किशनगंज: जिले के सुभाषपल्ली चौक स्थित एक निजी नर्सिंग होम में महिला मरीज की मृत्यु के बाद परिजनों ने जमकर बवाल काटा. परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की. मामला तूल पकड़ता देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति नियंत्रण की. इसी बीच कुछ कांग्रेस नेता भी मौके पर पहुंचे. अस्पताल प्रबंधन ने मौत का सौदा करने की कोशिश की. उन्होंने 2.5 लाख मुआवजा लेकर मामला रफा-दफा करने की बात कही.
मामला किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड स्थित हाड़ीभिट्टा गांव का है. जहां की निवासी उमा कुमारी को तीन दिन पहले प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उन्हें सुभाषपल्ली स्थित निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. जो कि अवैध रुप से चलाया जा रहा था.
पुत्र को दिया जन्म
नर्सिंग होम के डॉक्टर दीपक कुमार यादव की देखरेख में महिला ने पुत्र को जन्म दिया. जिसके बाद दो दिन तक वह स्वास्थ्य रही. लेकिन, शनिवार रात होते ही उसकी हालत बिगड़ने लगी. तब संचालक ने महिला को एक इंजेक्शन दिया. जिसके बाद महिला की स्थिति और खराब हो गयी.
महिला ने तोड़ा दम
स्थिति खराब होते देख नर्सिंग होम संचालक ने उसे रेफर करने की बात कही. लेकिन, परिजनों के विरोध करने पर संचालक अपशब्द का इस्तेमाल करने लगे और बाहर कर देने की धमकी दी. इसी दौरान महिला की मृत्यु हो गई. वारदात के बाद नर्सिंग होम संचालक हसनैन अहमद समेत अन्य कई स्टॉफ नर्सिंग होम से फरार हो गए. इसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने जमकर तोड़-फोड़ मचाया.
मुआवजा देकर उत्पात शांत कराने की कोशिश
इस वजह से नर्सिंग होम में भर्ती अन्य मरीजों को भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ी. इस घटना के बाद जहां इन अवैध नर्सिंग होम के काली करतूतों से पर्दा उठा तो वहीं, इस तरह की हरकतों को बढ़ावा देने वाले जनप्रतिनिधियों का भी चेहरा सामने आया. हालांकि, बाद में जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने बात पलट दी और कार्रवाई की बात करने लगे.
जांच में जुटी पुलिस
जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि ने लाचार परिवार को इंसाफ दिलाने के बजाए नर्सिंग होम संचालक व डॉक्टर को बचाने के लिए मृतक की बोली लगा दी. हालांकि, परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस मौकास्थल पर पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई है.