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किशनगंज: निजी नर्सिंग होम में महिला की मौत के बाद परिजनों ने काटा बवाल

मामला किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड स्थित हाड़ीभिट्टा गांव का है. जहां की निवासी उमा कुमारी को तीन दिन पहले प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उन्हें सुभाषपल्ली स्थित निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. जो कि अवैध रुप से चलाया जा रहा था.

महिला की मौत
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Published : Jul 21, 2019, 11:57 PM IST

किशनगंज: जिले के सुभाषपल्ली चौक स्थित एक निजी नर्सिंग होम में महिला मरीज की मृत्यु के बाद परिजनों ने जमकर बवाल काटा. परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की. मामला तूल पकड़ता देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति नियंत्रण की. इसी बीच कुछ कांग्रेस नेता भी मौके पर पहुंचे. अस्पताल प्रबंधन ने मौत का सौदा करने की कोशिश की. उन्होंने 2.5 लाख मुआवजा लेकर मामला रफा-दफा करने की बात कही.

मामला किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड स्थित हाड़ीभिट्टा गांव का है. जहां की निवासी उमा कुमारी को तीन दिन पहले प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उन्हें सुभाषपल्ली स्थित निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. जो कि अवैध रुप से चलाया जा रहा था.

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परिजनों को समझाते जनप्रतिनिधि

पुत्र को दिया जन्म
नर्सिंग होम के डॉक्टर दीपक कुमार यादव की देखरेख में महिला ने पुत्र को जन्म दिया. जिसके बाद दो दिन तक वह स्वास्थ्य रही. लेकिन, शनिवार रात होते ही उसकी हालत बिगड़ने लगी. तब संचालक ने महिला को एक इंजेक्शन दिया. जिसके बाद महिला की स्थिति और खराब हो गयी.

महिला ने तोड़ा दम
स्थिति खराब होते देख नर्सिंग होम संचालक ने उसे रेफर करने की बात कही. लेकिन, परिजनों के विरोध करने पर संचालक अपशब्द का इस्तेमाल करने लगे और बाहर कर देने की धमकी दी. इसी दौरान महिला की मृत्यु हो गई. वारदात के बाद नर्सिंग होम संचालक हसनैन अहमद समेत अन्य कई स्टॉफ नर्सिंग होम से फरार हो गए. इसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने जमकर तोड़-फोड़ मचाया.

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मौके पर पहुंची पुलिस

मुआवजा देकर उत्पात शांत कराने की कोशिश
इस वजह से नर्सिंग होम में भर्ती अन्य मरीजों को भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ी. इस घटना के बाद जहां इन अवैध नर्सिंग होम के काली करतूतों से पर्दा उठा तो वहीं, इस तरह की हरकतों को बढ़ावा देने वाले जनप्रतिनिधियों का भी चेहरा सामने आया. हालांकि, बाद में जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने बात पलट दी और कार्रवाई की बात करने लगे.

पीड़ित परिवार का बयान

जांच में जुटी पुलिस
जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि ने लाचार परिवार को इंसाफ दिलाने के बजाए नर्सिंग होम संचालक व डॉक्टर को बचाने के लिए मृतक की बोली लगा दी. हालांकि, परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस मौकास्थल पर पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई है.

किशनगंज: जिले के सुभाषपल्ली चौक स्थित एक निजी नर्सिंग होम में महिला मरीज की मृत्यु के बाद परिजनों ने जमकर बवाल काटा. परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की. मामला तूल पकड़ता देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति नियंत्रण की. इसी बीच कुछ कांग्रेस नेता भी मौके पर पहुंचे. अस्पताल प्रबंधन ने मौत का सौदा करने की कोशिश की. उन्होंने 2.5 लाख मुआवजा लेकर मामला रफा-दफा करने की बात कही.

मामला किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड स्थित हाड़ीभिट्टा गांव का है. जहां की निवासी उमा कुमारी को तीन दिन पहले प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उन्हें सुभाषपल्ली स्थित निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. जो कि अवैध रुप से चलाया जा रहा था.

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परिजनों को समझाते जनप्रतिनिधि

पुत्र को दिया जन्म
नर्सिंग होम के डॉक्टर दीपक कुमार यादव की देखरेख में महिला ने पुत्र को जन्म दिया. जिसके बाद दो दिन तक वह स्वास्थ्य रही. लेकिन, शनिवार रात होते ही उसकी हालत बिगड़ने लगी. तब संचालक ने महिला को एक इंजेक्शन दिया. जिसके बाद महिला की स्थिति और खराब हो गयी.

महिला ने तोड़ा दम
स्थिति खराब होते देख नर्सिंग होम संचालक ने उसे रेफर करने की बात कही. लेकिन, परिजनों के विरोध करने पर संचालक अपशब्द का इस्तेमाल करने लगे और बाहर कर देने की धमकी दी. इसी दौरान महिला की मृत्यु हो गई. वारदात के बाद नर्सिंग होम संचालक हसनैन अहमद समेत अन्य कई स्टॉफ नर्सिंग होम से फरार हो गए. इसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने जमकर तोड़-फोड़ मचाया.

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मौके पर पहुंची पुलिस

मुआवजा देकर उत्पात शांत कराने की कोशिश
इस वजह से नर्सिंग होम में भर्ती अन्य मरीजों को भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ी. इस घटना के बाद जहां इन अवैध नर्सिंग होम के काली करतूतों से पर्दा उठा तो वहीं, इस तरह की हरकतों को बढ़ावा देने वाले जनप्रतिनिधियों का भी चेहरा सामने आया. हालांकि, बाद में जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने बात पलट दी और कार्रवाई की बात करने लगे.

पीड़ित परिवार का बयान

जांच में जुटी पुलिस
जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि ने लाचार परिवार को इंसाफ दिलाने के बजाए नर्सिंग होम संचालक व डॉक्टर को बचाने के लिए मृतक की बोली लगा दी. हालांकि, परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस मौकास्थल पर पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई है.

Intro:शहर के सुभाषपल्ली चौक के पास अवैध रूप से संचालित एक नर्सिंग होम में इलाज के दौरान एक महिला की मौत, परिजनों ने किया जमकर हंगामा व तोड़फोड़।वहीं स्थानीय सत्ताधारी कुछ नेताओं ने 2•5 लाख रुपया मे कर दिया मौत का सौदा, पुलिस घंटों तक बना रहा तमाशबीन।वहीं तकरीबन 10 घंटो तक शव पड़ा रहा नर्सिंग होम में। मौत के बाद नर्सिंग होम के संचालक व डाक्टर हुये फरार।वहीं मृतक महिला तीन दिन पहले इसी नर्सिंग होम में एक नवजात शिशु को दिया जन्म।लेकिन नवजात का आँख खुलने से पहले ही उठ गया माँ का साया।वहीं हत्यारे डाक्टर व नर्सिंग होम संचालक को बचाने के लिए बिहार के सत्ताधारी दल के नेताओं ने लगा दिया एड़ी चोटी का दम।

बाइटः चंदन कुमार, मृतक के पति
बाइटः अरुण कुमार, मृतक का भाई
बाइटः कंग्रेस नेता,


Body:जिले के दिघलबैंक प्रखंड के हाड़ीभिट्टा गांव के रहने वाली उमा कुमारी पति चंदन कुमार तीन दिन पहले प्रसव पीड़ा होने पर गांव के आशा से संपर्क किया तो आशा ने सरकारी अस्पताल के बजाय किशनगंज के सुभाषपल्ली स्थित अवैध नर्सिंग होम लाइफ केयर नर्सिंग होम में ले आकर भर्ती करवा दिया और दलाली का पैसा लेकर चलता बना।और नर्सिंग होम संचालक ने डाक्टर दिपक कुमार यादव से उसी दिन महिला का सिजेरियन कर पूत्र को जन्म दिया। महिला दो दिन तक स्वास्थ्य रही लेकिन शनिवार रात होते ही उसकी हालत बिगडऩे लगी। जिसके बाद संचालक को कहने पर एक इंजेक्शन दिया जिसके बाद महिला की स्थिति और खराब हो गयीं।और सांस लेने में भी तकलीफ होने लगा जिसके बाद महिला को ऑक्सीजन का पाइप जबर्दस्ती डाल दिया गया। स्थिति खराब होते देख नर्सिंग संचालक ने उसे रेफर करने की बात की और परिजनों के विरोध करने पर संचालक अपशब्द का इस्तेमाल कर नर्सिंग होम से बाहर कर देने की धमकी दी जिससे परिजनों ने नाराजगी जाहिर की और इसी दौरान महिला की मृत्यु हो गयी।नर्सिंग होम संचालक हसनैन अहमद समेत अन्य कई स्टाफ इस घटना के बाद नर्सिंग होम से फरार हो गए।इसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और नर्सिंग होम में जमकर तोड़ फोड़ कर उत्पात मचाया। इस वजह से नर्सिंग होम में भर्ती अन्य
मरीज को बहुत परेशानी झेलनी पड़ी।संचालक और अन्य स्टाफ के फरार हो जाने के कारण उन्हें दूसरे नर्सिंग होम में जाना पड़ा।वही नर्सिंग होम संचालक और स्टाफ के फरार होने से अन्य मरीज़ों की जान पे भी आफत बन आयी थी।




मृतक उमा देवी पति चंदन


Conclusion:इस घटना से जहां इन हत्यारे नर्सिंग होम की काली करतूतों से पर्दा उठा तो वहीं इन हत्यारो को बचाने वाले सफेदपोश सत्ताधारी नेताओं का चेहरा भी सामने आया।जनता के द्वारा चुने गए एक जनप्रतिनिधि लाचार को इंसाफ दिलाने के बजाए हत्यारे नर्सिंग होम संचालक व डाक्टर को बचाने के लिए अपने ही घर मे दोनों पक्ष को बुलाकर मृतक की जिदंगी का बोली लगा दिया। पुलिस चाहकर भी मामला दर्ज के बजाय सत्ताधारी जनप्रतिनिधि के सामने लाचार नजर आयी। मामला जो भी हो जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के हवाहवाई अवैध नर्सिंग होम पर कारवाई वाले बयानों पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।वहीं सत्ताधारी नेताओं के सामने पुलिस की लाचारी को भी बयां कर रहा है।
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