किशनगंज: जिला में एकमात्र मारवाड़ी कॉलेज ही डिग्री कॉलेज है. इसकी स्थापना 1960 में हुई थी. जहां कुल 17 विभाग हैं. यहां 10 शिक्षकों के सहारे 6000 छात्र पढाई करते हैं. शिक्षकों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.
10 शिक्षकों के भरोसे 6000 छात्रों का भविष्य
बिहार में शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन, हकीकत कुछ और ही है. जिले के प्रतिष्ठित मारवाड़ी कॉलेज में 6000 छात्रों के लिए मात्र 10 शिक्षक हैं. मतलब 600 छात्रों पर 1 शिक्षक है. वहीं, कॉलेज प्रशासन का कहना है कि शिक्षकों के 39 पद स्वीकृत किए गए हैं.
छात्र कोचिंग पढ़ने को मजबूर
महाविद्यालय में कुल 17 विभाग हैं. वहीं, कुछ विभागों में एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं हैं. जिस वजह से यहां के छात्र कोचिंग संस्थानों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. यहां 6 विभागों में शिक्षक नहीं हैं. इन 6 विभागों में बिना शिक्षकों के पढ़ाई होती है.
नामांकन और परीक्षा तक सीमित छात्र-छात्राएं
छात्रों की मानें तो वो यहां सिर्फ परीक्षा देने आते हैं और दुबारा कॉलेज में डिग्री के लिए आते हैं. यहां उच्च शिक्षा के नाम पर महज नामांकन और परीक्षा तक सीमित है. आज महाविद्यालय की हालत बद से बदतर हो गई है.
कॉलेज में है कई समस्याएं
स्नातक के नए सत्र में लगभग 3500 छात्र-छात्राएं नामांकित हुए हैं. इन छात्रों की शिक्षा निजी कोचिंग संस्थान पर निर्भर है. कॉलेज में अनेक तरह की समस्याएं हैं. कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष अमन रजा ने कहा कि शिक्षकों की कमी के कारण छात्र-छात्राएं कोचिंग संस्थानों और निजी शिक्षकों से ट्यूशन लेने को मजबूर हैं.