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खगड़िया: पेड़ा व्यवसाय की हालत नाजुक, लॉकडाउन की वजह से पूरी सप्लाई चेन प्रभावित - कुटीर उद्योग

खगड़िया आवास बोर्ड के पेड़े की डिमांड भी बहुत से जिलों में है. यहां तक कि रांची और भोले की नगरी देवघर में भी पेड़ा यहां से भेजा जाता है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये व्यवसाय और इससे जुड़ी सप्लाई चेन को काफी नुकसान पहुंचा है.

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Published : Aug 20, 2020, 6:01 PM IST

खगड़िया: लॉकडाउन से पूरे प्रदेश में सभी तरह के व्यवसाय पर गहरा प्रभाव पड़ा है. खासकर कुटीर व्यवसाय पर काफी बुरा असर पड़ा है. जिले के आवास बोर्ड में बड़े पैमाने पर पेड़ा, दूध और खोआ व्यवसाय किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन से इन व्यवसायों पर गहरा असर पड़ा है.

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लॉकडाउन से बंद व्यवसाय

हजार लोगों का परिवार निर्भर
करीब 60 से 70 की संख्या में व्यवसाई यहां घर में ही व्यवसाय करते है. इसे लोग कुटीर उद्योग के नाम से जानते है. जानकारी के इस व्यवसाय पर करीब हजार लोगों का परिवार निर्भर करता है. यहां सब से ज्यादा पेड़ा उत्पादन किया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

व्यवसाय से बनी है एक पूरी सप्लाई चेन
पेड़ा दूध से ही बनता है, खगड़िया में जितना दूध का उत्पादन होता है उसका आधा इस्तेमाल सिर्फ आवास बोर्ड में ही हो जाता है. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस छोटे से व्यवसाय से कितने लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है. इस व्यवसाय से एक पूरी सप्लाई चेन बनी है. इससे दूध व्यवसायी जुड़े हैं, लेबर, मजदूर, ट्रांसपोर्ट वाले जुड़े हैं. लॉकडाउन के बाद से यहा का काम पूरी तरह से बंद है और तमाम व्यसायियों की रोजी रोटी भी बंद हो गई है.

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खोवा से तैयार होगा पेड़ा

लॉकडाउन के वजह से व्यवसाय पर असर
खगड़िया आवास बोर्ड के पेड़े की डिमांड भी बहुत से जिलों में है. यहां तक कि रांची और भोले की नगरी देवघर में भी पेड़ा यहां से भेजा जाता है. व्यवसायियों का कहना है कि इधर चैत छठ, रामनवमी जैसे सारे अवसर लॉकडाउन के वजह से बर्बाद हो गए. जबकि साल भर में इन्ही दिनों में उत्पादन दोगुना होता था.

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पेड़ा बनाते कारीगर

सरकार से मदद की गुजारिश
खगड़िया के समाज सेवी और पेड़ा व्यवसायी धर्मेंद कुमार का कहना है कि इस छोटे से जगह से साल भर का टर्नओवर करीब 50 करोड़ का होता है. बिहार की अर्थव्यवस्था में हम व्यवसायी शामिल होते हैं. लेकिन लॉकडाउन से हमारा व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ गया है. हजारों लोग बेरोजगार और भुखमरी से परेशान है. सरकार हमारी मदद करें, यही हमारी गुजारिश है.

खगड़िया: लॉकडाउन से पूरे प्रदेश में सभी तरह के व्यवसाय पर गहरा प्रभाव पड़ा है. खासकर कुटीर व्यवसाय पर काफी बुरा असर पड़ा है. जिले के आवास बोर्ड में बड़े पैमाने पर पेड़ा, दूध और खोआ व्यवसाय किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन से इन व्यवसायों पर गहरा असर पड़ा है.

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लॉकडाउन से बंद व्यवसाय

हजार लोगों का परिवार निर्भर
करीब 60 से 70 की संख्या में व्यवसाई यहां घर में ही व्यवसाय करते है. इसे लोग कुटीर उद्योग के नाम से जानते है. जानकारी के इस व्यवसाय पर करीब हजार लोगों का परिवार निर्भर करता है. यहां सब से ज्यादा पेड़ा उत्पादन किया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

व्यवसाय से बनी है एक पूरी सप्लाई चेन
पेड़ा दूध से ही बनता है, खगड़िया में जितना दूध का उत्पादन होता है उसका आधा इस्तेमाल सिर्फ आवास बोर्ड में ही हो जाता है. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस छोटे से व्यवसाय से कितने लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है. इस व्यवसाय से एक पूरी सप्लाई चेन बनी है. इससे दूध व्यवसायी जुड़े हैं, लेबर, मजदूर, ट्रांसपोर्ट वाले जुड़े हैं. लॉकडाउन के बाद से यहा का काम पूरी तरह से बंद है और तमाम व्यसायियों की रोजी रोटी भी बंद हो गई है.

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खोवा से तैयार होगा पेड़ा

लॉकडाउन के वजह से व्यवसाय पर असर
खगड़िया आवास बोर्ड के पेड़े की डिमांड भी बहुत से जिलों में है. यहां तक कि रांची और भोले की नगरी देवघर में भी पेड़ा यहां से भेजा जाता है. व्यवसायियों का कहना है कि इधर चैत छठ, रामनवमी जैसे सारे अवसर लॉकडाउन के वजह से बर्बाद हो गए. जबकि साल भर में इन्ही दिनों में उत्पादन दोगुना होता था.

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पेड़ा बनाते कारीगर

सरकार से मदद की गुजारिश
खगड़िया के समाज सेवी और पेड़ा व्यवसायी धर्मेंद कुमार का कहना है कि इस छोटे से जगह से साल भर का टर्नओवर करीब 50 करोड़ का होता है. बिहार की अर्थव्यवस्था में हम व्यवसायी शामिल होते हैं. लेकिन लॉकडाउन से हमारा व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ गया है. हजारों लोग बेरोजगार और भुखमरी से परेशान है. सरकार हमारी मदद करें, यही हमारी गुजारिश है.

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