पटना : वैलेंटाइन वीक के दौरान जब दुनिया प्रेम और रिश्तों के जश्न में डूबी होती है, तो बिहार की एक प्रेम कहानी लोगों को आज भी काफी कुछ संदेश देती नजर आती है. ये कहानी है बिहार के दिवंगत नेता सुशील मोदी की. सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज की प्रेम कहानी बेहद दिलचस्प है. जिस दौर में बिहार में प्रेम विवाह को सामाजिक मान्यता न के बराबर मिली थी उस दौर में सुशील मोदी ने दूसरे धर्म को मानने वाली लड़की से प्रेम विवाह करने का फैसला लिया.
ट्रेन में दिल दे बैठे थे सुशील मोदी : सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज दोनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे. मुंबई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मुख्यालय हुआ करता था. सुशील मोदी बैठक में शामिल होने मुंबई गए थे. तभी वहीं से सुशील मोदी को मुंबई से कश्मीर जाना पड़ा और इस दौरान ट्रेन में सुशील मोदी की मुलाकात सामने बैठी एक लड़की से होती है. पुस्तक प्रेम ने सुशील मोदी और जेसी मोदी को एक दूसरे से करीब लाया.
जेसी को देख सुशील मोदी ने बदला था इरादा : आपको बता दें कि जेसी जॉर्ज से मुलाकात के पहले सुशील मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री थे. सुशील मोदी विद्यार्थी परिषद में पूर्णकालिक थे. विद्यार्थी परिषद के संगठन महामंत्री पूर्णकालिक होते थे और वह विवाह नहीं करते थे. जेसी जॉर्ज से मुलाकात के बाद सुशील मोदी सामाजिक जीवन में लौट गए और उसके बाद हरेंद्र प्रताप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए. जेसी जार्ज को देखकर उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और जेसी जॉर्ज से शादी कर ली.
केरल की वो लड़की जिसपर आया सुमो का दिल : सुशील मोदी से उम्र में 2 साल बड़े भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद हरेंद्र प्रताप बताते हैं कि ''सुशील मोदी और केरल की जेसी जॉर्ज दोनों बॉटनी के छात्र थे. जेसी जॉर्ज पक्षी पर अध्ययन के लिए जम्मू कश्मीर जा रही थीं. मुंबई से जम्मू कश्मीर जाने के क्रम में ट्रेन में दोनों एक दूसरे से मुखातिब हुए. सुशील मोदी ने पढ़ने के लिए पुस्तक मांगी. ट्रेन में ही दोनों एक दूसरे के मित्र हो गए.''
![ईटीवी भारत GFX.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/23535557_gfx.jpg)
कश्मीर की वादियों में हुई मुलाकात : कश्मीर की वादियों में भी दोनों एक दूसरे से मिले. धीरे-धीरे प्यार परवान चढ़ने लगा. जेसी मोदी और सुशील मोदी ने तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़कर विवाह रचाने का फैसला लिया. 1985 के नवंबर में मुंबई में विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन था. बैठक में अश्विनी चौबे अपनी पत्नी के साथ आए थे. जेसी जॉर्ज डेलिगेट के रूप में बैठक में शामिल होने पहुंची थीं.
वेलेंटाइन वीक में हुई थी सुशील मोदी की इंगेजमेंट : हरेंद्र प्रताप बताते हैं कि 1986 को फरवरी माह में सुशील मोदी मेरे ही साथ मुंबई गए और मुंबई में किसी रिश्तेदार के यहां इंगेजमेंट हुआ. संभवत फरवरी के पहले सप्ताह में इंगेजमेंट हुआ था. सुशील मोदी के परिवार से कोई इंगेजमेंट में नहीं जा सका था. संभवत: 13 अप्रैल को पटना में सुशील मोदी और जेसी जॉर्ज के बीच विवाह संपन्न हुआ.
![दिवंगत नेता सुशील मोदी की पत्नी जेसी जॉर्ज](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/bh-pat-vis-03-ranjeet-sushil-modi-love-9021852_12022025202033_1202f_1739371833_35.jpg)
सादगी से हुई शादी, नहीं दिया था भोज : हरेंद्र प्रताप बताते हैं कि ''विवाह बेहद सादगी से संपन्न हुआ. आर्य सामाजी विधि से सुशील मोदी ने विवाह किया था. विवाह के दौरान किसी तरह का भोज का आयोजन नहीं किया गया था. आए हुए अतिथियों को मिठाई जरूर मिली थी. विवाह में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और नानाजी देशमुख भी शामिल हुए. विवाह में किसी तरह की फिजूल खर्ची नहीं हुई थी.''
अटल बिहारी वाजपेई शादी में हुए थे शामिल : सुशील मोदी के करीबी मित्र रह चुके सुरेश रुंगटा भी विवाह समारोह में शामिल हुए थे. सुशील मोदी की शादी हमारे वैश्य समाज के लिए उदाहरण है. उन्होंने जो शादी किया वह वैदिक रीति रिवाज से किया. कहीं किसी तरह का कोई दिखावा नहीं किया गया. संघ शाखा मैदान में शादी का आयोजन हुआ था.
![दिवंगत नेता सुशील मोदी की प्रेम कहानी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/bh-pat-vis-03-ranjeet-sushil-modi-love-9021852_12022025202033_1202f_1739371833_187.jpg)
''सुशील मोदी के पिताजी शुरुआती दौर में अंतरजातीय विवाह के खिलाफ थे, लेकिन बाद में मान गए थे. सुशील जी शुरू से ही घर की व्यवस्था से विद्रोह करके चलते थे. घर के लोग यह मानते थे कि जो फैसला सुशील मोदी लेंगे उसे पर कायम रहेंगे. इस वजह से घर के लोगों ने सुशील मोदी को अंतरजातीय विवाह के लिए अनुमति दी. सुशील मोदी ने शादी में भोज का आयोजन नहीं किया था बस लोगों का मुंह मीठा कराया गया था.''- सुरेश रुंगटा, वरिष्ठ बीजेपी नेता
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