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ग्राउंड रिपोर्ट: शौचालय निर्माण राशि के लिए मांगी जाती है रिश्वत, 80 प्रतिशत लोग अभी भी वंचित - ओडीएफ में खेल

शौचालय निर्माण कराने के 2 साल बाद भी कुछ लोगों को अब तक पैसे नहीं मिले. वहीं, शौचालय निर्माण की राशि दिलाने को लेकर 2 हजार घूस की मांग भी की जाती है. वहीं, जिलाधिकारी ने जांच कर कार्रवाई की बात कही है.

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ओडीएफ में खेल
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Published : Dec 9, 2019, 4:20 AM IST

Updated : Dec 9, 2019, 7:07 AM IST

खगड़ियाः बिहार सरकार राज्य को खुले में शौच मुक्त करने को लेकर अभियान चला रही है. इसी क्रम में खगड़िया को भी ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. सरकार के कामकाज धरातल पर नहीं बल्कि कागजों पर दिख रहे हैं. ईटीवी भारत के पड़ताल में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं.

बता दें कि खगड़िया जिला को 4 महीने पहले ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खगड़िया आगमन पर आनन-फानन में जिला प्रसाशन ने कुछ प्रखंडो को ओडीएफ घोषित किया था. धीरे-धीरे पूरे जिले को ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया. हालांकि शौचालय निर्माण कराने के 2 साल बाद भी कुछ लोगों को अब तक पैसे नहीं मिले. वहीं, शौचालय निर्माण की राशि दिलाने को लेकर 2 हजार घूस की मांग भी की जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

80 प्रतिशत लोग लाभ से वंचित
दरअसल, खगड़िया जिले के मधुआ गांव में ईटीवी भारत संवाददाता ने इसकी जांच-पड़ताल की. जिसमें चौकाने वाली बात सामने आयी. पड़ताल में पता चला कि गांव के लगभग 80 प्रतिशत लोगों को अब तक शौचालय का पैसा नहीं मिला है. वहीं, सैकड़ो लोग के पास अब भी शौचालय नहीं है. लोगों ने किसी तरह शौचालय का निर्माण कराय. कुछ लोगों ने शौचालय निर्माण के कर्ज लिया तो कुछ ने सामान बेच कर. वहीं, शौचालय निर्माण के पैसे दिलवाने के लिए जन प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी कमीशन की मांग करते हैं.

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स्थानीय महिला

ये भी पढ़ेंः JDU विधायक अमरनाथ गामी ने उठाई बिहार से अलग 'मिथिला राज्य' की मांग
जिलाधिकारी ने कही जांच की बात
ईटीवी भारत के कैमरे पर ग्रामीण महिलाएं और पुरुष शौचालय निर्माण में कर्मचारियों द्वारा रिश्वत की मांग की बात कही. इस संबंध में जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने सख्ती दिखाई है. उन्होंने बताया कि सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए किसी को घूस देने की जरुरत नहीं है. अगर कोई पैसे की मांग करता है वो सीधे उनके पास शिकायत दर्ज कराये. ऐसे लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जायेगा.

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जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार

खगड़ियाः बिहार सरकार राज्य को खुले में शौच मुक्त करने को लेकर अभियान चला रही है. इसी क्रम में खगड़िया को भी ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. सरकार के कामकाज धरातल पर नहीं बल्कि कागजों पर दिख रहे हैं. ईटीवी भारत के पड़ताल में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं.

बता दें कि खगड़िया जिला को 4 महीने पहले ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खगड़िया आगमन पर आनन-फानन में जिला प्रसाशन ने कुछ प्रखंडो को ओडीएफ घोषित किया था. धीरे-धीरे पूरे जिले को ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया. हालांकि शौचालय निर्माण कराने के 2 साल बाद भी कुछ लोगों को अब तक पैसे नहीं मिले. वहीं, शौचालय निर्माण की राशि दिलाने को लेकर 2 हजार घूस की मांग भी की जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

80 प्रतिशत लोग लाभ से वंचित
दरअसल, खगड़िया जिले के मधुआ गांव में ईटीवी भारत संवाददाता ने इसकी जांच-पड़ताल की. जिसमें चौकाने वाली बात सामने आयी. पड़ताल में पता चला कि गांव के लगभग 80 प्रतिशत लोगों को अब तक शौचालय का पैसा नहीं मिला है. वहीं, सैकड़ो लोग के पास अब भी शौचालय नहीं है. लोगों ने किसी तरह शौचालय का निर्माण कराय. कुछ लोगों ने शौचालय निर्माण के कर्ज लिया तो कुछ ने सामान बेच कर. वहीं, शौचालय निर्माण के पैसे दिलवाने के लिए जन प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी कमीशन की मांग करते हैं.

khgaria
स्थानीय महिला

ये भी पढ़ेंः JDU विधायक अमरनाथ गामी ने उठाई बिहार से अलग 'मिथिला राज्य' की मांग
जिलाधिकारी ने कही जांच की बात
ईटीवी भारत के कैमरे पर ग्रामीण महिलाएं और पुरुष शौचालय निर्माण में कर्मचारियों द्वारा रिश्वत की मांग की बात कही. इस संबंध में जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने सख्ती दिखाई है. उन्होंने बताया कि सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए किसी को घूस देने की जरुरत नहीं है. अगर कोई पैसे की मांग करता है वो सीधे उनके पास शिकायत दर्ज कराये. ऐसे लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जायेगा.

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जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार
Intro:नीतीश कुमार के राज्य में जितने काम धरातल पर नही होते उसके दोगुने काम सिर्फ कागजों पर किये जाते है।
ताजा मामला शौचालय मुक्ति को ले कर है।


Body:नीतीश कुमार के राज्य में जितने काम धरातल पर नही होते उसके दोगुने काम सिर्फ कागजों पर किये जाते है।
ताजा मामला शौचालय मुक्ति को ले कर है।खगडिया जिला आज से पिछले 4 महीने पहले ही शौच मुक्त कर दिया गया। ऐसा क्यों किया गया ये भी बता दे रहे है।माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खगड़िया आने वाले थे उसी आननफानन में जिला प्रसाशन अपने आप को काबिल दिखाने के चक्कर मे पहले कुछ प्रखंड को किया फिर धीरे-धीरे पूरे जिला को ही शौच मुक्त कर दिया गया।लेकिन विडम्बना ये है कि सिर्फ और सिर्फ कागजों पर ही इस जिला को शौचमुक्त किया गया है।
दूसरी बड़ी समस्या ये है कि चलिए आप शौच मुक्त कर दिए खगडिया को लेकिन उन शौचालय बनाने वाले नागरिकों को उनका पैसा तो दे देते जो 2-2 साल से शौचालय बनवा कर पैसे के उम्मीद में आज तक बैठे हुए है। जिनसे शौचालय राशि के नाम से छोटे कर्मचारी 2 हजार की मांग करते है।
खगडिया जिले के मधुआ गांव में हमने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि गांव के करीब 80 प्रतिशत लोगो को अब तक शौचालय का पैसा नही मिला है तो सैकड़ो लोग के पास शौचालय ही नही है।जो लोग शौचालय बनवाया भी है वो भी जैसे तैसे पोसे जोड़ कर बनवाया है तो कोई कर्ज या कुछ बेच कर बनवाया है।ऐसे में खगडिया जिला प्रसाशन पर कोई उंगली ना उठाय तो क्या करे।ग्रामीण महिला और पुरुष ये कहते हुए बिल्कुल नहीं हिचकते की कर्मचारियों द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की जा रही है।वंही हमने इस बात पर जब जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार से बाय की तो उन्हनो ने साफ कहा कि किसी को पैसे नही देना है अगर कोई पैसे की मांग करता है तो ग्रामीण मेरे पास शिकायत ले कर आये हम वैसे लोगो पर केश दर्ज कर के करवाई करेंगे।अब भला डीएम साहब के पास 2 हजार के लिए सैकड़ो लोग यो जायंगे नही और ना ही उन कर्मचारियों पर कोई करवाई होगी।


Conclusion:
Last Updated : Dec 9, 2019, 7:07 AM IST
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