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किशनगंज: 9 साल से उद्घाटन की राह देख रहा अस्पताल बना खंडहर

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Published : Jun 23, 2019, 7:30 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 2:43 PM IST

डॉक्टरों की राह देखते-देखते यह अस्पताल अब खंडहर में तब्दील हो गया है. अस्पताल परिसर में कूड़े का अंबार लगा है. दीवारें भी अब टूटने लगी हैं.

बदहाली

किशनगंज: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बेहद लचर है. कुछ अस्पताल हैं तो उनमें डॉक्टरों की कमी है. वहीं, दूसरी तरफ लगभग सारे उप स्वास्थय केंद्र बंद पड़े हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

kishanganj
बंद पड़ी मशीनें

2010 में हुआ था निर्माण
किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड स्थित विशनपुर गांव में ग्रामीणों के प्रयास के बाद एक अस्पताल बना. लेकिन, कभी चालू ना हो सका. साल 2010 में बने इस अस्पताल को एमजीएम मेडिकल कॉलेज ट्रस्ट ने अस्पताल को अपने अधीन ले लिया. लेकिन 9 वर्षों बाद भी अस्पताल में ताला लटका हुआ है.

kishanganj
खंडहर हुआ भवन

बद से बदतर है हालात
डॉक्टरों की राह देखते-देखते यह अस्पताल अब खंडहर में तब्दील हो गया है. अस्पताल परिसर में कूड़े का अंबार लगा है. दीवारें भी अब टूटने लगी हैं. अंदर रखी मशीनों में भी जंग लग रहा है. मालूम हो कि इस गांव के लोग जब बीमार पड़ते हैं तो उन्हें 40 किमी दूर जाना पड़ता है. ऐसे में अक्सर होता है कि रास्ते में ही मरीज की मौत हो जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अस्पताल के बंद होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां के लोग कई बार इसकी शुरूआत के लिए आवेदन दे चुके हैं. लेकिन, अस्पताल ट्रस्ट के अधीन होने के कारण प्रशासन कोई भी कदम उठाने में असमर्थ है.

किशनगंज: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति बेहद लचर है. कुछ अस्पताल हैं तो उनमें डॉक्टरों की कमी है. वहीं, दूसरी तरफ लगभग सारे उप स्वास्थय केंद्र बंद पड़े हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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बंद पड़ी मशीनें

2010 में हुआ था निर्माण
किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड स्थित विशनपुर गांव में ग्रामीणों के प्रयास के बाद एक अस्पताल बना. लेकिन, कभी चालू ना हो सका. साल 2010 में बने इस अस्पताल को एमजीएम मेडिकल कॉलेज ट्रस्ट ने अस्पताल को अपने अधीन ले लिया. लेकिन 9 वर्षों बाद भी अस्पताल में ताला लटका हुआ है.

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खंडहर हुआ भवन

बद से बदतर है हालात
डॉक्टरों की राह देखते-देखते यह अस्पताल अब खंडहर में तब्दील हो गया है. अस्पताल परिसर में कूड़े का अंबार लगा है. दीवारें भी अब टूटने लगी हैं. अंदर रखी मशीनों में भी जंग लग रहा है. मालूम हो कि इस गांव के लोग जब बीमार पड़ते हैं तो उन्हें 40 किमी दूर जाना पड़ता है. ऐसे में अक्सर होता है कि रास्ते में ही मरीज की मौत हो जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अस्पताल के बंद होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां के लोग कई बार इसकी शुरूआत के लिए आवेदन दे चुके हैं. लेकिन, अस्पताल ट्रस्ट के अधीन होने के कारण प्रशासन कोई भी कदम उठाने में असमर्थ है.

Intro:किशनगंज:-किशनगंज मे स्वास्थ्य सेवा बहुत ही लचर स्थिति मे है,पहले ही डॉक्टरों की कमी झेल रहा है किशनगंज स्वास्थ विभाग,जिसके कारन जिले के लगभग उप स्वास्थय केंद्र बंद परे है।सदर अस्पताल तक में डॉक्टरों की भारी कमी है।


Body:किशनगंज:-किशनगंज मे स्वास्थ्य सेवा बहुत ही लचर स्थिति मे है,पहले ही डॉक्टरों की कमी झेल रहा है किशनगंज स्वास्थ विभाग,जिसके कारन जिले के लगभग उप स्वास्थय केंद्र बंद परे है।सदर अस्पताल तक में डॉक्टरों की भारी कमी है।
एक तरफ बिहार के कई हिस्सो मे बिमारी से बच्चों की जान जा रही है,इस्से सबक लेने के बजाए सरकार अभी भी निस्चींत बैठी है।ज़िले के सभी सरकारी उप स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टरों की कमी के कारन बंद परे है।
ऐसा ही एक अस्पताल किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड के विशनपुर गांव मे ग्रामीणो ने अथक प्रयास से निर्माण करवाया गया और इस अस्पताल का उदघाटन सन 2010मे किशनगंज के विधान पार्षद और किशनगंज के मैडिकल कॉलेज के निर्देशक भी है के द्वारा की गई थी।और इस अस्पताल को एम जी एम मैडिकल कॉलेज ट्रस्ट ने इस अस्पताल को अपने अधीन ले लिया और जनता से वादा किया की इस अस्पताल मे प्रतिदिन डॉक्टर ग्रामीणो का इलाज करेंगे पर 9 वर्ष बित जाने के बाद भी इस अस्पताल मे ताला लटका हुआ है और ग्रामीण आज भी इस उम्मिद मे है की आज नही तो कल इस अस्पताल मे डॉक्टर आएंगे और यहा की लोगो की समस्या खतम होगी।
डॉक्टरों की राह देखते-देखते ये अस्पताल अब खन्ध्हर मे तब्दील होने लगी है,अस्पताल के अन्दर कचड़ा फैल चुका है।अस्पताल की दीवारे टूटने लगी है,अस्पताल के दीवार भले ही टूट रहे हो पर लोगो के हौश्ले अब भी बुलंद है।


Conclusion:ग्रामीणो ने इटिवी भारत से बात करते हुए कहा की ग्रामीणो के अथक प्रयास और सहयोग से वर्ष 2010 मे इस अस्पताल का निर्माण किया गया इस उम्मिद से की इस अस्पताल के निर्माण हो जाने से यहा के मरीजो को परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा क्योंकि विसनपुर गांव की जिले से दूरि 40 किलोमीटर के लगभग है।ऐसे मे हम लोगो को अगर को रात मे कोई तकलिफ होती है तो कई मरीजो को अस्पताल ले जाते वक़्त राश्ते मे ही मौत हो जाती है।ग्रामीणो ने बताया की जब इस अस्पताल का उदघाटन हुआ था उसी वक़्त एम जी एम मैडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ-दिलिप कुमार जायसवाल ने इस अस्पताल को गोद ले लिया और इसे मैडिकल कॉलेज के अधीन ले लिया।
पर 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी ये अस्पताल चालू नही हुआ है।
चुकी अस्पताल ट्रस्ट के अधीन है इस वजह से जिला प्रशासन भी कुछ नहीं कर रहा है।


Last Updated : Jun 28, 2019, 2:43 PM IST
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