किशनगंज: कोरोना के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन ने कई लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. इन्हीं में से एक सर्कस में काम करने वाले कलाकार और करतब दिखाने वाले जानवर भी हैं, जो इन दिनों लॉकडाउन के कारण किशनगंज में पिछले 75 दिनों से फंसे हुए हैं.
दर्जनों जानवरों के साथ मशहूर अजंता सर्कस के 60-65 कलाकार किशनगंज के खगड़ा मेला में निर्धारित कार्यक्रम में करतब दिखाने के लिए आए हुए थे. जहां, एक महीने तक सर्कस चला भी, लेकिन कार्यक्रम को पर्याप्त दर्शक नहीं मिलने के चलते शो फ्लॉप हो गया. इसके बाद सर्कस पर वैश्विक महामारी कोरोना की जबरदस्त मार पड़ी और कलाकारों के सामने खाद्यान्न का संकट उत्पन्न हो गया है.
गौरतलब है कि किशनगंज के ऐतिहासिक खगड़ा मेला ग्राउंड में करतब दिखाकर अपना और अपने परिवारों का भरण-पोषण करने वाले कलाकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. साथ ही सर्कस में काम कर रहे जानवर भी भूख से बेहाल हैं. 8 फरवरी को किशनगंज खगड़ा मेले में अजंता सर्कस का शुभारंभ हुआ था. एक महीनों तक शो चलने के बावजूद शो को दर्शक नहीं मिलने के कारण सर्कस को काफी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं, सर्कस प्रबंधन सर्कस को दूसरी जगह शिफ्ट करने की सोच ही रहे थे कि तभी अचानक आ धमके कोरोना की मार ने सर्कस को दोबारा पछाड़ दिया.
सर्कस कर्मियों के सामने भुखमरी की स्थिति
बता दें कि पिछले 8 मार्च से अजंता सर्कस के कलाकार और करतब दिखाने वाले जानवर किशनगंज में फंसे हुए हैं. सर्कस में घोड़ा, कुत्ता और चिड़िया के साथ ही 65 कलाकार भी शामिल हैं. जिनके लिए हर दिन खाने, रख-रखाव और ठहरने में 40 से 45 हजार रुपये का खर्च आता है. वहीं, अब आमदनी के सभी स्त्रोत खत्म हो जाने के कारण सर्कस कर्मियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. जिसके बाद सर्कस प्रबंधन के लोग राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. सर्कस के कलाकारों में नेपाल के साथ ही देश के कई राज्यों से अपने परिवारों समेत आए हुए हैं.
पूर्णत: सरकार और स्थानीय लोग पर निर्भर हुआ सर्कस
सर्कस के प्रबंधक ने बताया कि उन्होंने संबंधित मामले में किशनगंज जिला प्रशासन से मदद के लिए कई बार मुलाकात किया है. लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन और थोड़ा बहुत राशन किट ही मिल पाया है. वहीं, लॉकडाउन में जिले में फंसे सर्कस कलाकारों को लेकर एसडीएम ने कहा कि कलाकारों को सुखा राशन दिया गया है. जल्द ही आवश्यकतानुसार सामग्री फिर भेजा जाएगा. बता दें कि इस विकट परिस्थिती में फंसे हुए सर्कस कर्मचारी और जानवरों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने से वो पूर्णत: स्थानीय लोग और प्रशासन की निर्भर हैं.
सरकार से मदद की आस
वहीं, कुछ स्थानीय सामाजिक संगठन भी सर्कस को राहत सामग्री दे रहे हैं. साथ ही उन्होंने सर्कस में काम कर रहे भूखे जानवरों की भी खुराक व्यवस्था करने की बात कही है. बता दें कि लोगों के मनोरंजन के लिए देश में गिने-चुने ही सर्कस बचे हैं. उनमें सबसे प्रमुख अजंता सर्कस वर्षों से किसी तरह अभी तक अपने वजूद को बचाए चला आ रहा है. लेकिन इस वक्त सर्कस अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है. ऐसे समय में सर्कस प्रबंधन सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है.