किशनगंज: बिहार के किशनगंज में सदर अस्पताल (Sadar Hospital Kishanganj) में इलाज और झाड़-फूंक (exorcism) साथ-साथ होते देखा जा सकता है. शनिवार की देर शाम अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड (Emergency Ward) में एक बच्चे का इलाज डॉक्टर और दो-दो तांत्रिक मिलकर साथ-साथ कर रहे थे.
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अस्पताल में अंधविश्वास का खेल
दरअसल, बच्चे को मिर्गी का दौरा पड़ा था, जिसके बाद परिजन उसे सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे. इनके साथ ही एक पुरूष तांत्रिक और दूसरी महिला तांत्रिक भी अस्पताल पहुंच गए. जब डॉक्टर ने बच्चे का इलाज करना शुरू कर दिया, तो तांत्रिक ने भी अपनी झाड़-फूंक शुरू कर दी.
इलाज और झाड़-फूंक साथ-साथ
डॉक्टर के परामर्श के बाद युवक ऑक्सीजन पर था और उसे पानी चढ़ाया जा रहा था. वहीं, तांत्रिक भी झाड़-फूंक कर रहा था. मरीज की मां पारो देवी ने बताया कि वो सदर अस्पताल में सफाई कर्मी के पद पर है और उन्होंने ही तांत्रिक को बुलाया है, ताकि उसका बेटा झाड़-फूंक करने से ठीक हो जाए.
दो-दो तांत्रिक करते दिखे इलाज
आज भी लोगों का विश्वास झाड़-फूंक पर इस कदर है कि वे अपनी जान की परवाह किये बगैर झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर अपनी जिंदगी गंवा बैठते हैं. अस्पतालों में तमाम संसाधन उपलब्ध हाेते हैं, लेकिन इसके बाद भी लोग झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं.
झाड़-फूंक से इलाज का दावा
अस्पताल में महिला तांत्रिक मरीज की ऑक्सीजन पाइप निकाल देने की भी मांग करने लगी. पूछने पर दोनों तांत्रिकों ने बताया कि उनका जिले में काफी नाम है. अब तक 40 से ज्यादा भूतों को इंसान के शरीर से भगा चुके हैं. तांत्रिक ने बताया कि इस मरीज को भी हवा लग गई है, जो उनके तंत्र विद्या से स्वस्थ्य हो जाएगा. जबकि प्रत्यक्षदर्शी इसे अंधविश्वास बताकर अस्पताल में तांत्रिक के द्वारा झाड़-फूंक का विरोध करते दिखे.
मूकदर्शक बने अस्पताल के डॉक्टर
जब सदर अस्पताल के चिकित्सक से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ा है, जिसका इलाज चल रहा है. वहीं, तांत्रिक के सवाल पर उन्होंने कहा कि दूसरे मरीज का इलाज कर रहा था, इसी बीच तांत्रिक पहुंच गया, जिसे भगा दिया गया है.
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आज के वैज्ञानिक युग में इंसान चांद और मंगल ग्रह पर पांव रखने की बात करता है, लेकिन ग्रामीण परिवेश में विज्ञान से बढ़कर अंधविश्वास को ज्यादा मान्यता दी जाती है. सोचने वाली बात है कि लोग अंधविश्वास की बेड़ियों में इस कदर जकड़े हुए हैं कि वो आज भी तंत्र-मंत्र का सहारा ले रहे हैं.