किशनगंज: एक तरफ कोरोना का टीका लेने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ टीकाकरण अभियान (Bihar Covid Vaccination News) में बड़ी गड़बड़ी की खबरें भी सामने आती रहती हैं. ऐसा ही एक और मामला किशनगंज में देखने को मिला है. दरअसल 17 वर्षीय एक किशोरी को बिना टीका लिए ही मोबाइल में वैक्सीन (Vaccination Message Received Without Getting Dose In Kishanganj) ले लेने का मैसेज आ गया, जिससे पूरे सिस्टम पर सवाल (Wrong Information On Cowin Portal) खड़ा होना लाजमी है.
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इससे पहले नालंदा में लापरवाह स्वास्थ विभाग की करतूत सामने आई थी. दो किशोर भाइयों को को-वैक्सीन की जगह कोविशील्ड का टीका लगा (Covishield vaccinated instead of Covaxin) दिया गया था. अब किशनगंज के इस मामले के बाद टीकाकरण अभियान (Question on Kishanganj vaccination campaign) पर सवाल खड़े हो रहे हैं. 17 वर्षीय नंदनी प्रसाद (Nandani Prasad Of Kishanganj) गुरुवार को टीका लेने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर का सारा दिन चक्कर भी लगाती रही. लेकिन किसी भी सेंटर पर टीकाकर्मी मौजूद नहीं थे. नंदनी ने बताया कि, पांच जनवरी को टीका लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवायी थी. लेकिन जिले में अत्यधिक ठंड पड़ने की वजह से वो टीका केंद्र नहीं जा सकी.
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वहीं नंदनी ने 6 जनवरी को दोबारा से टीका लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. उन्हें हाई स्कूल चकला में टीका लेने के लिए सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच पहुंचने का मोबाइल पर मैसेज आया. जब नंदनी प्रसाद टीका लेने सेंटर पर पहुंचने वाली थी, तभी उसके मोबाइल पर टीका लेने तक का मैसेज आ गया. जबकि वो केंद्र भी नहीं पहुंची थी. जब नंदनी केंद्र पहुंची तो, उसके साथ मानों काफी भद्दा मजाक हुआ हो. मौके पर कोई कैंप नहीं लगा था और ना ही कोई टीकाकर्मी मौजूद था.
वहीं, नंदनी के पिता रवि साह ने बताया कि, नंदनी को टीका लगवाने के लिए कई वैक्सीनेशन सेंटर का चक्कर लगाया लेकिन, सभी सेंटर बंद थे. जब थक हार कर सिविल सर्जन से उन्होंने संपर्क किया तो, किशोरी को को-वैक्सीन की जगह कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने की सलाह दे रहे थे. जबकि बच्ची के सर्टिफिकेट पर को-वैक्सीन का जिक्र था.नंदनी के पिता ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया.
"बहुत बड़ी लापरवाही हुई है. 5 तारीख को हम टीका लगवाने नहीं जा पाए. 6 तारीख का स्लॉट बुक हुआ था. टीका लेने से पहले ही 11 बजे ही मैसेज आ गया. बच्ची बोली चाचू मेरा सर्टिफिकेट आ गया है. चकला हाई स्कूल गए. यहां से वहां भटकते रहे. सिविल सर्जन के पास गए तो पता चला की कोविशिल्ड दिया जा रहा है. हमने कहा कि, को-वैक्सीन ही लगवाएंगे."- प्रवीर प्रसाद,नंदनी के चाचा
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वहीं, जब मामले को लेकर किशनगंज सिविल सर्जन डॉ सुरेश कुमार से पूछा गया तो, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को छुपाते हुए सारा दोष नंदनी और उसके परिजनों के मत्थे मढ़ दिया. बताते चले कि, कई महीनों तक चली चर्चा के बाद आखिरकार 3 जनवरी से भारत में 15 से 18 साल की आयु के किशोरों को कोविड-19 का टीका लगना आरंभ हुआ. लेकिन उसमें भी घोर लापरवाही का मामला किशनगंज में सामने आया है. सवाल है कि, क्या कागज कलम पर ही किशनगंज स्वास्थ्य विभाग कोरोना से जंग लड़ रही है. ऐसे में देश के भविष्य के साथ कौन खिलवाड़ कर रहा है.
"वैक्सीन नहीं ली है तो उसका एज कितना है... रजिस्ट्रेशन कराकर वैक्सीन नहीं लिया होगा. नहीं लिया तो सर्टिफिकेट तो आएगा ही. पेशेंट की लापरवाही है. कहां का मामला है. ऐसा कुछ इश्यू नहीं है."- सुरेश प्रसाद, सीएस, सदर अस्पताल, किशनगंज
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वहीं इससे पहले भी वैक्सीनेशन अभियान पर सवाल खड़े हो चुके हैं. बिहार में मृतक को कोरोना वैक्सीनेशन के मामलों ने भी सभी को चौंका कर रख दिया था. दरअसल 26 अप्रैल 2021 को छपरा सदर अस्पताल में जिस बुजुर्ग महिला ने पहला डोज लिया था, उसकी 16 सितंबर को बीमारी के चलते मौत हो गई थी. लेकिन 9 दिसंबर को छपरा के स्वास्थ्य विभाग ने मृत महिला को ढूंढकर कोरोना का टीका लगा ( Vaccine Given To Dead Woman In Chapra ) दिया. कोविन पोर्टल पर उनके टीका लगाने का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था. इस मामले में भी स्वास्थ्य विभाग की काफी किरकिरी हुई थी.
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