किशनगंज: बिहार में एक और निर्माणाधीन पुल कांकई नदी की धारा में बह गया है. दरअसल, यह मामला दिघलबैंक प्रखंड के पथरघट्टी पंचायत का है. जिसकी लागत 1.40 करोड़ बताई जा रही है.
बताया जाता है कि बिहार के किशनगंज जिले में गवालटोली और पथरघट्टी हाट के बीच मरिया धार के मुहाने पर कच्ची सड़क कटने पर कंकई नदी की धारा मुड़ गई, जिसके बाद कूढ़ेली के गवालटोली में निर्माणाधीन पुल कंकई नदी की तेज धारा में बह गया. जो अब आधे दर्जन गांव के लिए मुसीबत की वजह बन गई है.
ग्रामीणों ने लगाया पुल में धांधली का आरोप
पुल धंसने की वजह से ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण पिछले एक महीने से डायवर्सन को भरने की मांग कर रहे थे और इसके लिए श्रम दान भी कर रहे थे. इतना ही नहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि पुल निर्माण में धांधली बरती गई है, जिस वजह से पुल बह गया है. ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक महीने में नदी में उफान को लेकर यहां स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी लेकिन किसी ने सुध नहीं ली.
पुल का बहना प्राकृतिक आपदा : संवेदक
वहीं, संवेदक और अभियंता ने नियमों को ताक पर रख कर पुल निर्माण कार्य किया है. वहीं, संवेदक मो नदीम ने इसे प्राकृतिक आपदा बताया है. जबकि एआईएमआईएम के नेता हसन जावेद ने सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाया. हसन जावेद ने कहा है कि करीब एक महीने से कंकई नदी की स्थिति गंभीर बनी हुई थी, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
...और 16 सितंबर को पुल पानी में बह गया
बता दें कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पुल का निर्माण किया जा रहा था. ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से 1.40 करोड़ की लागत से कंकई नदी पर 26 मीटर लंबा पुल का निर्माण कार्य पिछले साल जून में शुरू हुआ था और इस साल जून तक पुल बनकर तैयार भी हो गया. लेकिन, अप्रोच पुल अभी नहीं बना था, इसलिए स्थानीय ग्रामीण चचरी के पुल के सहारे आना जाना कर रहे थे. लेकिन इसके पहले कि पुल का उद्घाटन होता, 16 सितंबर को पुल पानी में बह गया.
सुशासनी पुल उद्घाटन से पहले टूट गया: तेजस्वी
इस बीच, तेजस्वी यादव ने इस घटना को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, किशनगंज़ जिला में करोड़ो की लागत से निर्माणाधीन सुशासनी पूल उद्घाटन से पहले टूट गया. देखते है 15 वर्षों की भ्रष्टाचारी सरकार और 60 घोटालों के प्रबन्ध संरक्षक कर्ता नीतीश कुमार और सुशील मोदी इसका दोष विपक्ष या प्रकृति में से किसे देते है?