खगड़ियाः बिहार सरकार राज्य को खुले में शौच मुक्त करने को लेकर अभियान चला रही है. इसी क्रम में खगड़िया को भी ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. सरकार के कामकाज धरातल पर नहीं बल्कि कागजों पर दिख रहे हैं. ईटीवी भारत के पड़ताल में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं.
बता दें कि खगड़िया जिला को 4 महीने पहले ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खगड़िया आगमन पर आनन-फानन में जिला प्रसाशन ने कुछ प्रखंडो को ओडीएफ घोषित किया था. धीरे-धीरे पूरे जिले को ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया. हालांकि शौचालय निर्माण कराने के 2 साल बाद भी कुछ लोगों को अब तक पैसे नहीं मिले. वहीं, शौचालय निर्माण की राशि दिलाने को लेकर 2 हजार घूस की मांग भी की जाती है.
80 प्रतिशत लोग लाभ से वंचित
दरअसल, खगड़िया जिले के मधुआ गांव में ईटीवी भारत संवाददाता ने इसकी जांच-पड़ताल की. जिसमें चौकाने वाली बात सामने आयी. पड़ताल में पता चला कि गांव के लगभग 80 प्रतिशत लोगों को अब तक शौचालय का पैसा नहीं मिला है. वहीं, सैकड़ो लोग के पास अब भी शौचालय नहीं है. लोगों ने किसी तरह शौचालय का निर्माण कराय. कुछ लोगों ने शौचालय निर्माण के कर्ज लिया तो कुछ ने सामान बेच कर. वहीं, शौचालय निर्माण के पैसे दिलवाने के लिए जन प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी कमीशन की मांग करते हैं.
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जिलाधिकारी ने कही जांच की बात
ईटीवी भारत के कैमरे पर ग्रामीण महिलाएं और पुरुष शौचालय निर्माण में कर्मचारियों द्वारा रिश्वत की मांग की बात कही. इस संबंध में जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने सख्ती दिखाई है. उन्होंने बताया कि सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए किसी को घूस देने की जरुरत नहीं है. अगर कोई पैसे की मांग करता है वो सीधे उनके पास शिकायत दर्ज कराये. ऐसे लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जायेगा.