किशनगंज: जिले की स्वास्थ्य सुविधा बहुत ही लचर हालत में है. कहने को यहां 42 डॉक्टर पदस्थापित है. जिसमें से 13 डॉक्टर सिर्फ सदर अस्पताल में कार्यरत है. वहीं, पूरे शहर में सिर्फ 2 ही महिला डॉक्टर उपलब्ध है, जो 9 लाख महिलाओं का इलाज करती हैं. वहीं, अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने के कारण लोगों को निजी नर्सिंग होम का रुख करना पड़ता है.
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'नहीं आते हैं डॉक्टर'
बताया जाता है कि महिलाओं को दूसरे जिले या निजी नर्सिंग होम मे इलाज करवाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. मरीज सुबह से ही डॉक्टर के कमरे के बाहर डॉक्टर का इन्तजार करते रहते हैं. लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है की इन मरीजों को इन्तजार करते-करते पूरा दिन निकल जाता है और डॉक्टर नहीं आते हैं.
बंद पडे़ हैं उपस्वास्थ्य केंद्र
बात सिर्फ जिले के सबसे बड़े अस्पताल की ही नहीं है. शहर के लगभग उपस्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर की कमी के कारण बंद पड़े हैं. इसके कारण मरीजों को निजी नर्सिंग होम में ज्यादा पैसे देकर अपना इलाज करवाना पड़ता है. जिले में सरकार और स्वास्थ्य विभाग का दावा फेल होता दिखाई दे रहा है.
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अस्पताल में है डॉक्टर की घोर कमी
सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर परशुराम प्रसाद ने बताया कि जिले में डॉक्टर की घोर कमी है और इसके लिए उन्होंने सरकार को जिम्मेदार बताया है. सी एस ने बताया कि सदर अस्पताल में ही 23 पद रिक्त हैं. वहीं, सिविल सर्जन ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में डॉक्टरों की नियुक्ति पूरी कर ली जाएगी.