ETV Bharat / state

बनारस से पश्चिम बंगाल के लिये पैदल ही चल पड़ा मजदूरों का जत्था

उत्तर प्रदेश की सीमा पर सभी लोगों की थर्मल स्कीनिंग की गयी. बीच में थोड़े दूर की सवारी की मदद मिली लेकिन फिर सड़कों पर आ गये. प्रवासी मजदूर इसराइल बताते हैं कि वह सभी उत्तर प्रदेश में भवन निर्माण कम्पनी में काम करतें हैं. लेकिन लॉक डाउन में सब कुछ जब बन्द हो गया. तो सभी घरों को लौट रहे हैं.

bengal
bengal
author img

By

Published : May 9, 2020, 5:17 PM IST

कटिहारः जिले में इन दिनों प्रवासी मजदूरों के लौटने के दो तरह की तस्वीरें दिख रहीं हैं. एक तस्वीर वह, जो विशेष ट्रेन से दूसरे प्रान्तों से लोग कटिहार को लौट रहे हैं और जांच के बाद बसों के जरिये आसपास के जिलों में भेजे जा रहे हैं, तो दूसरी तस्वीर वह, जो सड़कों के जरिये दूसरे प्रान्तों से दूसरे प्रान्तों को जा रहे हैं. इनके नसीब में ना तो कोई ट्रेन सेवा है और ना ही कोई सवारी बस कदमों के जरिये परदेश से घर लौटने का जुनुन है. सैकड़ों मील दूर उत्तर प्रदेश के बनारस से पश्चिम बंगाल पैदल जा रहा मजदूरों का एक जत्था कटिहार पहुंचा.

लॉक डाउन से मजदूरों को परेशानी
सड़कों पर पैदल जा रहे लोगों का यह कारवां उत्तर प्रदेश के बनारस से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के लिये चला है. यह सभी मजदूर भवन निर्माण कंपनी में काम करते थे. लेकिन कोरोना वायरस से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिये जब देशभर में लॉक डाउन लागू हुआ, तो रोजी-रोटी इनके हाथ से जाती रही. कुछ दिन काम शुरू होने का इंतजार किया. लेकिन इस दरम्यान जो पास में जमा पूंजी थे. खा-पीकर खत्म हो गये.

देखें पूरी रिपोर्ट

पैदल ही अपने गंतव्य पर जाने को मजबूर
बिना पैसे यह मजदूर जीये तो जीये कैसे, तो सभी ने घर वापस लौटने का फैसला कर लिया. लेकिन वापस लौटे भी तो कैसे क्योंकि रेल, बस सब कुछ बन्द है. लिहाजा आठ लोगों के इस जत्थे ने पैदल ही अपने घरों के लिये कदमें बढ़ा डाली.

मजदूरों को खाने-पीने की हो रही दिक्कत
उत्तर प्रदेश की सीमा पर सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की गयी. बीच में थोड़े दूर की सवारी की मदद मिली लेकिन फिर सड़कों पर आ गये. प्रवासी मजदूर इसराइल बताते हैं कि वह सभी उत्तर प्रदेश में भवन निर्माण कम्पनी में काम करते हैं. लेकिन लॉक डाउन में सब कुछ जब बन्द हो गया. तो सभी घरों को लौट रहे हैं. वह सभी पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं. प्रवासी मजदूर सम्राट बताते हैं कि पैदल चलते चलते पैर थक गये. कोई सवारी की मदद मिलती तो कुछ आसानी होती.

कटिहारः जिले में इन दिनों प्रवासी मजदूरों के लौटने के दो तरह की तस्वीरें दिख रहीं हैं. एक तस्वीर वह, जो विशेष ट्रेन से दूसरे प्रान्तों से लोग कटिहार को लौट रहे हैं और जांच के बाद बसों के जरिये आसपास के जिलों में भेजे जा रहे हैं, तो दूसरी तस्वीर वह, जो सड़कों के जरिये दूसरे प्रान्तों से दूसरे प्रान्तों को जा रहे हैं. इनके नसीब में ना तो कोई ट्रेन सेवा है और ना ही कोई सवारी बस कदमों के जरिये परदेश से घर लौटने का जुनुन है. सैकड़ों मील दूर उत्तर प्रदेश के बनारस से पश्चिम बंगाल पैदल जा रहा मजदूरों का एक जत्था कटिहार पहुंचा.

लॉक डाउन से मजदूरों को परेशानी
सड़कों पर पैदल जा रहे लोगों का यह कारवां उत्तर प्रदेश के बनारस से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के लिये चला है. यह सभी मजदूर भवन निर्माण कंपनी में काम करते थे. लेकिन कोरोना वायरस से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिये जब देशभर में लॉक डाउन लागू हुआ, तो रोजी-रोटी इनके हाथ से जाती रही. कुछ दिन काम शुरू होने का इंतजार किया. लेकिन इस दरम्यान जो पास में जमा पूंजी थे. खा-पीकर खत्म हो गये.

देखें पूरी रिपोर्ट

पैदल ही अपने गंतव्य पर जाने को मजबूर
बिना पैसे यह मजदूर जीये तो जीये कैसे, तो सभी ने घर वापस लौटने का फैसला कर लिया. लेकिन वापस लौटे भी तो कैसे क्योंकि रेल, बस सब कुछ बन्द है. लिहाजा आठ लोगों के इस जत्थे ने पैदल ही अपने घरों के लिये कदमें बढ़ा डाली.

मजदूरों को खाने-पीने की हो रही दिक्कत
उत्तर प्रदेश की सीमा पर सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की गयी. बीच में थोड़े दूर की सवारी की मदद मिली लेकिन फिर सड़कों पर आ गये. प्रवासी मजदूर इसराइल बताते हैं कि वह सभी उत्तर प्रदेश में भवन निर्माण कम्पनी में काम करते हैं. लेकिन लॉक डाउन में सब कुछ जब बन्द हो गया. तो सभी घरों को लौट रहे हैं. वह सभी पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं. प्रवासी मजदूर सम्राट बताते हैं कि पैदल चलते चलते पैर थक गये. कोई सवारी की मदद मिलती तो कुछ आसानी होती.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.