किशनगंज: जिले का वन विभाग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. विभाग के पास ना तो अपना कोई भवन है और ना ही तस्करों से जब्त लकड़ियों और वाहनों को रखने का डिपो. डिपो की बात करे तो वो किसी चहारदीवारी में भी नहीं है, विभाग के अधिकारियों के जब्त सामान लावारिस हालत में रखे गए हैं.
घने जंगल और नेपाल बांग्लादेश की सीमा से भी तस्करी जारी
वन विभाग एक किराए के कमरे में संचालित होता है. इस सीमावर्ती क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल और बांग्लादेश से लगती है. वही अंतर्राज्यीय सीमा असम और बंगाल से सटी है. जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र में घने जंगल और नेपाल-बांग्लादेश की सीमा से भी तस्करी होती रहती है. आए दिन वन विभाग इन तस्करों को गिरफ्तार कर इनसे लकड़ी और अन्य समान जप्त करता है.
मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी
परेशानी ये है कि जप्त किए हुए सामनों को वन विभाग एक खुले मैदान में रख देता है. ऐसे में मूल्यवान लकड़ियां धूप और बारिश में खराब हो जाती हैं. चहारदीवारी ना होने की वजह से असमाजिक तत्व भी वहां से लकड़ी ले कर भाग जाते हैं. वन विभाग का डिपो किसी कबारखाने सा लगता है. यहां कार्यरत एक सुरक्षकर्मी ने बताया की यहां मूलभूत सुविधाओं की भी भारी कमी है.
विभाग के पास अपना कोई भवन नहीं
किशनगंज वन विभाग के पदाधिकारी ने बताया की विभाग के पास अपना कोई भवन नहीं है. कार्यालय किराए के मकान से संचालित होता है. वन विभाग का डिपो दूसरे विभाग की जमीन पर बनाया गया है. कुछ दिनों पहले ही डीएम ने वन विभाग को किशनगंज प्रखंड कार्यालय के पास तत्काल थोड़ी जमीन मुहैया कराई है.
विभाग के पास कर्मचारियों की भी भारी कमी
वन विभाग के पदाधिकारी ने दलील दी कि विभाग के जप्त किए गए लकड़ियों और वाहनों के ट्रांसपोर्ट का पैसा आवंटित नहीं किए जाने की वजह से अभी भी सामान लावारिस हालत में है. उन्होंने कहा कि विभाग के पास कर्मचारियों की भी भारी कमी है. जिसके कारण डिपो मे सिर्फ एक सुरक्षाकर्मी रखा जाता है. कई मौकों पर इस एक कर्मी को भी कही दूसरी जगह लगा दिया जाता है.