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लालू बस पड़ाव उदासीनता का शिकार, करोड़ों की लगात हो जाएगी बेकार?

लखीसराय में बना लालू बस पड़ाव आज उदासीनता का शिकार हो चला है. यहां ना तो बसें ठहरती हैं और जो ठहरती भी हैं, तो उनके लिए यहां व्यवस्थाओं का घोर अभाव है.

बसों के इंतजार में लालू बस पड़ाव
बसों के इंतजार में लालू बस पड़ाव
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Published : Dec 4, 2020, 7:04 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 3:34 PM IST

लखीसराय : जिला समाहरणालय के नजदीक और बाईपास से सटा लालू बस पड़ाव आज उदासीनता का शिकार हो गया है. करोड़ों की लागत से बने इस बस पड़ाव की हालत देख रेख ना किये जाने के चलते बदतर हो चली है. कुछ समय पहले इस बस पड़ाव के गड्ढों को भरा तो गया लेकिन आगे का काम नहीं किया गया.

लालू बस पड़ाव पर जिला प्रशासन ने करोड़ों रुपए लगाकर चार दिवारी और भवन निर्माण करवाया. लेकिन अब इनका अस्तित्व धुमिल होता जा रहा है. यहां बसों का ठहराव भी नहीं हो रहा है. 2004 में सीएम नीतीश कुमार ने इस बस स्टैंड का शिलान्यास किया था. वहीं, इसकी नींव पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने रखी थी.

बसों के इंतजार में लालू बस पड़ाव

सरकारी फाइलों में सिमटा लालू बस पड़ाव!
प्रशासनिक तौर पर किसी बड़े पदाधिकारी के आगमन पर यहां बसों का अंबार लग जाता है. लेकिन जैसे अधिकारी चले जाते तो यह बस पड़ाव पर वीरानी छा जाती है. सफाई और लाइट लगाने के नाम पर इस बस पड़ाव के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. बदस्तूर लालू बस पड़ाव की स्थिति नहीं बदली है.

स्थानीय लोग तो इसी आस में हैं कि कब लालू बस पड़ाव को जीवंत रूप मिलेगा और वे सभी यहां से अपनी गाड़ी पकड़ेंगे.

लखीसराय : जिला समाहरणालय के नजदीक और बाईपास से सटा लालू बस पड़ाव आज उदासीनता का शिकार हो गया है. करोड़ों की लागत से बने इस बस पड़ाव की हालत देख रेख ना किये जाने के चलते बदतर हो चली है. कुछ समय पहले इस बस पड़ाव के गड्ढों को भरा तो गया लेकिन आगे का काम नहीं किया गया.

लालू बस पड़ाव पर जिला प्रशासन ने करोड़ों रुपए लगाकर चार दिवारी और भवन निर्माण करवाया. लेकिन अब इनका अस्तित्व धुमिल होता जा रहा है. यहां बसों का ठहराव भी नहीं हो रहा है. 2004 में सीएम नीतीश कुमार ने इस बस स्टैंड का शिलान्यास किया था. वहीं, इसकी नींव पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने रखी थी.

बसों के इंतजार में लालू बस पड़ाव

सरकारी फाइलों में सिमटा लालू बस पड़ाव!
प्रशासनिक तौर पर किसी बड़े पदाधिकारी के आगमन पर यहां बसों का अंबार लग जाता है. लेकिन जैसे अधिकारी चले जाते तो यह बस पड़ाव पर वीरानी छा जाती है. सफाई और लाइट लगाने के नाम पर इस बस पड़ाव के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. बदस्तूर लालू बस पड़ाव की स्थिति नहीं बदली है.

स्थानीय लोग तो इसी आस में हैं कि कब लालू बस पड़ाव को जीवंत रूप मिलेगा और वे सभी यहां से अपनी गाड़ी पकड़ेंगे.

Last Updated : Dec 15, 2020, 3:34 PM IST
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