिल कुमार ने जिले के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए लाली पहाड़ी की खुदाई कार्य का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ 25 नवंबर 2017 को कराया खुदाई में मिले अवशेषों को देखने के लिए पुनः मुख्यमंत्री को 30 अक्टूबर 2018 को बुलाया मुख्यमंत्री के दूसरे दौरे में जिले के बौद्ध कालीन अवशेषों को जोड़ने के बौद्ध सर्किट बनाने को लेकर क्यूल नदी पर पुल एवं सड़क निर्माण की घोषणा हुई संग्रहालय भवन एवं लाली पहाड़ी विछ्वे पहाड़ सतसंडा एवं घोसीकुंडी स्थित पुरातात्विक स्थल को सरकार ने संरक्षण की घोषणा की है विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन कोलकाता के प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि जिले के पुरातात्विक स्थलों को संरक्षित कर उसे पहचान दिलाया ताकि जिला पर्यटन के मानचित्र पर विकसित हो
जिले में जहां-तहां बिक्री मूर्तियों को संरक्षित करने के लिए अस्थाई रूप से संग्रहालय का निर्माण कराया गया जहां मूर्तियों को सहेज कर रखा गया बालगुदार में 25 दशमलव 90 करोड़ से संग्रहालयओं की अनुमति मिली है इनके लिए प्रोफेसर अनिल कुमार के योगदान की सराहना कर रहे हैं विश्व भारती विश्वविद्यालय कोलकाता में प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के रूप में कार्यरत प्रोफेसर अनिल कुमार का पुरातत्व से लगाव के कारण जिले में संरक्षण के साथ एक नई पहचान मिल रही है ये लखीसराय जिले के बलीपुर गांव के रहने वाले हैं लाली पहाड़ी से इनका कुछ ज्यादा ही लगाव है लाली पहाड़ी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई है


Conclusion:लाली पहाड़ी लखीसराय जिले के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं पुरातात्विक अवशेषों का संग्रह है आज इसकी खुदाई के बाद बौद्ध विहार के रूप में विकसित होने लगा है भारत के बाहर के लोग बौद्ध विहार से जुड़े रहने के कारण यहां आने लगे हैं बौद्ध सर्किट से जून जाने के बाद लाली पहाड़ी का अंतरराष्ट्रीय पहचान बनने जा रही है
लखीसराय निवासी विश्व भारती विश्वविद्यालय कोलकाता के प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि पुरातात्विक स्थल को सरकार ने संरक्षित किया है संग्रहालय निर्माण की दिशा में कार्य शुरू हो चुके हैं लाली पहाड़ी की खुदाई स्थल को गिलास शेड से ढकने व विकसित किया जा रहा है लय पहाड़ी की घेराबंदी की दिशा में टेंडर स्वीकृत हो गए हैं लाली पहाड़ी को वेबसाइट से भी जोड़ दिया गया है देश के किसी भी कोने में रहकर लाली पहाड़ी की जानकारी ली जा सकती है
बाइट - प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा, संयोजक लाली पहाड़ी खुदाई कमेटी
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