खगड़ियाः जमीनी रजिस्ट्री में नया नियम लागू होने के बाद रजिस्ट्री कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है. सुबह कार्यालय खुलने का समय हो या दोपहर का समय, हर पहर एक सी समानता देखी जा रही है. जहां पहले के दिनों में कार्यालय खुलते ही रजिस्ट्री करने वाले लोगों की हुजूम देखने को मिलता था. अब वहीं गिने-चुने आदमी दिखते हैं. कर्मचारी दिनभर कुर्सी पर खाली बैठे नजर आते हैं.
नया नियम लागू होने से स्टाम्प वेंडर की बढ़ी परेशानी
लैंड रजिस्ट्री का नया नियम के लागू हुए आज करीब 10 दिन हो गए हैं. इन 10 दिनों में सिर्फ 13 से 15 रजिस्ट्री ही हो पाई है. खगड़िया निबंधन कार्यालय में औसतन जहां 25 से 30 जमीनों की रजिस्ट्री की जाती थी. अब वहां पूरे दिन भर में सिर्फ 3 से 4 ही रजिस्ट्री हो रही है.
निबंधन कार्यालय में रहता है सन्नाटा
निबंधन कार्यालय में स्टाम्प वेंडर और डीड प्रोपराइटर का कहना है कि नया नियम लागू होने के बाद से हम सभी बेरोजगारी के कगार पर आ गए है. स्टाम्प वेंडरों की मानें तो पहले एक दिन में वह रजिस्ट्री के 25 से 30 हजार पेपर बेच देते थे. अब वह सिर्फ 2 से 3 हजार रजिस्ट्री स्टाम्प बेच पा रहे हैं. जिससे उनकी आमदनी पर रोक लग गई है.
सभी स्टाम्प वेंडर बेरोजगारी के कगार पर
वहीं, जो रजिस्ट्री के कागजात हाथ से लिखते हैं जिनको डीड प्रोपराइटर कहा जाता है उनका कहना है कि पहले औसतन जमीन की रजिस्ट्री 30 तक होती थी. उसमें हर प्रकार के जमीन होते थे. 1 लाख से लेकर कई लाख तक तो कमाई अच्छी हो जाती थी. लेकिन, अब तो बेरोजगारी के कगार पर आ गए हैं. पर्व, त्योहार भी है तो समझ नहीं आ रहा कि जरूरी कामों को कैसे करें.
नया नियम लागू होने से जमीनी विवाद कम होंगे
जिला और निबंधन अधिकारी(रजिस्टार) ऋषि सिन्हा का कहना है कि निश्चित रूप से जमीनी रजिस्ट्री में नियम बदलने के बाद रजिस्ट्री में कमी आई है. जहां पहले महीने में 1 करोड़ 75 लाख की रजिस्ट्री होती थी और राजस्व को इसके हिसाब से साल में 22 करोड़ रुपये का फायदा होता था. वहीं, अब सिर्फ महीने के 20 से 25 लाख ही होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्व में इसके वजह से भारी नुकसान होगा. लेकिन, जो जीमन को लेकर विवाद होते थे उसमें बहुत कमी आएगी.