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खगड़ियाः जमीनी रजिस्ट्री में नए नियम से स्टाम्प वेंडरों की बढ़ी परेशानी, निबंधन कार्यालय में पसरा सन्नाटा

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Published : Oct 23, 2019, 1:28 PM IST

जिला और निबंधन अधिकारी(रजिस्टार) ऋषि सिन्हा का कहना है कि निश्चित रूप से जमीनी रजिस्ट्री में नियम बदलने के बाद रजिस्ट्री में कमी आई है. इसके वजह से राजस्व में भारी नुकसान होगा. लेकिन, जो जीमन को लेकर विवाद होते थे उसमें बहुत कमी आएगी.

निबंधन कार्यालय में पसरा सन्नाटा

खगड़ियाः जमीनी रजिस्ट्री में नया नियम लागू होने के बाद रजिस्ट्री कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है. सुबह कार्यालय खुलने का समय हो या दोपहर का समय, हर पहर एक सी समानता देखी जा रही है. जहां पहले के दिनों में कार्यालय खुलते ही रजिस्ट्री करने वाले लोगों की हुजूम देखने को मिलता था. अब वहीं गिने-चुने आदमी दिखते हैं. कर्मचारी दिनभर कुर्सी पर खाली बैठे नजर आते हैं.

नया नियम लागू होने से स्टाम्प वेंडर की बढ़ी परेशानी
लैंड रजिस्ट्री का नया नियम के लागू हुए आज करीब 10 दिन हो गए हैं. इन 10 दिनों में सिर्फ 13 से 15 रजिस्ट्री ही हो पाई है. खगड़िया निबंधन कार्यालय में औसतन जहां 25 से 30 जमीनों की रजिस्ट्री की जाती थी. अब वहां पूरे दिन भर में सिर्फ 3 से 4 ही रजिस्ट्री हो रही है.

जमीनी रजिस्ट्री में नए नियम से स्टाम्प वेंडरों की बढ़ी परेशानी

निबंधन कार्यालय में रहता है सन्नाटा
निबंधन कार्यालय में स्टाम्प वेंडर और डीड प्रोपराइटर का कहना है कि नया नियम लागू होने के बाद से हम सभी बेरोजगारी के कगार पर आ गए है. स्टाम्प वेंडरों की मानें तो पहले एक दिन में वह रजिस्ट्री के 25 से 30 हजार पेपर बेच देते थे. अब वह सिर्फ 2 से 3 हजार रजिस्ट्री स्टाम्प बेच पा रहे हैं. जिससे उनकी आमदनी पर रोक लग गई है.

bihar
निबंधन अधिकारी ऋषि सिन्हा

सभी स्टाम्प वेंडर बेरोजगारी के कगार पर
वहीं, जो रजिस्ट्री के कागजात हाथ से लिखते हैं जिनको डीड प्रोपराइटर कहा जाता है उनका कहना है कि पहले औसतन जमीन की रजिस्ट्री 30 तक होती थी. उसमें हर प्रकार के जमीन होते थे. 1 लाख से लेकर कई लाख तक तो कमाई अच्छी हो जाती थी. लेकिन, अब तो बेरोजगारी के कगार पर आ गए हैं. पर्व, त्योहार भी है तो समझ नहीं आ रहा कि जरूरी कामों को कैसे करें.

bihar
स्टाम्प वेंडर

नया नियम लागू होने से जमीनी विवाद कम होंगे
जिला और निबंधन अधिकारी(रजिस्टार) ऋषि सिन्हा का कहना है कि निश्चित रूप से जमीनी रजिस्ट्री में नियम बदलने के बाद रजिस्ट्री में कमी आई है. जहां पहले महीने में 1 करोड़ 75 लाख की रजिस्ट्री होती थी और राजस्व को इसके हिसाब से साल में 22 करोड़ रुपये का फायदा होता था. वहीं, अब सिर्फ महीने के 20 से 25 लाख ही होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्व में इसके वजह से भारी नुकसान होगा. लेकिन, जो जीमन को लेकर विवाद होते थे उसमें बहुत कमी आएगी.

खगड़ियाः जमीनी रजिस्ट्री में नया नियम लागू होने के बाद रजिस्ट्री कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है. सुबह कार्यालय खुलने का समय हो या दोपहर का समय, हर पहर एक सी समानता देखी जा रही है. जहां पहले के दिनों में कार्यालय खुलते ही रजिस्ट्री करने वाले लोगों की हुजूम देखने को मिलता था. अब वहीं गिने-चुने आदमी दिखते हैं. कर्मचारी दिनभर कुर्सी पर खाली बैठे नजर आते हैं.

नया नियम लागू होने से स्टाम्प वेंडर की बढ़ी परेशानी
लैंड रजिस्ट्री का नया नियम के लागू हुए आज करीब 10 दिन हो गए हैं. इन 10 दिनों में सिर्फ 13 से 15 रजिस्ट्री ही हो पाई है. खगड़िया निबंधन कार्यालय में औसतन जहां 25 से 30 जमीनों की रजिस्ट्री की जाती थी. अब वहां पूरे दिन भर में सिर्फ 3 से 4 ही रजिस्ट्री हो रही है.

जमीनी रजिस्ट्री में नए नियम से स्टाम्प वेंडरों की बढ़ी परेशानी

निबंधन कार्यालय में रहता है सन्नाटा
निबंधन कार्यालय में स्टाम्प वेंडर और डीड प्रोपराइटर का कहना है कि नया नियम लागू होने के बाद से हम सभी बेरोजगारी के कगार पर आ गए है. स्टाम्प वेंडरों की मानें तो पहले एक दिन में वह रजिस्ट्री के 25 से 30 हजार पेपर बेच देते थे. अब वह सिर्फ 2 से 3 हजार रजिस्ट्री स्टाम्प बेच पा रहे हैं. जिससे उनकी आमदनी पर रोक लग गई है.

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निबंधन अधिकारी ऋषि सिन्हा

सभी स्टाम्प वेंडर बेरोजगारी के कगार पर
वहीं, जो रजिस्ट्री के कागजात हाथ से लिखते हैं जिनको डीड प्रोपराइटर कहा जाता है उनका कहना है कि पहले औसतन जमीन की रजिस्ट्री 30 तक होती थी. उसमें हर प्रकार के जमीन होते थे. 1 लाख से लेकर कई लाख तक तो कमाई अच्छी हो जाती थी. लेकिन, अब तो बेरोजगारी के कगार पर आ गए हैं. पर्व, त्योहार भी है तो समझ नहीं आ रहा कि जरूरी कामों को कैसे करें.

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स्टाम्प वेंडर

नया नियम लागू होने से जमीनी विवाद कम होंगे
जिला और निबंधन अधिकारी(रजिस्टार) ऋषि सिन्हा का कहना है कि निश्चित रूप से जमीनी रजिस्ट्री में नियम बदलने के बाद रजिस्ट्री में कमी आई है. जहां पहले महीने में 1 करोड़ 75 लाख की रजिस्ट्री होती थी और राजस्व को इसके हिसाब से साल में 22 करोड़ रुपये का फायदा होता था. वहीं, अब सिर्फ महीने के 20 से 25 लाख ही होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्व में इसके वजह से भारी नुकसान होगा. लेकिन, जो जीमन को लेकर विवाद होते थे उसमें बहुत कमी आएगी.

Intro:नए नियम के प्रभावी होने के बाद रजिस्ट्री कार्यलय का नजारा अलग देखा जा रहा है ।सुबह कार्यालय खुलने का समय हो या दोपहर का समय हो हर पहर एक सी समानता राह राही है।जंहा पहले के दिनों में कार्यालय खुलते ही रजिस्ट्री करने वाले लोगो की हुजूम से देखने को मिलती थी अब वही गिने चुने आदमी दिखते है और खाली बैठे हु कर्मचारी।



Body:नए नियम के प्रभावी होने के बाद रजिस्ट्री कार्यलय का नजारा अलग देखा जा रहा है ।सुबह कार्यालय खुलने का समय हो या दोपहर का समय हो हर पहर एक सी समानता राह राही है।जंहा पहले के दिनों में कार्यालय खुलते ही रजिस्ट्री करने वाले लोगो की हुजूम से देखने को मिलती थी अब वही गिने चुने आदमी दिखते है और खाली बैठे हु कर्मचारी।
नया नियम के लागू होने के बाद जमीन के निबंधन में काफी कमी आ गई है। नई नियम के लागू होने के आज करीब 10 दिन हो गए है और अब तक इन 10 दिनों में सिर्फ 13 से 15 रजिस्ट्री ही हो पाई है।
खगड़िया निबंधन कार्यालय में औसतन जंहा 25 से 30 जमीनों की रजिस्ट्री की जाती थी अब वह सिर्फ 3 से 4 ही पूरे दिन में हो पाते है।
निबंधन कार्यालय में स्टाम्प वेंडर और डीड प्रोपराइटर का कहना है कि नया नियम लागू होने के बाद से हम सभी बेरोजगारी के कगार पर आ गए है स्टाम्प वेंडरों की माने तो पहले एक दिन में एक वेंडर रजिस्ट्री के 25 से 30 हजार पेपर बेच देते थे अब वह सिर्फ 2 से 3 हजार रजिस्ट्री स्टाम्प बेच पा रहे है जिस से उनकी आमदनी पर रोक सी लग गई है उनकी आमदनी पहले दिन के 2 हजार से ढाई हजार रुपये तक रहती थी अब वो 100 से 200 रुपये तक रह जाती है।वंही जो रजिस्ट्री के कागजात हाथ से लिखते है जिनको डीड प्रोपराइटर कहते है इनलोगो का कहना है कि पहले औसतन जमीन की रजिस्ट्री 30 तक होती थी उसमें हर प्रकार के जमीन होते थे 1 लाख से ले कर कई लाख तक तो कमाई अच्छी हो जाती थी लेकिन अब तो बेरोजगारी के कगार पर आ गए है और इसी समय मे पर्व,त्योहार भी है तो समझ नही आ रहा कि जरूरी कामो को बिना पैसे का कैसे पूरा करे।
जिला अवर निबंधन अधिकारी(रजिस्टार) ऋषि सिन्हा का कहना है कि निश्चित रूप से नियम बदलने के बाद रजिस्ट्री में कमी आई है।जंहा पहले महीने का 1 करोड़ 75 लाख का रजिस्ट्री होता था और राजस्व को इसके हिसाब से साल में 22 करोड़ रुपये का फायदा होता था व्व अब सिर्फ महीने के 20 से 25 लाख ही होंगे।
रजिस्टार ऋषि सिन्हा ने भी माना है कि राजस्व में इसके वजह से भरी नुकसान होगा लेकिन जो जीमन को ले कर विवाद होते थे उसमे भी बहुत कमी आएगी।

नए नियम से क्या होगा फायदा
सरकार द्वारा जमीन रजिस्ट्री संबंधी नया नियम लागू की जाने के बाद कई फायदे भी है। सबसे पहले अब कोई जमीन बिक्री और खरीदगी में फर्जीवाड़े की गुंजाइश कम रह जाएगी। जमीन संबंधी विवाद कम होगा। गलत जमीन की रजिस्ट्री होगी नहीं लिहाजा विवाह धी कम होगा। किसी तरह के विवाद की स्थिति में उसका समाधान भी जमाबंदी के आधार पर तुरंत हो जाएगा। सयुक्त परिवार में अब कोई एक सदस्य वगैर अपने नाम की जमाबंदी के कोई जमीन बेच नहीं सकता है। किसी एक सदस्य या फिर भाई को जमीन बेचने के लिए हरे अपने नाम जमाबंदी कराना होगा। फिर जितने भाई है सभी को एक साथ जमीन रजिस्ट्री के लिए निबंधन कार्यालय जाना होगा।

पुराने नियम कुछ इस प्रकार थे
अब तक चली रजिस्ट्री में जमीन का निबंधन अनिवार्य नहीं था। निबंधन किसी के नाम रहती है जमीन कोई और बेचता है। अभी जमीन रजिस्ट्री के आलम है कि एक व्यक्ति के नाम पर निबंधन है। उसके बाद चार लोगों ने उस जमीन की खरीद बिक्री कर लिया है नय नियम में इस तरह की रजिस्ट्री पर रोक लगेगी।



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