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खगड़ियाः DM को नहीं पता था बाढ़ पीड़ितों का हाल, ईटीवी भारत की पहल पर मिली तुरंत मदद

बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं को देखकर ईटीवी भारत के सवांददाता ने तुरंत डीएम आलोक रजंन घोष को फोन लगाया और बाढ़ पीड़ितों से उनकी बात कराई.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित
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Published : Aug 1, 2020, 1:36 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 10:41 PM IST

खगड़ियाः जिले में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है. बाढ़ का पानी कई गांव को अपनी चपेट में ले चुका है.अब हर दिन बाढ़ का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. जैसे जैसे बाढ़ का पानी बढ़ रहा है. वैसे-वैसे विस्थापितों की संख्या भी बढ़ने लगी है. घरों में पानी घुस जाने से खगड़िया अलौली प्रखंड के कोयलाडीह गांव के 100 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

प्लास्टिक की शीट भी खरीदने के पैसे नहीं
कोसी और बागमती के तांडव से कोयलडीह गांव के लोग सोनमनकी गाईड बांध पर शरण लिए हुए हैं. यहां लोग जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. इन महादलित समाज के लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि प्लास्टिक की शीट खरीद सके और उसमें रह सकें.

प्लास्टिक की झोपड़ी में रह रहे लोग
प्लास्टिक की झोपड़ी में रह रहे लोग

जैसे तैसे फटे हुए प्लास्टिक शीट को जोड़कर झोपड़ीनुमा घर बनाकर रह रहे हैं. एक ही झोपड़ी में 5-6 परिवार और मवेशी भी रहते हैं. उसी झोपड़ी में खाना भी बनता और सोने का ठिकाना भी उसी झोपड़ी में है.

'प्लास्टिक के टेंट में गुजरते हैं महिनों'
जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि हमारी जिंदगी दुभर हो गई है. हर साल हमलोग ऐसे ही प्लास्टिक के टेंट में रहते हैं. पता नहीं इस साल भी यहां कितने दिनों तक रहना होगा. बारिश आए या तूफान इसी प्लास्टिक के टेंट में महीनों गुजारना पड़ता है.

बाढ़ पीड़ित महिला
बाढ़ पीड़ित महिला

पीड़ितों ने ये भी बताया कि दो दिन पहले भीषण बारिश और आंधी आई थी. व्रजपात भी हो रही था और डर से हमलोग सो नहीं पा रहे थे. बच्चों को सीने में दबा कर बैठे थे. ताकि कोई अनहोनी ना हो जाय.

खाना बनाती बाढ़ पीड़ित महिला
खाना बनाती बाढ़ पीड़ित महिला

ये भी पढ़ेंः बूढ़ी गंडक, बागमती और कोसी सहित उत्तर बिहार की अधिकांश नदियां खतरे के निशान से ऊपर

डीएम ने फोन पर दिया आश्वासन
इनकी समस्याओं को देखकर ईटीवी भारत के सवांददाता ने तुरंत डीएम आलोक रजंन घोष को फोन किया और इस हालात से उनको अवगत कराया. साथ ही बाढ़ पीड़ितों से भी डीएम की बात कराई. डीएम आलोक रजंन घोष ने कहा कि मुझे इनकी समस्या की जानकारी नहीं थी, इस वजह से यहां मदद नहीं पहुंची थी. अब मामला हमारे में संज्ञान में आया है. अविलंब मदद की जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

15 दिनों से बांध पर रह रहे लोग
बता दें कि ये बाढ़ पीड़ित पिछले 15 दिनों से बांध पर शरण लिए हुए हैं. इनका कहना है कि प्रसाशन की तरफ से कोई देखने वाला नहीं आया. लोगों का कहना है कि घर का राशन पानी में डूब चुका है और यहां जब से आए हैं, तब से दाने-दाने को मोहताज हैं. लेकिन अब तक कोई मदद हम लोगों तक नहीं पहुंची है.

बाढ़ पीड़ित से बात करते संवाददाता
बाढ़ पीड़ित से बात करते संवाददाता

गांव में पहुंची सरकारी मदद
वहीं, ईटीवी भारत की टीम के गांव से वापस आने के बाद बाढ़ का दंश झेल रहे लोगों ने फोन कर सूचना दी कि गांव में मदद पहुंचने लगी है. प्रसाशन ने उनलोगों को राशन मुहैया कराया है. हर परिवार को दाल, चावल,आटा और आलू दिया गया है.

खगड़ियाः जिले में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है. बाढ़ का पानी कई गांव को अपनी चपेट में ले चुका है.अब हर दिन बाढ़ का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. जैसे जैसे बाढ़ का पानी बढ़ रहा है. वैसे-वैसे विस्थापितों की संख्या भी बढ़ने लगी है. घरों में पानी घुस जाने से खगड़िया अलौली प्रखंड के कोयलाडीह गांव के 100 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

प्लास्टिक की शीट भी खरीदने के पैसे नहीं
कोसी और बागमती के तांडव से कोयलडीह गांव के लोग सोनमनकी गाईड बांध पर शरण लिए हुए हैं. यहां लोग जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. इन महादलित समाज के लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि प्लास्टिक की शीट खरीद सके और उसमें रह सकें.

प्लास्टिक की झोपड़ी में रह रहे लोग
प्लास्टिक की झोपड़ी में रह रहे लोग

जैसे तैसे फटे हुए प्लास्टिक शीट को जोड़कर झोपड़ीनुमा घर बनाकर रह रहे हैं. एक ही झोपड़ी में 5-6 परिवार और मवेशी भी रहते हैं. उसी झोपड़ी में खाना भी बनता और सोने का ठिकाना भी उसी झोपड़ी में है.

'प्लास्टिक के टेंट में गुजरते हैं महिनों'
जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि हमारी जिंदगी दुभर हो गई है. हर साल हमलोग ऐसे ही प्लास्टिक के टेंट में रहते हैं. पता नहीं इस साल भी यहां कितने दिनों तक रहना होगा. बारिश आए या तूफान इसी प्लास्टिक के टेंट में महीनों गुजारना पड़ता है.

बाढ़ पीड़ित महिला
बाढ़ पीड़ित महिला

पीड़ितों ने ये भी बताया कि दो दिन पहले भीषण बारिश और आंधी आई थी. व्रजपात भी हो रही था और डर से हमलोग सो नहीं पा रहे थे. बच्चों को सीने में दबा कर बैठे थे. ताकि कोई अनहोनी ना हो जाय.

खाना बनाती बाढ़ पीड़ित महिला
खाना बनाती बाढ़ पीड़ित महिला

ये भी पढ़ेंः बूढ़ी गंडक, बागमती और कोसी सहित उत्तर बिहार की अधिकांश नदियां खतरे के निशान से ऊपर

डीएम ने फोन पर दिया आश्वासन
इनकी समस्याओं को देखकर ईटीवी भारत के सवांददाता ने तुरंत डीएम आलोक रजंन घोष को फोन किया और इस हालात से उनको अवगत कराया. साथ ही बाढ़ पीड़ितों से भी डीएम की बात कराई. डीएम आलोक रजंन घोष ने कहा कि मुझे इनकी समस्या की जानकारी नहीं थी, इस वजह से यहां मदद नहीं पहुंची थी. अब मामला हमारे में संज्ञान में आया है. अविलंब मदद की जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

15 दिनों से बांध पर रह रहे लोग
बता दें कि ये बाढ़ पीड़ित पिछले 15 दिनों से बांध पर शरण लिए हुए हैं. इनका कहना है कि प्रसाशन की तरफ से कोई देखने वाला नहीं आया. लोगों का कहना है कि घर का राशन पानी में डूब चुका है और यहां जब से आए हैं, तब से दाने-दाने को मोहताज हैं. लेकिन अब तक कोई मदद हम लोगों तक नहीं पहुंची है.

बाढ़ पीड़ित से बात करते संवाददाता
बाढ़ पीड़ित से बात करते संवाददाता

गांव में पहुंची सरकारी मदद
वहीं, ईटीवी भारत की टीम के गांव से वापस आने के बाद बाढ़ का दंश झेल रहे लोगों ने फोन कर सूचना दी कि गांव में मदद पहुंचने लगी है. प्रसाशन ने उनलोगों को राशन मुहैया कराया है. हर परिवार को दाल, चावल,आटा और आलू दिया गया है.

Last Updated : Aug 28, 2020, 10:41 PM IST
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