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VIDEO: मानव तस्करी की ऐसी दर्दनाक दास्तां सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी

अक्टूबर 2018 को पीड़िता के पिता ने इसके गुमशुदगी की सूचना स्थानीय रोशन ओपी थाना को दी थी, लेकिन पुलिस ने पीड़िता को बरामद करने के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था.

पीड़िता
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Published : Aug 26, 2019, 12:01 PM IST

कटिहार: मानव तस्करी की एक ऐसी दर्दनाक कहानी सामने आई है, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी. पूरा मामला कटिहार के रोशना ओपी थाना का है. जहां बदमाशों ने पीड़िता को बहला-फुसलाकर एकअनजान जगह पर ले जाकर कैद कर दिया था, वहां चारो ओर जंगल ही जंगल था. पीड़िता के अलावा वहां अन्य लड़कियों को भी बंधक बनाकर रखा गया था. 15 अगस्त के दिन पीड़िता किसी तरह उनके चंगुल से निकल पाई.

गांव के युवकों ने दिखाए थे सपने
बताया गया है कि पीड़िता को गांव के ही 2 युवकों ने साल भर पहले जिंदगी के हसीन सपने दिखाए और बहला-फुसलाकर उसे गांव से शहर तक ले आये. वहीं से उसके हाथ-पांव बांध बेहोशकर एक ऐसी जगह ले जाया गया, वहां लगभग 1 साल तक उसे बंधक बना कर रखा गया.

मानव तस्करी की दर्दनाक दास्तां

बुहत सी लड़कियां थीं बंधक
पीड़िता ने बताया कि उसे कुछ भी नहीं पता कि वह कौन सा इलाका था और वह कौन सी राहें थीं. इसकी मानें तो वहां कई और भी लड़कियां थीं. चारों ओर जंगल ही जंगल था. आसपास कोई मकान भी नहीं थी और ना हीं कहीं लोगों की आवाजाही थी. बस वहां कुछ लड़कियां और कुछ दबंग लड़के थे जो उसे नशे का इंजेक्शन दिया करते थे. उसके बाद उसे कोई होश नहीं रहता था. यह सिलसिला करीब 10 महीने तक चलता रहा और 10 महीने तक पीड़िता की अस्मत अंजान हाथों में लुटती रही.

कटिहार
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार

किसी तरह से जान बचा कर भागी
पीड़िता बीते 15 अगस्त को अचानक मौका पाकर उस कालकोठरी से भाग निकली और सुनसान राहों से शहर की ओर निकल पड़ी, जिससे उसे कुछ मदद मिल सके. कुछ दूर तक दबंगों ने उसका पीछा भी किया, लेकिन जमीन पर पीड़िता के गिर जाने के बाद उसे मरा समझकर बदमाश उसे छोड़ चलते बने. किसी तरह पीड़िता गिरते-उठते अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंची और वहां से वापस कटिहार आई. पीड़िता बताती है कि जो कोई भी उस काल-कोठरी से निकलने की जुर्रत करता उसके हाथ-पांव काट दिए जाते थे. बदमाशों ने ज्यादती की सीमाएं तोड़ डाली थी.

  • अनंत सिंह बने कैदी नंबर-13617, दिन में पिया सिर्फ पानी, रात को खाया ये खाना#AnantSingh #Patna #Bihar

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पुलिस की लापरवाही
पीड़िता ने बताया कि अक्टूबर 2018 को पिता ने गुमशुदगी की सूचना स्थानीय रोशन ओपी थाना को दी थी, लेकिन पुलिस ने पीड़िता को बरामद करने के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. अब जब पीड़िता की दर्दनाक दास्तां सामने आई है, तो पुलिस अधीक्षक विकास कुमार बताते हैं कि, अक्टूबर 2018 में रोशना ओपी में स्थानीय दो नामजद अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. अदालत में धारा 164 के तहत पीड़िता की पूरी दर्दे-दास्तां को कलमबद्ध करवाया है. यह मामला कितना सच है और क्या है पुलिस इसकी जांच कर रही है.

मानव तस्करी के नेटवर्क को कुचलने की जरूरत
सीमांचल का यह इलाका बाढ़ पीड़ित होने के साथ मानव तस्करों के निशाने पर हमेशा रहता है. समय-समय पर मानव तस्करी से जुड़ी खबरें भी सामने आती रहती हैं. सरकार और पुलिस प्रशासन समय-समय पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए स्वयं या गैर-सरकारी संस्थानों के जरिए जागरूक भी करते हैं. बावजूद इसके मानव तस्करों का नेटवर्क ऐसा फैला हुआ है कि कोई न कोई पीड़िता जो जिंदगी के 16वें बसंत पर कदम रखती है उसके चंगुल में फंस जाती है. इसके बाद यह मानव तस्कर उसे लेकर अंधेरी दुनिया में चले जाते हैं और शारीरिक, मानसिक, आर्थिक शोषण के साथ सदा के लिए उसकी जिंदगी को तबाह कर डालते हैं.

मानव तस्कर पर लगाम की जरूरत
कटिहार की इस बेटी का दर्द भी कुछ ऐसा ही है. यह इसकी खुशकिस्मती थी कि यह वहां से बच निकली. पुलिस प्रशासन को ऐसे मानव तस्कर के फन को सदा के लिए कुचलने की जरूरत है, ताकि कोई भी बेटी की अस्मत मानव तस्कर न लूट सकें.

कटिहार: मानव तस्करी की एक ऐसी दर्दनाक कहानी सामने आई है, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी. पूरा मामला कटिहार के रोशना ओपी थाना का है. जहां बदमाशों ने पीड़िता को बहला-फुसलाकर एकअनजान जगह पर ले जाकर कैद कर दिया था, वहां चारो ओर जंगल ही जंगल था. पीड़िता के अलावा वहां अन्य लड़कियों को भी बंधक बनाकर रखा गया था. 15 अगस्त के दिन पीड़िता किसी तरह उनके चंगुल से निकल पाई.

गांव के युवकों ने दिखाए थे सपने
बताया गया है कि पीड़िता को गांव के ही 2 युवकों ने साल भर पहले जिंदगी के हसीन सपने दिखाए और बहला-फुसलाकर उसे गांव से शहर तक ले आये. वहीं से उसके हाथ-पांव बांध बेहोशकर एक ऐसी जगह ले जाया गया, वहां लगभग 1 साल तक उसे बंधक बना कर रखा गया.

मानव तस्करी की दर्दनाक दास्तां

बुहत सी लड़कियां थीं बंधक
पीड़िता ने बताया कि उसे कुछ भी नहीं पता कि वह कौन सा इलाका था और वह कौन सी राहें थीं. इसकी मानें तो वहां कई और भी लड़कियां थीं. चारों ओर जंगल ही जंगल था. आसपास कोई मकान भी नहीं थी और ना हीं कहीं लोगों की आवाजाही थी. बस वहां कुछ लड़कियां और कुछ दबंग लड़के थे जो उसे नशे का इंजेक्शन दिया करते थे. उसके बाद उसे कोई होश नहीं रहता था. यह सिलसिला करीब 10 महीने तक चलता रहा और 10 महीने तक पीड़िता की अस्मत अंजान हाथों में लुटती रही.

कटिहार
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार

किसी तरह से जान बचा कर भागी
पीड़िता बीते 15 अगस्त को अचानक मौका पाकर उस कालकोठरी से भाग निकली और सुनसान राहों से शहर की ओर निकल पड़ी, जिससे उसे कुछ मदद मिल सके. कुछ दूर तक दबंगों ने उसका पीछा भी किया, लेकिन जमीन पर पीड़िता के गिर जाने के बाद उसे मरा समझकर बदमाश उसे छोड़ चलते बने. किसी तरह पीड़िता गिरते-उठते अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंची और वहां से वापस कटिहार आई. पीड़िता बताती है कि जो कोई भी उस काल-कोठरी से निकलने की जुर्रत करता उसके हाथ-पांव काट दिए जाते थे. बदमाशों ने ज्यादती की सीमाएं तोड़ डाली थी.

  • अनंत सिंह बने कैदी नंबर-13617, दिन में पिया सिर्फ पानी, रात को खाया ये खाना#AnantSingh #Patna #Bihar

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    — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) August 26, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पुलिस की लापरवाही
पीड़िता ने बताया कि अक्टूबर 2018 को पिता ने गुमशुदगी की सूचना स्थानीय रोशन ओपी थाना को दी थी, लेकिन पुलिस ने पीड़िता को बरामद करने के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. अब जब पीड़िता की दर्दनाक दास्तां सामने आई है, तो पुलिस अधीक्षक विकास कुमार बताते हैं कि, अक्टूबर 2018 में रोशना ओपी में स्थानीय दो नामजद अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. अदालत में धारा 164 के तहत पीड़िता की पूरी दर्दे-दास्तां को कलमबद्ध करवाया है. यह मामला कितना सच है और क्या है पुलिस इसकी जांच कर रही है.

मानव तस्करी के नेटवर्क को कुचलने की जरूरत
सीमांचल का यह इलाका बाढ़ पीड़ित होने के साथ मानव तस्करों के निशाने पर हमेशा रहता है. समय-समय पर मानव तस्करी से जुड़ी खबरें भी सामने आती रहती हैं. सरकार और पुलिस प्रशासन समय-समय पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए स्वयं या गैर-सरकारी संस्थानों के जरिए जागरूक भी करते हैं. बावजूद इसके मानव तस्करों का नेटवर्क ऐसा फैला हुआ है कि कोई न कोई पीड़िता जो जिंदगी के 16वें बसंत पर कदम रखती है उसके चंगुल में फंस जाती है. इसके बाद यह मानव तस्कर उसे लेकर अंधेरी दुनिया में चले जाते हैं और शारीरिक, मानसिक, आर्थिक शोषण के साथ सदा के लिए उसकी जिंदगी को तबाह कर डालते हैं.

मानव तस्कर पर लगाम की जरूरत
कटिहार की इस बेटी का दर्द भी कुछ ऐसा ही है. यह इसकी खुशकिस्मती थी कि यह वहां से बच निकली. पुलिस प्रशासन को ऐसे मानव तस्कर के फन को सदा के लिए कुचलने की जरूरत है, ताकि कोई भी बेटी की अस्मत मानव तस्कर न लूट सकें.

Intro:कटिहार

एक पीड़िता की दर्दनाक कहानी जिसे सुनकर आपके भी रूह कांप जाएंगे। अस्मत लूटने का खौफनाक दास्तां जहां बहला-फुसलाकर पीडिता को बदमाशों ने एक ऐसे अनजान जगह पर ले गए जहां चारों ओर जंगल ही जंगल थे और दिन हो या रात इंजेक्शन के नशे में उसके आबरू लूटे जाते रहें।


Body:यह पूरी दास्तां कटिहार के रोशना ओपी थाना इलाके का है जहां एक पीडिता को बहला-फुसलाकर बदमाशों ने एक ऐसे अनजान जगह पर ले गया जहां से शायद कोई जिंदा भी नहीं लौटता। बताया जाता है कि पीड़िता को गांव के ही 2 युवकों ने साल भर पहले जिंदगी के हसीन सपने दिखाएं और बहला फुसलाकर उसे गांव से शहर तक ले आया फिर मौका पाकर उसके हाथ पांव बांध बेहोश कर एक अनजान डगर की ओर ले चला।

पीडिता बताती है उसे कुछ भी नहीं पता कि वह कौन सा इलाका था और वह कौन सी राहें थी जहां उसे ले जाया गया। इसकी माने तो वहां कई और भी लड़कियां थी। चारों ओर जंगल ही जंगल था। आसपास कोई मकान भी नहीं थे और ना ही कोई लोगों की आवाजाही थी। बस वहां कुछ लड़कियां और कुछ दबंग लड़के थे जो उसे नशे की इंजेक्शन देता था उसके बाद उसे कोई होश नहीं रहते थे। यह सिलसिला करीब 10 महीने तक चलता रहा और 10 महीने तक पीडिता की अस्मत अंजान हाथों में लूटती रही।

पीड़िता बीते 15 अगस्त को अचानक मौका पाकर उस कालकोठरी से भाग निकली और सुनसान राहों से शहर की ओर निकल पड़ी ताकि उसे कुछ मदद मिल सके। कुछ दूर तक दबंगों ने उसका पीछा भी किया लेकिन जमीन पर पीडिता के गिर जाने के बाद उसे मरा समझकर बदमाश उसे छोड़ चलते बने। किसी तरह पीड़िता गिरते उठते अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंची वहां से वापस कटिहार आई। पीडिता बताती है कि जो कोई भी उस काल कोठरी से निकलने की जुर्रत करता है उसके हाथ पांव काट दिए जाते थे। मतलब बदमाशों ने ज्यादती की सीमाएं तोड डाले थें।



Conclusion:पीड़िता बताती है अक्टूबर 2018 को पिता ने इसके गुमशुदगी की सूचना स्थानीय रोशन ओपी को दी थी लेकिन पुलिस पीड़िता को बरामद करने के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में डाल दी थी। अब जब पीडिता की दर्दनाक दास्तां सामने आई है तो पुलिस अधीक्षक विकास कुमार बताते हैं कि अक्टूबर 2018 में रोशना ओपी में स्थानीय दो नामजद अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पीडि़ता का अदालत में धारा 164 के तहत पूरी दर्दे दास्तां को कलमबद्ध करवाया है अब यह मामला कितना सच है और क्या है पुलिस इसकी जांच कर रही है।

सीमांचल का यह इलाका बाढ़ पीड़ित होने के साथ मानव तस्करों के निशाने पर हमेशा रहता है और समय-समय पर ह्युमन ट्रैफिकिंग से जुड़ी खबरें भी सामने आती रहती है। सरकार और पुलिस प्रशासन समय-समय पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए स्वयं या गैर सरकारी संस्थानों के जरिए जागरूक भी करते हैं बावजूद इसके मानव तस्करों का नेटवर्क ऐसा फैला हुआ है और यह इतनी जड जमा चुका है कि कोई न कोई पीडिता जो जिंदगी के 16वें बसंत पर कदम रखती है उसके चंगुल में फंस जाती है और फिर यह मानव तस्कर उसे लेकर अंधेरे दुनिया में चले जाते हैं और शारीरिक, मानसिक, आर्थिक शोषण के साथ सदा के लिए उसकी जिंदगी को तबाह कर डालते हैं। कटिहार के इस बेटी के दर्द से कुछ ऐसी ही बदबू आ रही है कि यह पीडिता जाने अनजाने में मानव तस्करों के चंगुल में फंस गई थी और यह खुशकिस्मती थी कि वह रिक्स लेकर भाग निकली। जरूरत है पुलिस प्रशासन से कि ऐसे मानव तस्कर के फन को सदा के लिए कुचलने की ताकि कोई बेटी का अस्मत ह्युमन ट्रैफिकर न लूट सके।
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