किशनगंज: बिहार के किशनगंज में दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने रावण का मंदिर भी बना रखा है. कोचाधामन प्रखंड के काशी बाड़ी गांव में स्थित रावण के मंदिर में लोग मत्था टेकने पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि रावण मंदिर में सच्चे दिल से अगर कोई मनोकामना की जाए तो वह अवश्य पूरी होती है.
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किशनगंज में रावण की पूजा: किशनगंज का इतिहास काफी पुराना रहा है. जिले की पहचान महाभारत कालीन इतिहास से तो होती है, साथ ही सत्तर फीसदी अल्पसंख्यक बाहुल्य जिले में लंकापति रावण की भी पूजा की जाती है. यह मंदिर किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड स्थित रहमत पाडा ते काशी बाड़ी गांव में अवस्थित है.
की जाती है मंदिर में लंकापति की अराधना: किशनगंज में ग्रामीण रावण की मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. दूर-दूर से भी लोग इस गांव में पहुंचते हैं और रावण से मन्नत मांगते हैं. इस गांव में रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता है. रावण प्रकांड ज्ञानी थे ये सभी जानते हैं. लंकापति अपनी शिव भक्ति के लिए जाने जाते हैं. जब देश के विभिन्न हिस्सों में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं तो इस गांव में राक्षस राज की पूजा अर्चना की जाती है.
प्रकांड विद्वान था रावण: कोचाधामन प्रखंड के रहमत पाड़ा के काशी बाड़ी गांव में रावण का भव्य मंदिर है. इस मंदिर में रावण की पत्थर की मूर्ति स्थापित की गई है.पूरे विधि विधान से ग्रामीण जहां अन्य देवी देवता की पूजा करते हैं, ठीक वैसे ही लंकेश्वर की भी पूजा और आरती की जाती है. मंदिर में स्थापित मूर्ति के दस सिर दिखाए गए हैं और हाथ में शिवलिंग भी है.