ETV Bharat / state

किशनगंज: भवन के अभाव में खुले आसमान को नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे

जब से विद्यालय खुला है, तभी से बच्चें खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. विद्यालय का अपना कोई भवन नहीं है. जिसके कारण बच्चों को मिड-डे मील की सुविधा भी नहीं मिल पाती है.

author img

By

Published : Mar 8, 2020, 5:56 PM IST

Updated : Mar 8, 2020, 7:15 PM IST

kishanganj
किशनगंज में सरकारी स्कूल

किशनगंज: शिक्षा के नाम पर सरकार पानी की तरह पैसा खर्च कर रही है, लेकिन राज्य में सरकारी विद्यालयों की हालत खस्ता है. दरअसल, जिले के चकला पंचायत के मुखिया टोला में एक ऐसा विद्यालय है जिसके पास अपना कोई भवन नहीं है. ऐसे में यहां के बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं.

बच्चों की संख्या में आई कमी
चकला पंचायत के नवसृजित विद्यालय की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी. जहां 1 से 4 वर्ग तक की पढ़ाई होती है. विद्यालय में लगभग 40 बच्चे पढते हैं. वहीं, विद्यालय के प्रधानाध्यापक दीपंकर चौधरी ने बताया कि जब से ये विद्यालय खुला है, तभी से बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. विद्यालय का अपना कोई भवन नहीं है. जिस कारण बच्चों को मिड-डे मील की सुविधा भी नहीं मिल पाती है. ऐसे में बच्चों ने स्कूल आना छोड़ दिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

विद्यालयों के लिए देखी जा रही भूमि
मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी कुंदन कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिले में कुल 30 विद्यालय ऐसे हैं, जो भूमिहीन हैं. ऐसे में सभी अंचलाधिकारियों को भवनहीन विद्यालयों के लिए भूमि देखने के लिए बोल दिया गया है.

किशनगंज: शिक्षा के नाम पर सरकार पानी की तरह पैसा खर्च कर रही है, लेकिन राज्य में सरकारी विद्यालयों की हालत खस्ता है. दरअसल, जिले के चकला पंचायत के मुखिया टोला में एक ऐसा विद्यालय है जिसके पास अपना कोई भवन नहीं है. ऐसे में यहां के बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं.

बच्चों की संख्या में आई कमी
चकला पंचायत के नवसृजित विद्यालय की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी. जहां 1 से 4 वर्ग तक की पढ़ाई होती है. विद्यालय में लगभग 40 बच्चे पढते हैं. वहीं, विद्यालय के प्रधानाध्यापक दीपंकर चौधरी ने बताया कि जब से ये विद्यालय खुला है, तभी से बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. विद्यालय का अपना कोई भवन नहीं है. जिस कारण बच्चों को मिड-डे मील की सुविधा भी नहीं मिल पाती है. ऐसे में बच्चों ने स्कूल आना छोड़ दिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

विद्यालयों के लिए देखी जा रही भूमि
मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी कुंदन कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिले में कुल 30 विद्यालय ऐसे हैं, जो भूमिहीन हैं. ऐसे में सभी अंचलाधिकारियों को भवनहीन विद्यालयों के लिए भूमि देखने के लिए बोल दिया गया है.

Last Updated : Mar 8, 2020, 7:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.