खगड़िया: जिला आज भी विकास से कोषों दूर है. यहां के बदला घाट के पास एक रिटायर्ड रेलवे पुल लोगों के आवाजाही का एक मात्र रास्ता है. चौथम प्रखंड के दियारा इलाके की बड़ी आबादी आज भी रेलवे के रिटायर्ड और जर्जर पुल से आवाजाही करने को विवश है. यहां के लोग जान जोखिम में डालकर इस पुल से यात्रा करते हैं.
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बता दें कि चौथम प्रखंड का 4 पंचायत कोसी बागमती सहित 4 नदियों से घिरा हुआ है. इस इलाके में कोई सीधी सड़क नहीं है. आवागमन का एकमात्र साधन ये रेलवे का पुल है. यह पुल अंग्रेजों के जमाने में ही बनाया गया था. जिसे रेलवे ने रिटायर्ड कर दिया है. फिर भी आवाजाही का कोई अन्य साधन नहीं होने के कारण यहां के लोग इस पुल से यात्रा करते हैं.
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मजबूरी में गुजरते हैं लोग
बदला घाट से कात्यायनी मंदिर जाते हुए लोगों को रिटायर्ड रेलवे पुल 51 से होकर गुजरना पड़ता है. जिसके एक तरफ तो सुरक्षा के लिए लोहे के एंकल लगे हुए हैं, लेकिन दूसरी तरफ कुछ नहीं है. कई बार इस पुल से गिरकर लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं. इस से होकर गुजरना लोगों की मजबूरी बनी हुई है.
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बड़ी दुर्घटना की हमेशा आशंका
ये पुल इतना जर्जर है कि जब ट्रैक्टर चालक गाड़ी लेकर इससे गुजरते हैं तो पूरा पुल हिलने लगता है. जिससे ट्रैक्टर चालक और अन्य राहगीर सहम जाते हैं. पुल के जर्जर होने से बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. वहीं, पुल के जर्जर रहने और किसी तरह का अन्य रास्ता नहीं होने के कारण मानसी थाना की पुलिस भी इस एरिया में नहीं आती है या फिर सूचना देने के बाद पुलिस को मौके पर पहुंचने में घंटो लग जाते हैं.
कात्यायनी मंदिर भी उपेक्षा का शिकार
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक जिले का एकमात्र दर्शन स्थल मां कात्यायनी का मंदिर भी उपेक्षा का शिकार है. इतने साल बीत जाने के बाद भी कात्यानी स्थान सड़क संपर्क से नहीं जुड़ सका है. हालांकि साल 2018 के दिसंबर में डुमरी पूल उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने बदला से फनगो तक पूल और सड़क का निर्माण कराए जाने की घोषणा किया था. इसके लिए केंद्र से स्वीकृति मिलने की बात भी कही थी. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ है. उम्मीद जताई जा रही है कि पुल और सड़क निर्माण होने पर कात्यायनी स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में दर्जा मिल सकता है.
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