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लॉकडाउन के बाद आंधी और बारिश से घटी मक्के की कीमत, किसानों को नहीं मिल रहे खरीदार

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Published : May 26, 2020, 3:27 PM IST

लॉकडाउन के बीच किसानों को मक्के का समर्थन मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि बिचौलिए से औने-पौने दाम में मक्का बेचना हमारी मजबूरी हो जाती है. सरकार की ओर कोई मदद नहीं मिल रही है.

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खगड़िया: जिले में किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है. किसान तबाह हो रहे हैं. एक तरफ आंखों के सामने तैयार फसलें आंधी, बारिश और ओलावृष्टि की भेंट चढ़ रही है. तो वहीं, दूसरी ओर किसानों को इस लॉकडाउन के कारण मक्का का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसान परेशान हैं.

कहा ये भी जाता है कि मक्का ने ही जिले के किसानों की हालत को बदली है, लेकिन मक्का के उचित दाम नहीं मिलने के कारण किसान परेशान रहते हैं. किसानों के मुताबिक खगड़िया में रबी और खरीफ मिलाकर लगभग 79 हजार एकड़ में मक्का की खेती होती है. यहां के अधिकांश किसान मक्का की खेती करते हैं. खगड़िया के बेलदौर में सर्वाधिक 12 हजार हेक्टेयर में इस बार मक्के की खेती की गई है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

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मक्का

समर्थन मूल्य कम होने से किसान परेशान
बता दें कि डीजल, खाद और बीज के दामों में हर वर्ष वृद्धि होने के कारण खेती में लागत बढ़ रही है, लेकिन मक्का का दाम घट रहा है. पिछले वर्ष मक्के का समर्थन मूल्य 1900 रुपये प्रति क्विंटल था और इस साल बिहार सरकार के द्वारा 1760 रुपया समर्थन मूल्य रखा गया है, लेकिन सरकार के द्वारा जिले में एक जगह भी मक्का नहीं खरीदी जा रही है. ऐसे में मक्का किसान 900 से 1000 हजार रुपये प्रति क्विंटल मक्का बेचने को मजबूर हैं.

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मक्का सुखाते किसान

बिचौलिए से मक्का बेचना मजबूरी
किसानों का कहना है कि जिले में मक्के के इतनी बड़े उत्पाद के बावजूद भी न ही यहां कोई फैक्ट्री है न ही कोई बाजार समिति है. ऐसे में बिचौलिए को आने-पौने दाम में मक्का बेचना हमारी मजबूरी हो जाती है. किसानों का ये भी कहना है कि इस चुनाव में हमारे लिए ये एक मत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा. चुनाव में हमारी मांग रहेगी कि मक्का संबधित फैक्ट्री बने. तब हमलोग और भी ज्यादा उत्पाद करेंगे और हमारा विकास भी बड़े लेवल पर होगा.

देखें रिपोर्ट

फूड पार्क में नहीं लिया जाता है मक्का
खगड़िया में केंद्र सरकार द्वारा मेगा फूड पार्क भी बनवाया गया है. ताकि मक्का किसानों को सीधे फायदा मिल सके, लेकिन जिले के किसान कहते हैं कि इससे हमलोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. मक्का लेकर अगर किसान जाते है तो वहां कोई ना कोई बहाना बताकर फैक्ट्री में हमारे मक्का को नहीं लिया जाता है.

खगड़िया: जिले में किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है. किसान तबाह हो रहे हैं. एक तरफ आंखों के सामने तैयार फसलें आंधी, बारिश और ओलावृष्टि की भेंट चढ़ रही है. तो वहीं, दूसरी ओर किसानों को इस लॉकडाउन के कारण मक्का का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसान परेशान हैं.

कहा ये भी जाता है कि मक्का ने ही जिले के किसानों की हालत को बदली है, लेकिन मक्का के उचित दाम नहीं मिलने के कारण किसान परेशान रहते हैं. किसानों के मुताबिक खगड़िया में रबी और खरीफ मिलाकर लगभग 79 हजार एकड़ में मक्का की खेती होती है. यहां के अधिकांश किसान मक्का की खेती करते हैं. खगड़िया के बेलदौर में सर्वाधिक 12 हजार हेक्टेयर में इस बार मक्के की खेती की गई है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

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मक्का

समर्थन मूल्य कम होने से किसान परेशान
बता दें कि डीजल, खाद और बीज के दामों में हर वर्ष वृद्धि होने के कारण खेती में लागत बढ़ रही है, लेकिन मक्का का दाम घट रहा है. पिछले वर्ष मक्के का समर्थन मूल्य 1900 रुपये प्रति क्विंटल था और इस साल बिहार सरकार के द्वारा 1760 रुपया समर्थन मूल्य रखा गया है, लेकिन सरकार के द्वारा जिले में एक जगह भी मक्का नहीं खरीदी जा रही है. ऐसे में मक्का किसान 900 से 1000 हजार रुपये प्रति क्विंटल मक्का बेचने को मजबूर हैं.

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मक्का सुखाते किसान

बिचौलिए से मक्का बेचना मजबूरी
किसानों का कहना है कि जिले में मक्के के इतनी बड़े उत्पाद के बावजूद भी न ही यहां कोई फैक्ट्री है न ही कोई बाजार समिति है. ऐसे में बिचौलिए को आने-पौने दाम में मक्का बेचना हमारी मजबूरी हो जाती है. किसानों का ये भी कहना है कि इस चुनाव में हमारे लिए ये एक मत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा. चुनाव में हमारी मांग रहेगी कि मक्का संबधित फैक्ट्री बने. तब हमलोग और भी ज्यादा उत्पाद करेंगे और हमारा विकास भी बड़े लेवल पर होगा.

देखें रिपोर्ट

फूड पार्क में नहीं लिया जाता है मक्का
खगड़िया में केंद्र सरकार द्वारा मेगा फूड पार्क भी बनवाया गया है. ताकि मक्का किसानों को सीधे फायदा मिल सके, लेकिन जिले के किसान कहते हैं कि इससे हमलोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. मक्का लेकर अगर किसान जाते है तो वहां कोई ना कोई बहाना बताकर फैक्ट्री में हमारे मक्का को नहीं लिया जाता है.

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