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किशनगंज: निर्णायक भूमिका में हैं यहां मुस्लिम वोटर, कांग्रेस के लिए सीट बचाने की बड़ी चुनौती - kishanganj lok sabha

किशनगंज लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी मौलाना असरारुल हक कासमी जीत दर्ज करने में सफल हुये थे. इनके निधन के बाद कांग्रेस ने यहां से डॉ. मोहम्मद जावेद को टिकट दिया है.

किशनगंज जिले की तस्वीरें
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Published : Apr 13, 2019, 1:50 PM IST

किशनगंज: बिहार का किशनगंज लोकसभा क्षेत्र नेपाल और बंगाल की सीमा पर स्थित है. यहां का चुनावी इतिहास बहुत ही दिलचस्प रहा है. 1957 से 2014 तक कुल 16 चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी को आठ बार जीत मिली. सांसदों के चुनाव में मुस्लिम वोट ही यहां निर्णायक रहे हैं.

किशनगंज लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी मौलाना असरारुल हक कासमी जीत दर्ज करने में सफल हुये थे. इनके निधन के बाद कांग्रेस ने यहां से डॉ. मोहम्मद जावेद को टिकट दिया है. यहां दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोटिंग होनी है.

किशनगंज रेलवे स्टेशन की तस्वीर

चौथे प्रयास में जीते थे असरारुल
वर्ष 2009 और 2014 में पहली बार जिले के निवासी व सूरजापुरी बिरादरी से आनेवाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना असरारुल हक कासमी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत का परचम लहराया. इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. बीते सात दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया.

कौन-कौन है मैदान में
किशनगंज लोकसभा सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर कुल 31 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे.

  • बहुजन समाज पार्टी से इंद्र देव पासवान.
  • तृणमूल कांग्रेस से जावेद अख्तर.
  • कांग्रेस पार्टी से डॉ. मोहम्मद जावेद.
  • आम आदमी पार्टी से अलीमुद्दीन अंसारी.
  • जनता दल (युनाइटेड) से सईद महमूद अशरफ.
  • ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन से अख्तरुल इमान.
  • शिवसेना के टिकट से प्रदीप कुमार सिंह.
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा से शुकल मुरमू.
  • बहुजन मुक्ति पार्टी के टिकट से राजेंद्र पासवान चुनाव मैदान में हैं.
  • अजीमुद्दीन, असद आलम, छोटे लाल महतो, राजेश कुमार दुबे और हसेरुल बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में हैं.
    डॉ. सजल प्रसाद, राजनीतिक विश्लेषक

चार विधानसभा वाली लोकसभा सीट
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्र हैं. जिनमें बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज और कोचाधामन के अलावा पूर्णिया जिले के दो विधानसभा क्षेत्र अमौर और बायसी शामिल हैं.

मो.तस्लीमुद्दीन तीन बार बने सांसद
मिनी दार्जिलिंग के नाम से मशहूर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 1952 से वर्ष 2014 के चुनाव में पहले कांग्रेस प्रत्याशी मो. ताहीर को दो बार, उसके बाद जामिलुर रहमान व राजद प्रत्याशी मो. तस्लीमुद्दीन को तीन बार किशनगंज का सांसद बनने का सौभाग्य हासिल हुआ था.

पहली बार बीजेपी सांसद की जीत
वहीं वर्ष 1999 में किशनगंज मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र से पहली बार भाजपा प्रत्याशी सैयद शाहनवाज हुसैन ने जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया और वाजपेयी मंत्रिमंडल में संभवत: सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बनने में सफल रहे.

70 फीसदी मुस्लिम तो 30 फीसदी अन्य वोटर हैं
बीते लोकसभा चुनाव में 14,48,990 मतदाताओं में 9,28,000 वोटरों ने वोट डाला था. किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में सूरजापुरी मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र है. इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय में शामिल सूरजापुरी मुसलमान, शेरशाहवादी मुसलमान, कुल्हिया एवं अन्य मुस्लिम जाति की 70 प्रतिशत आबादी है. वहीं 30 प्रतिशत हिंदु समुदाय से जुड़े विभिन्न जातियों के मतदाता हैं.

18 अप्रैल को चुनाव का दूसरा चरण

  • कुल मतदाता 16,52,940
  • पुरुष मतदाता 8,55,667
  • महिला मतदाता 7,97,215
  • थर्ड जेंडर 58
  • मतदान केंद्र 1065

2014 में कौन जीते कौन हारे

  • जीते: असरारुल हक , कांग्रेस, 4,93,461
  • हारे : दिलीप जायसवाल, बीजेपी, 2,98,849

किशनगंज: बिहार का किशनगंज लोकसभा क्षेत्र नेपाल और बंगाल की सीमा पर स्थित है. यहां का चुनावी इतिहास बहुत ही दिलचस्प रहा है. 1957 से 2014 तक कुल 16 चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी को आठ बार जीत मिली. सांसदों के चुनाव में मुस्लिम वोट ही यहां निर्णायक रहे हैं.

किशनगंज लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी मौलाना असरारुल हक कासमी जीत दर्ज करने में सफल हुये थे. इनके निधन के बाद कांग्रेस ने यहां से डॉ. मोहम्मद जावेद को टिकट दिया है. यहां दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोटिंग होनी है.

किशनगंज रेलवे स्टेशन की तस्वीर

चौथे प्रयास में जीते थे असरारुल
वर्ष 2009 और 2014 में पहली बार जिले के निवासी व सूरजापुरी बिरादरी से आनेवाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना असरारुल हक कासमी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत का परचम लहराया. इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. बीते सात दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया.

कौन-कौन है मैदान में
किशनगंज लोकसभा सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर कुल 31 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे.

  • बहुजन समाज पार्टी से इंद्र देव पासवान.
  • तृणमूल कांग्रेस से जावेद अख्तर.
  • कांग्रेस पार्टी से डॉ. मोहम्मद जावेद.
  • आम आदमी पार्टी से अलीमुद्दीन अंसारी.
  • जनता दल (युनाइटेड) से सईद महमूद अशरफ.
  • ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन से अख्तरुल इमान.
  • शिवसेना के टिकट से प्रदीप कुमार सिंह.
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा से शुकल मुरमू.
  • बहुजन मुक्ति पार्टी के टिकट से राजेंद्र पासवान चुनाव मैदान में हैं.
  • अजीमुद्दीन, असद आलम, छोटे लाल महतो, राजेश कुमार दुबे और हसेरुल बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में हैं.
    डॉ. सजल प्रसाद, राजनीतिक विश्लेषक

चार विधानसभा वाली लोकसभा सीट
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्र हैं. जिनमें बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज और कोचाधामन के अलावा पूर्णिया जिले के दो विधानसभा क्षेत्र अमौर और बायसी शामिल हैं.

मो.तस्लीमुद्दीन तीन बार बने सांसद
मिनी दार्जिलिंग के नाम से मशहूर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 1952 से वर्ष 2014 के चुनाव में पहले कांग्रेस प्रत्याशी मो. ताहीर को दो बार, उसके बाद जामिलुर रहमान व राजद प्रत्याशी मो. तस्लीमुद्दीन को तीन बार किशनगंज का सांसद बनने का सौभाग्य हासिल हुआ था.

पहली बार बीजेपी सांसद की जीत
वहीं वर्ष 1999 में किशनगंज मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र से पहली बार भाजपा प्रत्याशी सैयद शाहनवाज हुसैन ने जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया और वाजपेयी मंत्रिमंडल में संभवत: सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बनने में सफल रहे.

70 फीसदी मुस्लिम तो 30 फीसदी अन्य वोटर हैं
बीते लोकसभा चुनाव में 14,48,990 मतदाताओं में 9,28,000 वोटरों ने वोट डाला था. किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में सूरजापुरी मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र है. इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय में शामिल सूरजापुरी मुसलमान, शेरशाहवादी मुसलमान, कुल्हिया एवं अन्य मुस्लिम जाति की 70 प्रतिशत आबादी है. वहीं 30 प्रतिशत हिंदु समुदाय से जुड़े विभिन्न जातियों के मतदाता हैं.

18 अप्रैल को चुनाव का दूसरा चरण

  • कुल मतदाता 16,52,940
  • पुरुष मतदाता 8,55,667
  • महिला मतदाता 7,97,215
  • थर्ड जेंडर 58
  • मतदान केंद्र 1065

2014 में कौन जीते कौन हारे

  • जीते: असरारुल हक , कांग्रेस, 4,93,461
  • हारे : दिलीप जायसवाल, बीजेपी, 2,98,849
Intro:बिहार का किशनगंज लोकसभा सीट बंगाल नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। किशनगंज बिहार के राजधानी पटना से 400 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है। किशनगंज पहले पूर्णिया जिले का अनुमंडल था। 1990 में यह जिला बना ये लोकसभा सीट मुस्लिम बहुल है। किशनगंज मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास दिलचस्प रहा है। 1952 से 2014 तक कुल 16 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी को आठ बार जीत मीली। सासंदों के चुनाव में मुस्लिम वोट ही यहां निर्णायक रहें हैं।अन्य समकालीन राजनीतिक दलों मे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी को एक-एक बार जनता दल को दो बार, राजद को तीन बार और भाजपा को एक बार किशनगंज मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल हुई है। किशनगंज लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनाव वर्ष 2009 और 2014 मे कांग्रेस के प्रत्याशी दिवगंत मौलाना असराहृल हक कासमी ने जीत दर्ज करने मे सफल हुये थे।मरहूम मौलाना साहब के निधन के बाद कांग्रेस आलाकमान ने इस बार 17 वी लोकसभा चुनाव में किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के किशनगंज से 4 टर्म के विधायक डा. जावेद आजाद को प्रत्याशी बनाये है। किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्र बहादुरगंज, ठाकुरगंज,किशनगंज व कोचाधामन है तो वहीं पुर्णिया जिले के दो विधानसभा अमौर व बायसी भी शामिल है।


Body:किशनगंज से गैर कांग्रेसी प्रत्याशियों मे 1967 मे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से लखन लाल कपूर, वर्ष 1977 मे जनता पार्टी से हलीमुद्दीन अहमद सांसद बने है।वर्ष 1985 में कांग्रेस सांसद जामिलुर रहमान के निधन के बाद मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस पार्टी को यह सीट हारना पड़ा था। और जनता दल के टिकट पर सैयद शहाबुद्दीन ने वर्ष 1985 और 1991 में दो बार जीत हासिल की थी। वर्ष 1996,1998 और वर्ष 2004 में राष्ट्रीय जनता दल से मरहूम सीमांचल गांधी के नाम से फेमस तस्लीमद्दीन ने जीत दर्ज की थी।वहीं वर्ष 1999 मे मुस्लिम बहुल किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से पहली बार भाजपा प्रत्याशी सैयद शाहनवाज हुसैन ने जीत हासिल कर सभी को अचंभित कर दिया था और वाजपेयी मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बनने मे कामयाबी हासिल किये थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में कूल 14 लाख 48 हजार 990 मतदाताओं मे वोट कास्ट 9 लाख 28 हजार वोटरों ने मताधिकार का प्रयोग किया था।


Conclusion:किशनगंज लोकसभा क्षेत्र सुरजापुरी मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र है।इस लोकसभा क्षेत्र में शामिल सुरजापुरी मुसलमान, शेरशाहवादी मुसलमान,कुल्हिया,पछिमा व अन्य मुस्लिम जाति की 70 प्रतिशत आबादी है।वहीं 30 प्रतिशत हिंदू समुदाय से जुड़े विभिन्न जातियों के मतदाता है। वर्ष 2009 मे पहली बार जिले के सुरजापुरी विरादरी से आनेवाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं आँल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाँ बोर्ड के सदस्य मरहूम मौलाना असराहृल हक काशमी ने कांग्रेस के टीकट से जीत हासिल किया था।फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मरहूम मौलाना साहब ने अपने जीत का सिलसिला बरकरार रखें थे। इस लोकसभा चुनाव से ठीक 5 महीना पहले 7 दिसंबर 2018 मे अचानक हृदयगति रुक जाने से मौलाना साहब का इंतकाल हो गया था। वहीं इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव मे मुस्लिम बहुल किशनगंज सांसदीय क्षेत्र मे त्रिकोणीय टक्कर नजर आरहे है।जहां एनडीए के जेडीयू प्रत्याशी मोहमुद अशरफ , महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी डा जावेद आजाद व औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम के उम्मीदवार अख्तरुल इमान। तीनों उम्मीदवार ही स्थानीय सुरजापुरी विरादरी से है और तीनों चुनावी महासंग्राम मे एक दुसरे को टक्कर दे रहे है। 2014 की चुनावी परीणाम की बात करे ते।कांग्रेस के असराहृल हक काशमी ने 4 लाख 93 हजार 461 वोट लाकर जीत हासिल किया था।पराजित हुयी भाजपा उम्मीदवार डा दिलीप जयसवाल ने 2 लाख 98 हजार 849 वोट लाये थे। 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के असराहृल हक काशमी ने 2,39,405 वोट लाकर जीत हासिल किये थी वहीं जदयू उम्मीदवार महमूद अशरफ ने 15,9,136 वोट लाकर पराजित हुये थे।2004 लोकसभा चुनाव में राजद के तस्लीमुद्दीन ने 4,20,331वोट लाक जीत हासिल किये थे वहीं भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन ने 2,59,834 वोट लाकर हारे थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन ने 2,58,035 वोट लाकर जीत हासिल किये थे वहीं राजद के सीमांचल गांधी तस्लीमुद्दीन ने 2,49,387 वोट लाकर पराजित हुये थे। बाइटः डा. प्रो सजल प्रसाद, राजनैतिक विशलेषक
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